हिमांशु मोदी की रिपोर्ट
कोसीकलां/कामवन (मथुरा)। ब्रजभूमि में हर शुक्रवार आयोजित होने वाली पारंपरिक 84 कोस ब्रज यात्रा इस बार भी दिव्यता और भक्ति के रंग में रंगी नजर आई। राधारानी तीर्थयात्रा मंडल बलदेव गंज कोसीकलां के पावन सानिध्य में देशभर से आए सैकड़ों कृष्ण भक्तों ने तीर्थराज विमलकुण्ड में विराजित विमल बिहारी मंदिर के दर्शन और पूजन कर स्वयं को धन्य किया। सुबह से ही भक्तों की लंबी कतारें इस बात की गवाही दे रही थीं कि 84 कोस ब्रज यात्रा की परंपरा आज भी उतनी ही जीवंत है जितनी सदियों पहले थी।
मंदिर के सेवायत साकेत लवानिया ने उपस्थित भक्तों को विमलकुण्ड का आध्यात्मिक महत्व बताते हुए कहा कि यह धाम कामवन की आत्मा माना जाता है। यहां महर्षि दुर्वासा, कई सिद्ध ऋषि-महर्षि और स्वयं पांडवों ने तपस्या कर दिव्य सिद्धियां प्राप्त की थीं। लवानिया ने बताया कि 84 कोस ब्रज यात्रा करने वाले प्रत्येक यात्री के लिए विमलकुण्ड में स्नान, दर्शन और परिक्रमा अत्यंत फलप्रद मानी जाती है।
तीर्थराज विमलकुण्ड—कामवन धाम का आध्यात्मिक हृदय
विमलकुण्ड ब्रज के अत्यंत पवित्र एवं ऐतिहासिक तीर्थों में से एक है। इसे तीर्थराज की उपाधि इसलिए प्राप्त है क्योंकि यहां ब्रह्मांड के दिव्य संतों ने अपने तप और योग से ब्रज को आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान की। मान्यता है कि 84 कोस ब्रज यात्रा में यदि कोई यात्री विमलकुण्ड के दर्शन-पूजन के बिना आगे बढ़ता है, तो उसकी परिक्रमा अधूरी मानी जाती है।
कुण्ड के चारों ओर फैली हरियाली, शांत जल और मंदिर की आध्यात्मिक वाणी भक्तों को ऐसा अनुभव कराती है मानो स्वयं श्रीकृष्ण पास खड़े होकर भक्ति का आशीर्वाद दे रहे हों।
84 कोस ब्रज यात्रा—प्राचीन ऋषि परंपरा का जीवंत स्वरूप
84 कोस की परिधि में फैली इस यात्रा में ब्रज के उन सभी स्थलों के दर्शन किए जाते हैं जहां श्रीकृष्ण व राधारानी की लीलाएं घटित हुईं। ब्रज यात्रा केवल पैदल यात्रा ही नहीं बल्कि भक्ति, शांति, श्रद्धा और आध्यात्मिकता का अनूठा संगम है।
यात्रा के दौरान भक्त 12 वनों, 24 उपवनों, 84 कुण्डों और सैकड़ों मंदिरों की परिक्रमा करते हैं। कामवन, वृंदावन, नंदगांव, गोकुल, बरसाना और गोवर्धन जैसे मुख्य धाम इस यात्रा की विशेष आत्मा हैं।
कामवन धाम में श्रद्धालुओं ने किए दिव्य अवलोकन
कामवन धाम में विराजित गोविंददेव जी, गोपीनाथ जी, चौरासी खम्भा, गयाकुण्ड, श्रीकुण्ड, कामेश्वर महादेव, पंच पांडव, धर्मराज जी, चित्रगुप्त मंदिर, चरण पहाड़ी और भोजन थाली जैसी दिव्य स्थली देखकर भक्त अभिभूत हो उठे।
इसके अलावा भामासुर गुफा, दाऊजी चरण, मुकुट स्थल, कठला, खिसलनी शिला, लंका स्थल, सेतुबंध रामेश्वर और अन्य स्थानों ने यात्रियों को श्रीकृष्ण के अद्भुत इतिहास में डुबो दिया।
कई भक्तों ने कहा कि 84 कोस ब्रज यात्रा के दौरान कामवन वह स्थान है जहां व्यक्ति स्वयं को दिव्यता के सबसे निकट महसूस करता है।
विमलकुण्ड से बरसाना धाम तक—भक्ति की अगली मंज़िल
पूजन-अर्चन और परिक्रमा पूर्ण करने के बाद भक्तों ने बरसाना धाम के लिए प्रस्थान किया। यहां लाड़िलीजी (राधारानी) के पावन दर्शनों का अवसर उन्हें प्राप्त होगा। यात्रा संयोजकों के अनुसार इस बार 84 कोस ब्रज यात्रा में अपेक्षाकृत अधिक श्रद्धालु शामिल हुए, जिससे कोसीकलां, कामवन और बरसाना मार्ग पर दिव्य उत्साह दिखाई दिया।
यात्रियों का कहना था कि ब्रज की धूल, वृक्ष, पथ और वातावरण में ऐसी आध्यात्मिक शक्ति है जो मन, बुद्धि और आत्मा को पूर्ण शांति प्रदान करती है।
ब्रज यात्रा क्यों है इतना लोकप्रिय?
84 कोस ब्रज यात्रा की लोकप्रियता का सबसे बड़ा कारण यह है कि यहां हर कदम पर भक्त को श्रीकृष्ण की लीलाओं का प्रत्यक्ष अनुभव होता है। यहां की संस्कृति, लोक परंपराएं, मंदिर, संगीत और भजन वातावरण को पूर्णतः कृष्णमय बना देते हैं।
धार्मिक दृष्टि से माना गया है कि इस यात्रा के दौरान किए गए प्रत्येक कदम से जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट होते हैं और व्यक्ति को मोक्ष का मार्ग प्राप्त होता है। इसी कारण लाखों श्रद्धालु हर वर्ष इस यात्रा में शामिल होकर ब्रजभूमि से दिव्यता का प्रसाद ग्रहण करते हैं।
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84 कोस ब्रज यात्रा कितने दिनों में पूरी होती है?
यह यात्रा अलग-अलग समूहों के अनुसार 7 से 14 दिनों में पूरी की जाती है।
विमलकुण्ड को तीर्थराज क्यों कहा जाता है?
यहां महर्षियों और पांडवों ने तप किया था। इसे कामवन का आध्यात्मिक केंद्र माना गया है।
कामवन धाम में कौन-कौन से मुख्य स्थल हैं?
गोविंददेव जी, चौरासी खम्भा, गयाकुण्ड, कामेश्वर महादेव, भामासुर गुफा और चरण पहाड़ी मुख्य स्थल हैं।
ब्रज यात्रा कब शुरू होती है?
साप्ताहिक ब्रज यात्रा हर शुक्रवार आयोजित की जाती है जबकि वार्षिक यात्रा कार्तिक मास में होती है।
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