44 ग्राम प्रधानों और सचिवों पर 7.68 करोड़ की वित्तीय अनियमितता, अब होगी जांच

अब्दुल मोबीन सिद्दिकी की रिपोर्ट

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गोंडा जिले में हुए स्पेशल ऑडिट ने पंचायत चुनाव से पहले एक बड़ा प्रशासनिक भूचाल ला दिया है। इस गोंडा स्पेशल ऑडिट में 44 ग्राम प्रधानों, 15 पूर्व प्रधानों और 44 सचिवों की गंभीर ग्राम पंचायत वित्तीय अनियमितता सामने आई है। आरोप है कि इन सभी ने विभिन्न विकास कार्यों के नाम पर कुल 7.68 करोड़ रुपये खर्च तो कर दिए, लेकिन वर्षों से इस सरकारी धन का हिसाब तक नहीं दिया।

ऑडिट टीम द्वारा कई बार नोटिस और मौखिक सूचना देने के बावजूद न तो ये प्रधान और सचिव अभिलेख प्रस्तुत कर पाए और न ही जांच टीम के सामने उपस्थित हुए। ऐसे में जिला प्रशासन ने इसे गंभीर गोंडा पंचायत घोटाला मानते हुए कड़ा रुख अपनाया है।

गोंडा स्पेशल ऑडिट: प्रशासनिक ढिलाई या संगठित लापरवाही?

जांच टीम के अनुसार, ग्राम प्रधान अनियमितता सिर्फ दस्तावेज उपलब्ध न कराने तक सीमित नहीं रही। कई ग्राम पंचायतों में विकास कार्यों के नाम पर फर्जी बिल, बिना कार्यों के भुगतान, घटिया गुणवत्ता और पुराने अभिलेखों में छेड़छाड़ जैसे गंभीर आरोप सामने आए।

जिला पंचायत राज अधिकारी (DPRO) लालजी दूबे ने बताया कि ग्राम पंचायतों के कार्यों का मूल्यांकन करते समय यह स्पष्ट हो गया कि बड़ी मात्रा में सरकारी धन का दुरुपयोग हुआ है। उन्होंने कहा:

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“7.68 करोड़ रुपये से अधिक की राशि का हिसाब न दिया जाना सीधे तौर पर ग्राम पंचायत वित्तीय अनियमितता को दर्शाता है। आरोप सही पाए जाने पर रकम की आधी-आधी वसूली की जाएगी।”

गोंडा डीएम प्रियंका निरंजन की कार्रवाई

जिलाधिकारी प्रियंका निरंजन द्वारा गोंडा स्पेशल ऑडिट रिपोर्ट पर तत्काल कार्रवाई करते हुए संबंधित ग्राम प्रधानों, सचिवों और पूर्व प्रधानों को नोटिस जारी कर दिया गया है। इनमें:

  • 29 ग्राम प्रधान
  • 15 पूर्व ग्राम प्रधान
  • 44 ग्राम सचिव

तीनों श्रेणियों पर समान आरोप हैं—कर्म में लापरवाही, सरकारी धन का दुरुपयोग, अभिलेख न देना, जांच में सहयोग न करना और वित्तीय अनियमितता।

ग्राम प्रधानों और सचिवों पर मुख्य आरोप

  • ग्राम निधि के करोड़ों रुपये का हिसाब न देना
  • विकास कार्यों का दस्तावेजी प्रमाण न प्रस्तुत करना
  • स्पेशल ऑडिट टीम को अभिलेख उपलब्ध न कराना
  • जांच टीम के सामने अनुपस्थित रहना
  • धन का फर्जी या संदिग्ध व्यय

इन आरोपों को देखते हुए यह मामला अब पूर्ण रूप से एक गोंडा पंचायत घोटाला के रूप में उभर रहा है।

किन ग्राम पंचायतों को भेजे गए नोटिस?

