कामवन दर्शन करने पहुँचे नीदरलैंड के कृष्ण भक्त, राधाकुण्ड में कर रहे दीर्घ ब्रजवास

हिमांशु मोदी की रिपोर्ट

Red and Blue Geometric Patterns Medical Facebook Post_20251110_094656_0000
previous arrow
next arrow

ब्रजभूमि की आध्यात्मिक महिमा विश्वभर में प्रसिद्ध है और इसी दिव्यता का अनुभव करने के लिए निरंतर विदेशी भक्तों का आगमन होता रहता है। ऐसे ही नीदरलैंड से आए कृष्ण भक्त पिछले पंद्रह वर्षों से राधाकुण्ड में ब्रजवास कर रहे हैं और इस बार जब उन्होंने कामवन दर्शन किए तो उनका उत्साह और भक्ति दोनों देखते ही बनते थे। 84 कोस परिक्रमा के दौरान कामवन पहुंचकर उन्होंने यहां स्थित प्राचीन लीलास्थलियों के दिव्य अनुभवों को आत्मसात किया।

उनके साथ आए समूह ने भी कामवन दर्शन के महत्व को समझते हुए उत्साहपूर्वक हर तीर्थ, हर स्थान और हर शिला पर गहरे भावों के साथ प्रणाम किया। दुभाषिये की मदद से हुई वार्ता में विमल बिहारी के सेवाअधिकारी पंडित संजय लवानियां ने बताया कि संपूर्ण ब्रजमंडल को रसिक संतों ने बैकुंठ से भी श्रेष्ठ माना है। इस दिव्य भूमि में जहां-जहां श्यामसुंदर ने अपने चरण रखे, वे सभी स्थल आज भी भक्तों को नित्य लीला के साक्षात दर्शन कराते हैं।

कामवन दर्शन: ब्रजभूमि की दिव्यता का अद्वितीय अनुभव

पंडित संजय लवानियां ने बताया कि ब्रजभूमि में नित्य लीला कभी समाप्त नहीं होती। वृंदावन, गोवर्धन, कामवन, राधाकुण्ड के हर पग पर कृष्ण की अनंत लीलाओं की प्रतिध्वनि सुनाई देती है। जब विदेशी भक्तों ने कामवन दर्शन प्रारंभ किए, तभी से उनके चेहरे पर वियोग और मिलन दोनों का अनूठा भाव दिखाई दे रहा था।

इसे भी पढें  डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम जयंती 2025 : सर्वोदय पब्लिक स्कूल, आजमगढ़ में ‘विज्ञान और प्रेरणा’ का संगम

कामवन की पवित्र वायु में बहती शीतलता, वृक्षों पर झूलती लताओं का हिलना, मोर और बंदरों की चंचलता, यमुना का कलकल प्रवाह—सब कुछ मानो भक्तों को श्रीकृष्ण के काल में ले जाता है। ऐसा लगता है जैसे हवाओं में भी कृष्ण की बांसुरी के स्वर घुल जाते हों। इसी वातावरण का आनंद लेते हुए नीदरलैंड के भक्तों ने कामवन दर्शन को अपनी परिक्रमा का सर्वोपरि क्षण बताया।

84 कोस परिक्रमा के मध्य कामवन दर्शन का विशेष महत्व

84 कोस परिक्रमा ब्रज का सबसे प्राचीन और व्यापक आध्यात्मिक अनुष्ठान है। यह परिक्रमा तब तक पूर्ण नहीं मानी जाती जब तक भक्त कामवन दर्शन न कर लें। नीदरलैंड से आए भक्तों के लिए यह आध्यात्मिक यात्रा एक अविस्मरणीय अनुभव बन गई।

उन्होंने बताया कि कामवन दर्शन के दौरान उन्हें ऐसा लगा मानो श्रीकृष्ण अपनी बाल-सखाओं के साथ वही पुरानी लीलाएँ कर रहे हों—गोपियों का मार्ग रोकना, दधि का दान माँगना, सखाओं के साथ क्रीड़ाएँ करना, वृक्षों पर चढ़ना, खेतों में दौड़ना… सब कुछ मानो सहज रूप से उनके मन में जीवंत हो उठा।

ब्रज में विश्वभर से आ रहे श्रद्धालु—क्यों लोकप्रिय हो रहा है कामवन?

तीर्थराज कामवन में प्रतिदिन देश और विदेश से हजारों कृष्ण भक्त कामवन दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं। मालदा, मायापुर, दक्षिण 24 परगना, कोलकाता, हुगली, नवद्वीप धाम, उड़ीसा, गुजरात, केरल, चेन्नई, हैदराबाद, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, मध्यप्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश, आंध्रप्रदेश ही नहीं, बल्कि नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, रूस, फ्रांस, अमेरिका, कनाडा, ब्राजील, कंबोडिया और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं।

सभी भक्तों का एक ही उद्देश्य रहता है—कामवन दर्शन कर श्रीकृष्ण की लीलास्थलियों का स्पर्श करना और अपने जीवन को सफल बनाना। यह स्थान केवल भक्ति का केंद्र नहीं बल्कि अध्यात्म, इतिहास और सांस्कृतिक धरोहर का अद्भुत संगम है।

इसे भी पढें  आफत की बारिश : किसानों के सपने खेतों में बहे, आंखों के आंसू भी सूख गए

