संजय सिंह राणा की रिपोर्ट
चित्रकूट (लालपुर): भगवान राम की तपोभूमि कहे जाने वाले इस शहर में एक ऐसी घटना घट गई जिसने पूरे समाज के विवेक और संवेदनाओं को झकझोर दिया। महर्षि वाल्मीकि की पवित्र धरती पर फूल कली नामक एक मेहनतकश महिला की मेहनत और आत्मसम्मान को एक तथाकथित ‘बाबा’ ने रौंद डाला।
ईमानदारी से जीती थी ज़िंदगी
फूल कली महिला आश्रम के बाहर एक छोटी-सी दुकान लगाती थी। उसकी उसी दुकान की कमाई से उसके बच्चों का पेट पलता था और घर चलता था। हर सुबह सलीके से दुकान सजाना, मुस्कराकर ग्राहकों को सामान देना और शाम को संतोष के साथ दिन खत्म करना — यही उसका जीवन क्रम था।
‘बाबा’ के फरमान से टूटा परिवार का सहारा
इसी बीच आश्रम से जुड़े एक तथाकथित ‘बाबा’ ने फूल कली से कहा कि वह अपनी दुकान तुरंत हटा ले। बिना किसी कानूनी आदेश या प्रशासनिक कारण के सिर्फ़ दबंगई के बल पर ‘बाबा’ ने अपना फरमान सुना डाला।
जब फूल कली ने इंकार किया, तो बाबा क्रोधित हो उठा। उसने गालियां दीं, धमकी दी और महिला की इज्जत पर अशोभनीय टिप्पणी की। यह पूरा दृश्य कैमरे में कैद हुआ और सोशल मीडिया पर तेजी से फैल गया।
समाज की खामोशी — सबसे बड़ा अपराध
वीडियो में साफ़ दिखा कि आसपास कई लोग मौजूद थे, लेकिन किसी ने आगे बढ़कर महिला की मदद नहीं की। सब तमाशबीन बने रहे। यह खामोशी भी उतनी ही भयावह है जितनी वह करतूत, क्योंकि समाज की चुप्पी अपराधियों को और ताकत देती है।
‘बाबा’ की आड़ में छिपा पाखंड
धर्म का चोला ओढ़े ऐसे पाखंडी बाबा समाज के उस अंधेरे चेहरे का प्रतीक हैं जो भीतर से पूरी तरह सड़ चुका है। जो प्रवचन तो करते हैं, पर सम्मान का एक शब्द भी उनके आचरण में नहीं दिखता। यह धर्म नहीं, पाखंड है।
प्रशासन से इंसाफ की मांग
अब सवाल उठता है कि क्या प्रशासन ने स्वतः संज्ञान लिया? क्या उस बाबा से पूछताछ हुई? क्या पीड़िता को पुनर्वास और सुरक्षा मिली? अगर नहीं, तो यह पूरे समाज की हार है।
हम प्रशासन से मांग करते हैं कि इस मामले की निष्पक्ष जांच की जाए। दोषी बाबा पर एफआईआर दर्ज हो और महिला को न्याय मिले। फूल कली जैसी महिलाएं हमारे समाज की रीढ़ हैं — इन्हें डराया नहीं जा सकता।
सामाजिक चेतना जगाने का समय
यह केवल एक समाचार नहीं, बल्कि एक सामाजिक चेतावनी है। अगर आज फूल कली के साथ अन्याय होता है और समाज खामोश रहता है, तो कल हर मेहनतकश औरत इसके दंश का शिकार होगी।
राम की इस भूमि पर अगर सीता-स्वरूपा को अपमान सहना पड़े, तो यह हमारे युग का सबसे बड़ा पतन होगा। हमें खड़ा होना होगा — अन्याय के खिलाफ, ढोंगी बाबाओं के खिलाफ और उस मानसिकता के खिलाफ जो महिलाओं को आज भी कमजोर समझती है।