
संजय कुमार वर्मा की रिपोर्ट
बेटा बड़कू विवाद क्यों चर्चा में है?
उत्तर प्रदेश की राजनीति में राजा भैया यानी रघुराज प्रताप सिंह हमेशा एक अलग पहचान रखते हैं। वे कुंडा (प्रतापगढ़) सीट से निर्दलीय विधायक हैं और अपने प्रभावशाली कद-काठी व दबंग छवि के कारण लंबे समय से सुर्खियों में रहते आए हैं।
लेकिन इस बार मामला राजनीतिक रणनीति या चुनाव का नहीं, बल्कि उनके परिवार का विवाद है, जिसे उनके ही बेटे ने सोशल मीडिया पर सामने ला दिया। सबसे ज्यादा चर्चा में आया शब्द है “बेटा बड़कू”, जो अब इस पूरे मामले का प्रतीक बन गया है।
बेटा बड़कू की पोस्ट और उसका असर
राजा भैया के बड़े बेटे बृजराज प्रताप सिंह, जिन्हें सोशल मीडिया पर लोग अब “बेटा बड़कू” कहकर बुला रहे हैं, ने X (पहले ट्विटर) पर एक लंबा पोस्ट किया।
उन्होंने लिखा:
“जय सियाराम, मां हैं, ये सोचकर अब तक चुप रहे लेकिन अब पानी सिर के ऊपर जा चुका है।”
“जब हमारी आजी अस्पताल में भर्ती हैं और लगातार सर्जरी हो रही है, उसी समय हमारी मम्मा ने परिवार की इज्जत सड़क पर उछालने का रास्ता चुना।”
“दाऊ (राजा भैया) ने हमेशा गरिमा का मान रखा, लेकिन मां ने नौकरों तक पर केस दर्ज करवा दिए।”
यह पोस्ट तुरंत वायरल हो गया और देखते ही देखते “बेटा बड़कू” ट्विटर/X का टॉप ट्रेंड बनने लगा।
भानवी सिंह का पलटवार – मां का दर्द
बेटे के पोस्ट का जवाब देने में भानवी सिंह भी पीछे नहीं रहीं। उन्होंने X पर लिखा:
“पूत कपूत सुने हैं, पर न माता सुनी कुमाता।”
“मुझे भरोसा नहीं हो रहा कि मेरा कोई बेटा कपूत भी हो सकता है।”
उन्होंने आगे गंभीर आरोप लगाए—
1. उनके मुताबिक राजा भैया ने उनकी ही बहन के साथ अवैध संबंध बनाए।

2. उनका जीवन और उनकी बहन का जीवन बर्बाद कर दिया गया।
3. राजा भैया के पास अवैध विदेशी हथियारों का जखीरा है, जो देश की सुरक्षा के लिए खतरा हो सकता है।
4. उनके लाइसेंसी हथियार भी उनसे जबरन छीन लिए गए।
इतना ही नहीं, भानवी सिंह ने यह शिकायत सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) तक पहुंचाई, जिससे मामला और गरम हो गया।
बेटा बड़कू और छोटे भाई शिवराज एकजुट
बेटा बड़कू के छोटे भाई शिवराज प्रताप सिंह ने भी X पर पोस्ट करके पिता का समर्थन किया। उन्होंने लिखा:
“संपत्ति और रुपयों की चाह में मम्मा ने सोशल मीडिया और मीडिया के जरिए दाऊ की बदनामी शुरू कर दी है।”
“मैं और मेरा भाई हमेशा मां-बाप को साथ लाने की कोशिश करते रहे, लेकिन मां ने किसी की बात नहीं मानी।”
“मां के पास दाऊ से ज्यादा संपत्ति है, फिर भी वे लगातार अदालतों में महंगे वकील खड़ा कर रही हैं।”
यानी दोनों बेटे इस विवाद में अपने पिता राजा भैया के पक्ष में खड़े दिखाई दे रहे हैं।
अगला टार्गेट कौन?
बेटा बड़कू ने अपनी पोस्ट में यह भी लिखा कि, “शायद हम दोनों भाई ही मम्मा का अगला टार्गेट होंगे। लेकिन हमें किसी ट्रोल आर्मी से डर नहीं है। हम अपने पिता और सत्य के साथ खड़े रहेंगे।”
यह बयान दर्शाता है कि विवाद केवल पति-पत्नी तक सीमित नहीं है, बल्कि बच्चों को भी सीधे-सीधे इसमें खींच लिया गया है।
राजनीति में असर – क्यों महत्वपूर्ण है बेटा बड़कू विवाद?
1. राजा भैया की छवि
राजा भैया की गिनती उत्तर प्रदेश के सबसे प्रभावशाली नेताओं में होती है। उनका परिवार मीडिया और जनता के बीच अक्सर चर्चा में रहता है। ऐसे में परिवारिक विवाद का सार्वजनिक होना उनकी राजनीतिक छवि पर असर डाल सकता है।
2. सोशल मीडिया का मंच
बेटा बड़कू विवाद ने दिखा दिया है कि अब बड़े राजनीतिक परिवार भी सोशल मीडिया को हथियार बना रहे हैं। पहले तक घर की बातें पर्दे के पीछे रहती थीं, लेकिन अब हर मुद्दा सीधे जनता के सामने आ रहा है।
3. कानूनी पहलू
भानवी सिंह ने विदेशी हथियारों का मुद्दा उठाया है। यह आरोप सामान्य नहीं है, बल्कि सीधे राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा है। अगर इसमें सच्चाई मिलती है तो राजा भैया के लिए कानूनी मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
परिवारिक साख और निजी जिंदगी
ट्रांज़िशन वर्ड का प्रयोग करते हुए कहा जा सकता है कि—
एक तरफ, भानवी सिंह खुद को पीड़ित और उपेक्षित साबित कर रही हैं।
दूसरी तरफ, बेटा बड़कू और शिवराज अपने पिता की छवि बचाने के लिए खुलकर खड़े हैं।
नतीजतन, यह विवाद केवल घर की चारदीवारी तक सीमित नहीं रहा, बल्कि मीडिया और जनता की अदालत तक जा पहुंचा है।
सोशल मीडिया पर जन प्रतिक्रिया
कुछ लोग बेटा बड़कू के समर्थन में लिख रहे हैं कि बेटों को पिता के साथ खड़ा होना चाहिए।
वहीं, कई लोग भानवी सिंह की पोस्ट को गंभीर मानते हुए उनके साहस की सराहना कर रहे हैं।
राजनीतिक विरोधी इसे राजा भैया की छवि पर हमला करने का अवसर मान रहे हैं।
बेटा बड़कू विवाद सिर्फ एक पारिवारिक झगड़ा नहीं है, बल्कि राजनीति, कानून, समाज और व्यक्तिगत रिश्तों का मिला-जुला रूप है।
राजा भैया की पत्नी भानवी सिंह गंभीर आरोपों के साथ सामने आई हैं।
उनके बेटे बेटा बड़कू (बृजराज प्रताप सिंह) और शिवराज प्रताप सिंह पिता के समर्थन में उतर आए हैं।
सोशल मीडिया पर यह जंग लगातार तूल पकड़ रही है।
अब देखना यह है कि यह मामला अदालत और राजनीति के गलियारों में क्या नया मोड़ लेता है।
