ठाकुर बख्श सिंह की रिपोर्ट
कौशांबी, उत्तर प्रदेश। रविवार को औद्योगिक विकास मंत्री नंद गोपाल गुप्ता ‘नंदी’ ने एक प्रेसवार्ता के दौरान विपक्षी नेताओं पर तीखा हमला बोला। उनका कहना था कि राहुल गांधी, अखिलेश यादव, तेजस्वी यादव और ममता बनर्जी जैसे नेता जनहित के मुद्दों को नजरअंदाज कर तुष्टिकरण की राजनीति में लिप्त हैं।
भाजपा कार्यालय में आयोजित प्रेसवार्ता में नंदी ने कहा, “जब जनता के मुद्दे उठाने थे, तब यह नेता मस्जिदों में जाकर राजनीति की बातें कर रहे थे। विनाश काले विपरीत बुद्धि।” नंदी ने विपक्षी नेताओं पर तंज कसते हुए कहा कि इनका समय अब जा चुका है और अब देश का मतदाता विकास की राजनीति चाहता है।
बिहार चुनाव को लेकर प्रतिक्रिया
बिहार चुनाव की चर्चा पर नंदी ने विपक्ष पर कटाक्ष करते हुए कहा कि यहां अभी चुनाव लड़ता कोई नजर नहीं आ रहा, लेकिन विपक्ष पहले ही अपने स्टार प्रचारकों की सूची जारी कर चुका है। उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों पर समय बर्बाद करना ठीक नहीं और जनता अब समझदार है।
सनातन धर्म और तुष्टिकरण को लेकर चिंता
नंदी ने आरोप लगाया कि विपक्ष लगातार सनातन धर्म को बदनाम करने की साजिश रच रहा है और मुस्लिम वोटों को एकजुट करने के प्रयास में है। उन्होंने कहा, “लेकिन अब देश की जनता इन चालों को समझ चुकी है। वह अब विकास की ओर देख रही है, न कि तुष्टिकरण की ओर।”
राजनीतिक हलचल और प्रतिक्रियाएं
नंदी के इस बयान के बाद सियासी गलियारों में हलचल बढ़ गई। जहां विपक्षी दलों ने उनके बयान को गैर-जिम्मेदाराना और भड़काऊ करार दिया, वहीं भाजपा कार्यकर्ताओं ने मंत्री के रुख का समर्थन किया और इसे विपक्ष की सच्चाई बताने वाला बताया।
जनता के मूड पर असर
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार नंदी का बयान बिहार के चुनावी समीकरणों पर असर डालेगा। उत्तर प्रदेश और बिहार में विकास, रोजगार और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दे अहम हैं।
भाजपा नेताओं के लगातार बयान इस ओर संकेत करते हैं कि 2025 में पार्टी ‘विकास बनाम तुष्टिकरण’ के समीकरण पर चुनाव में उतरेगी।
सवाल-जवाब (FAQ)
नंद गोपाल गुप्ता ‘नंदी’ ने विपक्ष पर क्या आरोप लगाया?
उन्होंने कहा कि विपक्षी नेता तुष्टिकरण की राजनीति कर रहे हैं, जबकि जनता के वास्तविक मुद्दों से उनका कोई सरोकार नहीं है।
बिहार चुनाव के बारे में नंदी ने क्या कहा?
नंदी ने दावा किया कि बिहार में एनडीए की भारी जीत होगी और विपक्ष केवल प्रचार में व्यस्त है।
इस बयान की राजनीतिक प्रतिक्रिया क्या रही?
भाजपा कार्यकर्ताओं ने समर्थन किया, जबकि विपक्ष ने इसे गैर-जिम्मेदाराना और भड़काऊ बताया।