**वर्ष 2023–24** में कार्यों का हिसाब न देने वाले ग्राम पंचायत—

उकरा, मुजेहना, इटहिया नवीजोत, पंडरी पारासराय, झूरी कुइंया, भवनीपुर खुर्द, टड़वा गुलाम, बनगांव, नकहरा, सेमरा, रामापुर, ढोढेपुर, कटहा, महादेवा, रेरुवा, देवरदा, ऐली परसौली, परसदा, चांदपुर, बरसड़ा, बेलसर, तामापार, श्रीनगर, पूरेपंडित वंदावन, भवानीपुर कला, बिनुहनी, सिंघवापुर, करुवा, कादीपुर सहित कुल 29 ग्राम पंचायतें

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वर्ष 2018–19 में वित्तीय अनियमितता के आरोपी—

बेलवाबाजार, निबिहा परसपुर, करमडीह, गाड़ा, चुवाड़, बभनीखास, डिडिसिया कला, सेमरीकला, उमरीबेगमगंज, खरगूपुर अमघटी, हरदैयाभटपुरवा, इमरती विसेन, अकबरपुर, रेतादल सिंह जैसी 15 ग्राम पंचायतों के तत्कालीन प्रधान व सचिव।

7.68 करोड़ रुपये की अनियमितता: कैसे हुआ खुलासा?

जिला प्रशासन ने हाल ही में पंचायत चुनाव की पारदर्शिता को ध्यान में रखते हुए गोंडा स्पेशल ऑडिट शुरू करवाया था। ब्लॉक-वार टीमों ने जब अभिलेख मांगे तो:

  • कई पंचायत सचिवों ने दस्तावेज देने से इनकार किया
  • कुछ ने कहा कि कागज़ात खो गए
  • कई प्रधान जांच में उपस्थित ही नहीं हुए
  • कुछ विकास कार्यों के नाम पर लाखों रुपये खर्च दिखाए गए, पर जमीन पर कुछ नहीं मिला

इन सभी तथ्यों ने मिलकर ग्राम पंचायत वित्तीय अनियमितता की पुष्टि कर दी।

डीपीआरओ का बयान: होगी आधी-आधी रकम की वसूली

डीपीआरओ लालजी दूबे ने स्पष्ट कहा:

“संबंधित प्रधानों और सचिवों से 7.68 करोड़ रुपये की आधी-आधी राशि वसूली जाएगी। 7 दिन (सचिव) और 15 दिन (प्रधान) में जवाब नहीं मिला तो कार्रवाई तय है।”

यह बयान प्रशासन की गंभीरता को दर्शाता है और संकेत देता है कि गोंडा पंचायत घोटाला प्रशासन की प्राथमिकता में है।

गोंडा स्पेशल ऑडिट क्यों है महत्वपूर्ण?

क्योंकि यह मामला सिर्फ एक जिले की वित्तीय अनियमितता नहीं, बल्कि ग्रामीण विकास योजनाओं की पारदर्शिता से जुड़ा है। यदि ग्राम पंचायत स्तर पर ही करोड़ों रुपये की बंदरबांट हो रही है, तो ग्रामीणों तक विकास कैसे पहुंचेगा?

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इसके अलावा, चुनावी सीजन में इस तरह की गोंडा पंचायत घोटाला प्रकार की रिपोर्ट जनता के बीच प्रशासनिक दख़ल और पारदर्शिता को मजबूत करती है।

अगला कदम: क्या होगा आगे?

जिला प्रशासन ने साफ कर दिया है कि:

  • जवाब न देने वालों पर FIR दर्ज हो सकती है
  • सरकारी धन की रिकवरी अनिवार्य है
  • भ्रष्ट ग्राम प्रधानों की पंचायत निधि रोक दी जाएगी
  • जिम्मेदार सचिवों पर विभागीय कार्रवाई होगी

इससे स्पष्ट है कि गोंडा स्पेशल ऑडिट सिर्फ औपचारिक जांच नहीं, बल्कि एक बड़ी प्रशासनिक कार्रवाई का संकेत है।


📌 क्लिकेबल सवाल-जवाब (FAQ)

गोंडा स्पेशल ऑडिट क्या है?

यह पंचायतों में हुए वित्तीय कार्यों का विशेष लेखा-परीक्षण है जिसमें करोड़ों की अनियमितताएँ सामने आई हैं।

कितने ग्राम प्रधान और सचिव जांच के घेरे में हैं?

44 ग्राम प्रधान/सचिव, 15 पूर्व प्रधान और कुल 44 सचिवों पर कार्रवाई की जा रही है।

कुल कितनी रकम की अनियमितता सामने आई?

लगभग 7.68 करोड़ रुपये।

क्या इन पर कानूनी कार्रवाई होगी?

हाँ, जवाब न मिलने पर रिकवरी, विभागीय कार्रवाई और FIR तक की संभावना है।

किसे नोटिस जारी किए गए?

29 ग्राम प्रधानों, 15 पूर्व प्रधानों और 44 सचिवों को।

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