
ठाकुर बख्श सिंह की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश के मेरठ में मंगलवार का दिन प्रशासनिक तंत्र के लिए सवालों से भरा साबित हुआ, जब किसान राजीव नाम के युवक ने कथित प्रशासनिक लापरवाही, रिश्वतखोरी और गलत रिपोर्ट से परेशान होकर SDM सदर डॉ. दीक्षा जोशी (IAS) के कोर्ट के बाहर फूट-फूटकर रोना शुरू कर दिया।
सूत्रों के अनुसार, किसान राजीव न केवल जमीन पर बैठकर रोया, बल्कि वह भावुक होकर इस कदर टूट गया कि उसने SDM के पैर पकड़ लिए और वहीं बैठकर न्याय की मांग करने लगा। यह दृश्य न केवल प्रशासन के लिए चुनौतीपूर्ण था, बल्कि यह दर्शाता है कि ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि विवाद, लेखपाल की भूमिका, रिश्वतखोरी और प्रशासनिक लापरवाही आज भी किस हद तक किसानों को मानसिक रूप से तोड़ रही है।
कौन है किसान राजीव और क्या है पूरा विवाद?
यह पूरा मामला थाना सरूरपुर के गांव कालीना निवासी किसान राजीव से जुड़ा है। राजीव का अपने पिता रविंद्र सिंह और सत्येंद्र सिंह के बीच चल रहे जमीन बंटवारे के पुराने विवाद को लेकर मामला SDM सदर दीक्षा जोशी की कोर्ट में विचाराधीन था।
कोर्ट ने इस विवाद पर स्पष्ट तथ्य प्राप्त करने के लिए संबंधित लेखपाल सुरेंद्र कुमार को जमीन से जुड़ी रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया था। लेकिन किसान राजीव ने आरोप लगाया कि लेखपाल ने विपक्षी पक्ष से मिलकर न केवल गलत रिपोर्ट लगाई, बल्कि उससे पहले ₹10 हजार की रिश्वत भी मांगी।
किसान का आरोप है कि उसने इस रिश्वतखोरी की शिकायत उच्च अधिकारियों से की थी, लेकिन मेरठ प्रशासन द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई। इससे किसान की पीड़ा बढ़ती गई और वह हताशा के उस स्तर पर पहुँच गया जहाँ उसने कहा—
“अगर इंसाफ नहीं मिला, तो मेरा अगला पता श्मशान घाट होगा।”
SDM कोर्ट में हंगामा—भावुक होकर पैर पकड़कर बैठा किसान
जब लेखपाल सुरेंद्र कुमार ने कोर्ट में अपनी रिपोर्ट पेश की और SDM सदर ने उसे प्रक्रिया अनुसार सही पाया, तब किसान राजीव पूरी तरह टूट गया। उसने वहीं कोर्ट परिसर में जोर-जोर से चिल्लाना शुरू कर दिया और बाहर जमीन पर बैठकर विरोध प्रदर्शन करने लगा।
SDM सदर डॉ. दीक्षा जोशी जब उसे समझाने पहुँचीं, तो किसान ने अचानक उनके पैर पकड़ लिए और रोते हुए बोला—
“मैडम, मुझे इंसाफ दिलाइए। सबने मिलकर मुझे बर्बाद कर दिया है।”
SDM ने उसे शांत कराने के लिए पानी पिलाया और पूरी बात विस्तार से सुनी। लेकिन किसान न्याय की मांग पर अड़ा रहा। यह पूरा घटनाक्रम यह बताता है कि मेरठ प्रशासनिक लापरवाही और भ्रष्टाचार की शिकायतें अब उग्र रूप लेने लगी हैं।
ADM सिटी और ADM FR का हस्तक्षेप—कई घंटे चला ड्रामा
किसान राजीव ने SDM के सामने रोते-रोते जब यह कहा कि “अब मेरा अगला ठिकाना श्मशान घाट होगा”, तब मामला और गंभीर हो गया। SDM ने इसे तुरंत उच्चाधिकारियों तक भेजा और मौके पर ADM सिटी बृजेश सिंह तथा ADM FR सूर्यकान्त त्रिपाठी पहुँचे।
दोनों अधिकारियों ने किसान को आश्वासन दिया कि उसकी शिकायतों की निष्पक्ष जांच कराई जाएगी और न्याय सुनिश्चित किया जाएगा। आखिरकार लंबे प्रयासों के बाद किसान शांत हुआ।
SDM दीक्षा जोशी का बड़ा बयान—“तुरंत फैसला संभव नहीं”
घटना के बाद SDM दीक्षा जोशी ने स्पष्ट किया कि किसान तुरंत फैसले की जिद कर रहा था। जबकि कोर्ट की प्रक्रिया के अनुसार, दोनों पक्षों को सुनना और उसके बाद ही निर्णय देना संभव होता है।
उन्होंने यह भी कहा कि किसान को समझाया गया है कि कानून प्रक्रिया के आधार पर ही निर्णय होगा और किसी भी पक्ष को अन्याय नहीं होगा।
लेकिन इस पूरी घटना ने एक बार फिर सवाल उठाया है कि आखिर मेरठ में रिश्वतखोरी, प्रशासनिक लापरवाही, लेखपाल की मनमानी और जमीन विवाद कब नियंत्रित होंगे।
एक किसान की पीड़ा ने खोली सिस्टम की परतें
मेरठ का यह मामला सिर्फ एक किसान का विवाद नहीं, बल्कि ग्रामीण प्रशासनिक व्यवस्थाओं की गहरी जड़ें पकड़ चुकी समस्याओं का आईना है। किसान का खुलेआम SDM के पैर पकड़ लेना, रोना और श्मशान की धमकी देना बताता है कि **सिस्टम की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर जनता का भरोसा कितनी तेजी से टूट रहा है।**
अब देखना यह है कि मेरठ प्रशासन इस मामले को कितनी गंभीरता से लेता है और क्या किसान राजीव को उसका न्याय वास्तव में मिलता है, या फिर यह भी सिर्फ एक और विवाद बनकर रह जाएगा।
🟢 क्लिक करें और जवाब देखें (FAQ)
किसान राजीव ने SDM के पैर क्यों पकड़ लिए?
किसान के अनुसार, लेखपाल द्वारा गलत रिपोर्ट लगाए जाने और रिश्वत मांगने के बाद भी उसे न्याय नहीं मिला, इसलिए वह भावुक होकर SDM के पैर पकड़कर रोने लगा।
क्या SDM दीक्षा जोशी ने तुरंत फैसला देने से मना किया?
हाँ, SDM ने स्पष्ट किया कि कोर्ट की प्रक्रिया के अनुसार दोनों पक्षों को सुनकर ही निर्णय दिया जा सकता है।
क्या इस मामले में ADM स्तर पर कोई आश्वासन दिया गया?
ADM सिटी और ADM FR दोनों ने किसान को निष्पक्ष जांच का भरोसा दिलाया।
क्या रिश्वतखोरी का मामला जांच के दायरे में आएगा?
किसान की शिकायत दर्ज होने के बाद प्रशासन अब इसकी जांच कराने की तैयारी में है।






