
📰 संजय सिंह राणा की रिपोर्ट
चित्रकूट: जिले में स्वास्थ्य सुविधाओं की बदहाली को लेकर युवा व्यापारी नेता और समाजसेवी विनोद प्रिंस केसरवानी ने शासन, प्रशासन और जनप्रतिनिधियों पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उनके बयान के बाद से ही चित्रकूट स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर जिलेभर में चर्चा तेज हो गई है।
विनोद प्रिंस केसरवानी ने कहा कि चित्रकूट जिला अस्पताल आज “रेफर सेंटर” बनकर रह गया है, जहां मरीजों का सही तरीके से इलाज नहीं हो रहा है। कोई भी दुर्घटनाग्रस्त मरीज अस्पताल पहुंचता है तो तुरंत ही उसे प्रयागराज या सतना रेफर कर दिया जाता है। कई मरीज इलाज के अभाव में रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं।
चित्रकूट अस्पताल की हालत चिंताजनक — विनोद प्रिंस केसरवानी
उन्होंने बताया कि चित्रकूट से प्रयागराज की दूरी लगभग 120 किलोमीटर और सतना की दूरी 100 किलोमीटर से ज्यादा है। इतनी लंबी दूरी में मरीजों की जान खतरे में रहती है। चित्रकूट स्वास्थ्य सेवाओं की इस बदहाली पर उन्होंने शासन से आग्रह किया कि जिला अस्पताल में डॉक्टरों की तैनाती तत्काल की जाए और इसे “रेफर सेंटर” न बनाया जाए।
विनोद प्रिंस केसरवानी ने मांग की कि खोह अस्पताल चित्रकूट में एक ट्रामा सेंटर खोला जाए ताकि दुर्घटना पीड़ित मरीजों को तुरंत उपचार मिल सके। उन्होंने कहा कि आम जनता को बार-बार रेफर की प्रक्रिया से मुक्ति दिलाने की आवश्यकता है।
13 नवंबर को शहीद पार्क में जनता संग पैदल मार्च
स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर उठाए गए सवालों के समर्थन में 13 नवंबर 2025विनोद प्रिंस केसरवानी की अगुवाई में आम जनमानस जिलाधिकारी चित्रकूट को ज्ञापन सौंपेगा और स्वास्थ्य सुविधाओं को सुधारने की मांग करेगा।
“जीत आपकी चलो गांव की ओर” अभियान से जुड़े संजय सिंह राणा भी हुए मुखर
स्वास्थ्य सेवाओं की खस्ताहालत को लेकर जीत आपकी चलो गांव की ओर जागरूकता अभियान के संस्थापक व अध्यक्ष संजय सिंह राणा ने भी गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि सिर्फ जिला चिकित्सालय चित्रकूट ही नहीं, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC) भी बदहाल हैं।
राणा ने बताया कि जिले के पठारी क्षेत्रों सहित कई इलाकों में लोग इलाज के लिए दर-दर भटक रहे हैं। स्वास्थ्य केंद्रों में न दवाएं हैं, न डॉक्टर, और न ही आवश्यक संसाधन। चित्रकूट स्वास्थ्य सुविधाएं नाम मात्र की रह गई हैं।
प्राइवेट अस्पतालों की भरमार, लेकिन इलाज आम आदमी की पहुंच से दूर
उन्होंने कहा कि चित्रकूट जिले में सरकारी अस्पतालों की लचर स्थिति का फायदा उठाकर कई प्राइवेट अस्पताल खुल गए हैं। लेकिन इनका खर्च उठाना आम जनता के लिए असंभव है। गंभीर मरीजों को फिर भी प्रयागराज, लखनऊ या कानपुर तक जाना पड़ता है।
“यह बेहद चिंताजनक है कि जिला बनने के 28 साल बाद भी चित्रकूट स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार नहीं हुआ। जिला 1997 में बांदा से अलग हुआ था, लेकिन आज भी डॉक्टरों की कमी, संसाधनों का अभाव और रेफर कल्चर जिले की सबसे बड़ी समस्या है।” — संजय सिंह राणा
