 
अर्जुन वर्मा की रिपोर्ट
देवरिया समाचार: माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद के निर्देश पर राजकीय बाल गृह देवरिया में बुधवार को न्यायाधीशगणों ने औचक निरीक्षण किया। यह निरीक्षण बाल संरक्षण, स्वच्छता, खान-पान और बच्चों की सुरक्षा व्यवस्थाओं की समीक्षा के उद्देश्य से किया गया। राजकीय बाल गृह देवरिया निरीक्षण के दौरान कई अहम दिशा-निर्देश दिए गए ताकि संस्थान में रह रहे बच्चों को बेहतर सुविधाएं मिल सकें।
निरीक्षण दल में अध्यक्ष, अनुश्रवण समिति आश्रय गृह (बालक) एवं अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री रवि यादव, सदस्य एवं सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण देवरिया श्री मनोज कुमार तिवारी, सदस्य एवं मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट श्रीमती मंजू कुमारी तथा सदस्य एवं सिविल जज (जू0डी0) कुमारी मृणालिनी श्रीवास्तव शामिल थीं। इनके साथ जिला परिवीक्षा अधिकारी श्री अनिल कुमार सोनकर और राजकीय बाल गृह देवरिया के प्रभारी अधीक्षक भी उपस्थित रहे।
राजकीय बाल गृह देवरिया निरीक्षण: पौष्टिक भोजन और सफाई पर दिया गया जोर
निरीक्षण के दौरान अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री रवि यादव ने बच्चों के लिए पौष्टिक भोजन और समय-समय पर उचित खान-पान की व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। उन्होंने राजकीय बाल गृह देवरिया के प्रपत्रों का अवलोकन किया और पाई गई अव्यवस्थाओं को दूर करने के लिए सख्त आदेश दिए। उन्होंने कहा कि “बाल गृह बच्चों का दूसरा घर है, यहाँ की स्वच्छता और भोजन की गुणवत्ता सर्वोपरि होनी चाहिए।”
मनोज कुमार तिवारी ने भोजन की गुणवत्ता की स्वयं की जांच
सदस्य अनुश्रवण समिति एवं सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण श्री मनोज कुमार तिवारी ने बाल गृह के भोजनालय में बच्चों के लिए बन रहे भोजन का स्वयं स्वाद लेकर निरीक्षण किया। उन्होंने निर्देश दिया कि बच्चों को समय-समय पर ताजे फल और स्वच्छ कपड़े उपलब्ध कराए जाएं। साथ ही, बाल गृह परिसर में सफाई और हाइजीन पर विशेष ध्यान देने की बात कही।
स्वास्थ्य और सुरक्षा पर विशेष निर्देश
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट श्रीमती मंजू कुमारी ने बच्चों के स्वास्थ्य की नियमित जांच और उनकी सुरक्षा व्यवस्था को और सुदृढ़ करने के लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया। उन्होंने कहा कि राजकीय बाल गृह देवरिया में रहने वाले सभी बच्चों की मासिक स्वास्थ्य जांच अनिवार्य रूप से होनी चाहिए।
शिक्षा और स्वच्छता व्यवस्था को किया सुदृढ़
सिविल जज (जू0डी0) कुमारी मृणालिनी श्रीवास्तव ने बाल गृह के अध्ययन कक्ष, भंडार कक्ष और परिसर का गहन निरीक्षण किया। उन्होंने पठन-पाठन की व्यवस्था को और मजबूत करने के निर्देश दिए। साथ ही कहा कि बच्चों की शिक्षा में किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
बाल गृह से पलायित बच्चों पर गहन पूछताछ
निरीक्षण के दौरान न्यायाधीशगणों ने हाल ही में बाल गृह से पलायित तीन बच्चों के मामले में विस्तृत जानकारी ली। अधिकारियों ने बताया कि तीन में से एक बच्चा पुनः बाल गृह में संवासित कर लिया गया है जबकि दो बच्चों को वापस लाने का प्रयास जारी है। इस पर न्यायाधीशगणों ने शेष बच्चों को जल्द संवासित कराने और सुरक्षा व्यवस्था को और पुख्ता करने के निर्देश दिए।
सामाजिक जिम्मेदारी और प्रशासनिक सतर्कता का प्रतीक
राजकीय बाल गृह देवरिया निरीक्षण ने एक बार फिर यह साबित किया कि न्यायपालिका समाज के कमजोर वर्गों, विशेषकर बाल संरक्षण संस्थानों के बच्चों के अधिकारों को लेकर कितनी संवेदनशील है। यह निरीक्षण न केवल प्रशासनिक सतर्कता का उदाहरण है बल्कि एक मानवीय प्रयास भी है जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि कोई भी बच्चा उपेक्षा या असुविधा का शिकार न हो।
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राजकीय बाल गृह देवरिया निरीक्षण कब और क्यों किया गया?
यह निरीक्षण 29 अक्टूबर 2025 को उच्च न्यायालय इलाहाबाद के निर्देशानुसार किया गया ताकि बच्चों की देखभाल, सुरक्षा और संस्थान की स्थिति का मूल्यांकन किया जा सके।
निरीक्षण दल में कौन-कौन से न्यायाधीश शामिल थे?
श्री रवि यादव, श्री मनोज कुमार तिवारी, श्रीमती मंजू कुमारी और कुमारी मृणालिनी श्रीवास्तव निरीक्षण दल में शामिल थीं।
निरीक्षण के दौरान क्या प्रमुख निर्देश दिए गए?
भोजन की गुणवत्ता सुधारने, बच्चों की नियमित स्वास्थ्य जांच कराने, सुरक्षा मजबूत करने और शिक्षा-सफाई व्यवस्था को सुदृढ़ करने के निर्देश दिए गए।
क्या बाल गृह से पलायित बच्चों के बारे में कोई जानकारी दी गई?
हाँ, तीन में से एक बच्चा पुनः बाल गृह में वापस आ गया है जबकि दो बच्चों को वापस लाने का प्रयास जारी है।








