हमीरपुर: एंबुलेंस या बुल ‘एंस’ — जब संसाधन मैदान में फँस गए

अब्दुल मोबीन सिद्दीकी की रिपोर्ट,

राजनीतिक प्रतिक्रिया — ट्वीट और उसका असर

अखिलेश यादव ने X पर लिखा: “भाजपा के कुशासन ने एंबुलेंस को ‘बुल’ऐंस बना दिया है। क्या ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बैलगाड़ी खींचेगी।” इस तीखे तंज के साथ उन्होंने प्रदेश सरकार और स्वास्थ्य मंत्री से सवाल उठाए। इस राजनीतिक बयान ने सोशल मीडिया पर बहस को तेज कर दिया और खबर कई अख़बारों व न्यूज़ पोर्टल्स पर प्रमुखता से प्रकाशित हुई। विपक्षी टिप्पणी ने स्थानीय मुद्दे को तात्कालिक और राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर देखा जाने लायक बना दिया — और फिर से चर्चा का केंद्र बना: एंबुलेंस या बुल ‘एंस’. 2

जमीनी हकीकत: सड़क, मानसून और बुनियादी ढांचा

स्थानीय लोगों का कहना है कि हर मानसून में कच्ची सड़कें कीचड़ भरे दलदल बन जाती हैं जिससे गाँव टापू की तरह कट जाता है। इस साल भी वैसी ही स्थिति बन गई और स्वास्थ्य सेवाएँ प्रभावित हुईं। बुजुर्गों ने बताया कि पहले भी सड़क निर्माण के लिए आवाज़ उठाई गई पर ठोस नतीजा नहीं निकला — तब परिणाम सैन्य नहीं, बल्कि मानव जीवन पर पड़ता है जब एम्बुलेंस पहुँच ही न पाए। इसी चिंताजनक तस्वीर ने जनता के बीच एंबुलेंस या बुल ‘एंस’ का सवाल उठा दिया। 3

इसे भी पढें  राजस्थान तेली पिछड़ा वर्ग वैश्य महासभा : राष्ट्रीय अध्यक्ष आर.के. शाहबाल के नेतृत्व में हुई बैठक, रूद्र प्रताप साहू बने प्रदेशाध्यक्ष

डॉक्टरी रिपोर्ट और मरीज का हाल

डॉक्टरों के अनुसार रेशमा का प्रसव अभी कुछ दिनों में था और प्राथमिक जांच के बाद उसे अस्थायी इलाज के बाद छुट्टी दे दी गई। परन्तु तीन घंटे की बैलगाड़ी यात्रा और दलदल से गुजरना किसी भी गर्भवती के लिए जोखिम भरा है — यही वजह है कि स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की कमी पर सवाल उठना स्वाभाविक है। स्थानिक स्वास्थ्य केंद्र तक पहुँचने की मुश्किल को देखते हुए लोग बार-बार पूछ रहे हैं: क्या हम सिर्फ नुमाइशी इन्फ्रास्ट्रक्चर पर संतुष्ट हैं या जमीनी सेवाओं को प्राथमिकता देंगे? यही विषय बार-बार एंबुलेंस या बुल ‘एंस’ के संदर्भ में उठता है। 4

सरकार की प्रतिक्रिया — क्या कहा गया?

स्थानीय प्रशासन से लेकर राज्य स्तरीय अफसरियों तक तकरीबन हर कोई इस घटना पर टिप्पणी कर रहा है — कुछ ने मौसम और रास्तों को कारण बताया तो कुछ ने तकनीकी कारणों का हवाला दिया। हालांकि प्रतिक्रिया के बावजूद जनता चाहती है कि स्थायी सड़कों, बेहतर 108/102 सेवा प्रणालियों और पैमाने पर निगरानी से ऐसी घटनाएं रोकी जाएँ। राजनीतिक बयानबाज़ी के बीच असली सवाल बार-बार यही बनता है: क्या अगले मानसून तक समस्या का स्थायी समाधान होगा या बस शोर में खो जाएगी? यह भी एक तरह का प्रश्न बन गया है — एंबुलेंस या बुल ‘एंस’? 5

इसे भी पढें  भाईचारे और पंचायत से मिसाल बना यूपी का यह गांव जहाँ 70 साल से ना कोई FIR, ना हुआ कोई विवाद

समाधान और राह क्या हो सकती है?