ग्रामीण इलाकों में बंद पड़े अस्पताल, जनता में गुस्सा
जिले के कई ग्रामीण क्षेत्रों में अस्पताल बंद पड़े हैं। जहां खुले भी हैं, वहां न दवाएं हैं, न चिकित्सक। स्वास्थ्य केंद्रों की इस स्थिति से आम आदमी इलाज के अभाव में दम तोड़ रहा है।
चित्रकूट स्वास्थ्य संकट पर आम जनमानस में आक्रोश है और लोग अब सामूहिक रूप से प्रशासन से जवाब मांग रहे हैं। कई सामाजिक संगठनों ने स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार के लिए आंदोलन में शामिल होने की घोषणा की है।
जनता की आवाज़ — सुधार की उम्मीद
जनप्रतिनिधियों से लेकर प्रशासन तक अब लोगों की निगाहें टिकी हैं। जनता की यह मांग है कि जिला अस्पताल में विशेषज्ञ डॉक्टरों की तैनाती की जाए, दवाओं की व्यवस्था सुधारी जाए और हर प्राथमिक केंद्र में चिकित्सक व स्टाफ की उपस्थिति सुनिश्चित की जाए।
चित्रकूट स्वास्थ्य सुविधाओं पर उठे इन सवालों ने न केवल जिले के प्रशासन को सोचने पर मजबूर किया है बल्कि पूरे बुंदेलखंड में स्वास्थ्य सुधार को लेकर नई बहस छेड़ दी है।
🟢 जनहित के प्रमुख मुद्दे — चित्रकूट स्वास्थ्य सुविधाएं पर उठे सवाल
- चित्रकूट जिला अस्पताल “रेफर सेंटर” बन गया है।
- खोह अस्पताल में ट्रामा सेंटर की मांग।
- ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टरों और दवाओं की कमी।
- प्राइवेट अस्पतालों का बढ़ता बोलबाला।
- सरकारी अस्पतालों की हालत चिंताजनक।
- जनता में आक्रोश और आंदोलन की तैयारी।
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❓चित्रकूट जिला अस्पताल को रेफर सेंटर क्यों कहा जा रहा है?
क्योंकि यहां अधिकांश मरीजों का उपचार नहीं किया जाता और उन्हें प्रयागराज या सतना रेफर कर दिया जाता है। इलाज के अभाव में कई मरीज रास्ते में दम तोड़ देते हैं।
❓विनोद प्रिंस केसरवानी की मुख्य मांग क्या है?
उनकी मांग है कि चित्रकूट जिला अस्पताल में डॉक्टरों की पर्याप्त तैनाती की जाए और खोह अस्पताल में ट्रामा सेंटर स्थापित किया जाए।
❓संजय सिंह राणा ने स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर क्या कहा?
उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों के PHC और CHC की हालत बहुत खराब है। वहां दवाएं और डॉक्टर दोनों की भारी कमी है।
❓जनता आंदोलन कब और कहां होगा?
13 नवंबर 2025, गुरुवार को शहीद पार्क, एलआईसी तिराहा (चित्रकूट) में जनसभा होगी। वहां से जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा जाएगा।
❓क्या प्रशासन ने अब तक कोई कार्रवाई की?
अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है, लेकिन जनदबाव बढ़ने के बाद उम्मीद है कि शासन इस दिशा में कदम उठाएगा।
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संजय राणा जी बहुत सुंदर लेख लिखा स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर सभी को आगे आना चाहिए। यह सिर्फ कागजों में आकांक्षी जनपद घोषित है धरातल पर नहीं। चित्रकूट एक खनन क्षेत्र है यहां से सरकार सिर्फ राजस्व वसूल रही है और कुछ नहीं व्यवस्था विकास के नाम पर जीरो है। संजय राणा जी बहुत-बहुत बधाई अपने बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर सुंदर लेख लिखा है।