कामवन की प्रमुख लीलास्थलियाँ—दर्शन का अमूल्य अवसर

नीदरलैंड के भक्तों ने अपनी यात्रा में कामवन स्थित प्रमुख तीर्थों का गहन भाव से दर्शन किया। इनमें शामिल हैं—

  • विमलकुण्ड
  • विमल बिहारी जी
  • चरण पहाड़ी
  • भोजन थाली
  • खिसलनी शिला
  • भामासुर की गुफा
  • सेतुबन्ध रामेश्वर
  • लंका-यशोदा
  • गया कुण्ड
  • कामेश्वर महादेव
  • पंचमुखी महादेव
  • पांच पांडव स्थल
  • वृन्दादेवी
  • गोपीनाथजी
  • गोविन्ददेव जी
  • चौरासी खम्भा
  • गोकुल चन्द्रमा जी
  • मदनमोहन जी

हर स्थान पर भक्तों ने कामवन दर्शन से प्राप्त दिव्यता को अपने हृदय में संजोया। उनके अनुसार यहां की हर शिला, हर वृक्ष और हर पगडंडी श्रीकृष्ण की लीलाओं का प्रमाण देती है।

नीदरलैंड के भक्तों ने क्यों चुना आजीवन ब्रजवास?

पंद्रह वर्ष से लगातार राधाकुण्ड में ब्रजवास कर रहे भक्तों ने बताया कि ब्रज की ऊर्जा इतनी अलौकिक है कि एक बार जिसे इसका स्पर्श मिल जाए, वह फिर कहीं और नहीं जा सकता। उन्होंने कहा—

“कामवन दर्शन केवल एक यात्रा नहीं, बल्कि आत्मा की पुनर्स्मृति है। जब हम कामवन की मिट्टी को स्पर्श करते हैं, ऐसा लगता है जैसे युगों बाद अपने ही घर लौट आए हों।”

उन्होंने कहा कि ब्रज में बिताया हर दिन उनके जीवन को नया अर्थ देता है। चाहे वृंदावन की गलियाँ हों या कामवन की सुरम्य वन-शोभा—हर जगह उनका मन अपने पर्वत के शिखर पर खड़ा महसूस होता है।

कामवन दर्शन क्यों बन गया है विश्वभक्ति का केंद्र?

आज समूचे विश्व में कामवन दर्शन का महत्व तेजी से बढ़ रहा है। इसका मुख्य कारण है—यहां की आध्यात्मिक गहराई, ऐतिहासिक पवित्रता और सांस्कृतिक जड़ें।

विदेशी भक्तों का कहना है कि दुनिया में अनेक पवित्र स्थान हैं लेकिन कामवन जैसी दिव्यता कहीं नहीं मिलती। यहां आकर ऐसा लगता है कि मानो समय ठहर गया हो और आप श्रीकृष्ण की गोपियों से सजी गलियों में स्वयं खड़े हों।

इसे भी पढें  कामां में रामलीला मंचन का अद्भुत संगम : शरभंग ऋषि संवाद से लेकर सूर्पनखा अभिनय तक दर्शक हुए मंत्रमुग्ध

कामवन दर्शन: आध्यात्मिक पर्यटन का उभरता केंद्र

जैसे-जैसे कामवन की ख्याति विश्वभर में फैल रही है, वैसे-वैसे यहां आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या भी बढ़ रही है। धार्मिक पर्यटन, आध्यात्मिक अनुसंधान, सांस्कृतिक अन्वेषण—हर दृष्टि से कामवन दर्शन एक आकर्षण का केंद्र बन चुका है।

ब्रज की अनूठी संस्कृति, गोप-गोपियों की परंपराएँ, लोकगीत, भजन और अखंड कीर्तन इस यात्रा को और भी अलौकिक बना देते हैं।

कामवन दर्शन से भारतीय संस्कृति को मिला वैश्विक स्वर

नीदरलैंड के भक्तों सहित अनेक विदेशी श्रद्धालुओं ने स्वीकार किया कि भारतीय संस्कृति में निहित आध्यात्मिकता का कोई दूसरा विकल्प विश्व में नहीं। यह संस्कृति केवल दर्शन नहीं कराती बल्कि आत्मा को शुद्ध करती है।

यही कारण है कि कामवन दर्शन विश्वभर के भक्तों का सबसे प्रिय आध्यात्मिक केंद्र बनता जा रहा है।

कामवन दर्शन: अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

कामवन दर्शन का आध्यात्मिक महत्व क्या है?

कामवन दर्शन कृष्ण लीलाओं के प्रमुख स्थलों का दर्शन करवाता है। इसे ब्रज की नित्य लीला का केंद्र माना गया है।

क्या विदेशी भक्त भी नियमित रूप से कामवन दर्शन करते हैं?

हाँ, नीदरलैंड, रूस, फ्रांस, ब्राजील, अमेरिका सहित अनेक देशों से भक्त प्रतिदिन कामवन दर्शन के लिए आते हैं।

क्या 84 कोस परिक्रमा बिना कामवन दर्शन के पूर्ण होती है?

परंपरा के अनुसार 84 कोस परिक्रमा तभी पूर्ण मानी जाती है जब भक्त कामवन दर्शन अवश्य करें।

कामवन की प्रमुख लीलास्थलियाँ कौन-कौन सी हैं?

विमलकुण्ड, चरण पहाड़ी, भोजन थाली, खिसलनी शिला, भामासुर गुफा, गोविंददेव जी, पंचमुखी महादेव आदि।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Language »
Scroll to Top