  • कच्ची सड़कों का तत्काल और स्थायी जीर्णोद्धार।
  • मानसून के दौरान आपातकालीन सेवाओं के लिए विशेष प्लान।
  • लोकल स्वास्थ्य केंद्रों को मजबूत कर दूरदराज़ गांवों के लिये मोबाइल हेल्थ वैन/पैदल टीमें।
  • ड्रोन या स्थानीय स्काउट टीमों से दूरस्थ निगरानी और समय पर संसाधन मुहैया करना।

इन सुझावों से उम्मीद है कि भविष्य में कोई भी गर्भवती या आपातकालीन मरीज बैलगाड़ी की अड़चन न देखे — ताकि हम ‘एंबुलेंस या बुल ‘एंस” जैसी शर्मनाक स्थिति से बाहर आ सकें।

निष्कर्ष

हमीरपुर का वायरल वीडियो केवल एक घटना नहीं — यह ग्रामीण भारत में बुनियादी सेवाओं और शासन के दावे के बीच की खाई का प्रतीक बन गया है। जब एक विकसित अर्थव्यवस्था के दावों के बीच आम जन जीवन के मूलभूत अधिकार — सुरक्षित स्वास्थ्य सेवाएँ और पहुंच — अछूते रहें, तो सवाल उठता है: क्या हमारी प्राथमिकताएँ सही दिशा में हैं? और ज़रूरी प्रश्न यही है कि क्या हम ‘एंबुलेंस या बुल ‘एंस” जैसे ट्वीट-स्तरीय मज़ाक को छोड़कर वास्तविक सुधार पर ध्यान देंगे? 6


सवाल और जवाब

1. यह घटना कहाँ हुई और किसका वीडियो है? (क्लिक करें)

यह घटना उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले के मौदहा प्रखंड के परसदवा डेरा गौ घाट छानी गाँव में हुई। वीडियो को कई स्रोतों ने साझा किया और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इसे X पर शेयर किया था। 7

इसे भी पढें  चित्रकूट कोषागार घोटाला : मृत पेंशनरों को मिलती रही पेंशन, अधिकारी देते रहे मंजूरी,करोड़ों का शर्मनाक खुलासा
2. ‘एंबुलेंस या बुल ‘एंस’’ का क्या मतलब है? (क्लिक करें)

यह शब्द अश्लेष है जिसमे एंबुलेंस और बैल (bull) का मज़ाकिया मिलान है — विरोधी नेताओं का तंज कि एंबुलेंस की जगह बैलगाड़ी (bullock cart) काम करने लगी है। यह राज्य की स्वास्थ्य और सड़क सुविधाओं पर तीखा कटाक्ष है।

3. महिला की तबियत कैसी है और अस्पताल ने क्या कहा? (क्लिक करें)

डॉक्टरों ने कहा कि प्रसव अभी कुछ दिनों में था; प्राथमिक इलाज के बाद महिला को छुट्टी दे दी गई। हालांकि लंबी बैलगाड़ी यात्रा से जोखिम बना रहा। 8

4. क्या प्रशासन ने कार्रवाई की? (क्लिक करें)

स्थानीय अधिकारियों ने घटनाओं की पुष्टि करते हुए कहा कि कारण कच्ची सड़क और पानी भरा रास्ता था; सुधार के वादे होते रहे हैं, पर स्थायी समाधान अभी आवश्यक है।

स्रोत(स): X (tweet), Patrika, ThePrint, Navbharat Times और अन्य स्थानीय रिपोर्ट्स। अधिक पढ़ें: रिपोर्ट में उद्धृत समाचार स्रोत। 9

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Language »
Scroll to Top