तीर्थराज विमलकुण्ड पर 2 नवम्बर को होगा भव्य दीपदान, कार्तिक मास में मिलेगा अक्षय पुण्य

हिमांशु मोदी की रिपोर्ट

तीर्थराज विमलकुण्ड पर देवोत्थान एकादशी का अद्भुत दीपदान उत्सव

कामवन स्थित तीर्थराज विमलकुण्ड पर इस वर्ष 2 नवम्बर 2025 को कार्तिक शुक्ल एकादशी यानी देवोत्थान एकादशी के दिन भव्य दीपदान का आयोजन किया जाएगा। मंदिर के सेवाअधिकारी संजय लवानिया ने बताया कि यह दिन कार्तिक मास में सबसे पवित्र माना गया है, जब भगवान विष्णु योग निद्रा से जागते हैं और धरती पर भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं।

इस अवसर पर धर्मप्रेमी हज़ारों की संख्या में तीर्थराज विमलकुण्ड पहुंचेंगे और दीपदान का महापुण्य अर्जित करेंगे। देश और विदेश से आने वाले कृष्ण भक्त इस पवित्र स्थल पर दर्शन और दीपदान का सौभाग्य पाएंगे।

कार्तिक मास में दीपदान और तुलसी पूजा का महत्व

कार्तिक मास को भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आराधना का श्रेष्ठ काल कहा गया है। इस महीने में दीपदान और तुलसी पूजा करने से सभी पापों का नाश होता है और अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख है कि कार्तिक मास में रोज़ सूर्योदय से पहले स्नान कर नदी या कुंड में दीपदान करने से राजसी सुख और समृद्धि मिलती है।

सुबह और संध्या समय तुलसी के पौधे के सामने घी या तिल के तेल का दीपक जलाने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं। इस दीपदान से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और अगले जन्म में वह पुण्यवान कुल में जन्म लेता है।

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अन्न दान, सात अनाज का दान और सुहाग सामग्री का विशेष महत्व

कार्तिक मास में अन्न दान का अद्भुत महत्व बताया गया है। शास्त्रों के अनुसार श्रद्धा भाव से किया गया अन्न दान अक्षय फल प्रदान करता है। इसी प्रकार सतनजा दान यानी सात प्रकार के अनाज का दान करने से व्यक्ति सात जन्मों तक सुख-समृद्धि प्राप्त करता है।

सुहागिन महिलाओं को इस महीने में सुहाग सामग्री दान करनी चाहिए। इससे अखंड सौभाग्य और सुखी वैवाहिक जीवन का वरदान मिलता है। तीर्थराज विमलकुण्ड दीपदान के दिन इन सभी दान कार्यों का विशेष पुण्यफल प्राप्त होता है।

देवोत्थान एकादशी का शुभ मुहूर्त और धार्मिक मान्यता

पंचांग के अनुसार 2 नवम्बर 2025 को कार्तिक शुक्ल एकादशी यानी देवोत्थान एकादशी सुबह से ही प्रारंभ होगी। इस दिन तीर्थराज विमलकुण्ड पर होने वाला दीपदान धार्मिक दृष्टि से अत्यंत शुभ माना गया है। इस पावन अवसर पर भगवान विष्णु को तिल अर्पित करने से जीवन में शांति, सुख और समृद्धि बनी रहती है।

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कहा जाता है कि कार्तिक मास के पुण्य प्रभाव से रुक्मिणी देवी ने भी अपने पिछले जन्म के पुण्यों से श्रीकृष्ण की पटरानी रूप में जन्म लिया था। यही कारण है कि कार्तिक माह को पवित्रता, प्रेम और भक्ति का महीना कहा गया है।

तीर्थराज विमलकुण्ड दीपदान से मिलेगा अक्षय पुण्य

कामवन का तीर्थराज विमलकुण्ड स्थल धार्मिक आस्था का प्रमुख केंद्र है। देवोत्थान एकादशी पर दीपदान करने से व्यक्ति को ना केवल अपने जीवन में सुख-समृद्धि मिलती है बल्कि समस्त पापों का नाश होता है। दीपदान से अंधकार मिटता है—आत्मिक और भौतिक दोनों रूपों में।

तीर्थराज विमलकुण्ड दीपदान में भाग लेने वाले श्रद्धालुओं को यह अवसर वर्षों में एक बार ही प्राप्त होता है। कहा गया है कि जो भक्त इस दिन तुलसी के निकट दीप प्रज्ज्वलित करता है, वह भगवान विष्णु के सान्निध्य का अधिकारी बनता है।

कार्तिक मास में करने योग्य प्रमुख कार्य

  • प्रातःकाल स्नान कर नदी, सरोवर या विमलकुण्ड में दीपदान करें।
  • प्रत्येक दिन तुलसी के पौधे के समीप घी अथवा तिल के तेल का दीपक जलाएं।
  • अन्न, सतनजा और वस्त्र का दान सद्भाव से करें।
  • सुहागिन महिलाओं को सुहाग सामग्री दान करने से अखंड सौभाग्य प्राप्त होता है।
  • भगवान विष्णु को तुलसी पत्र और तिल का अर्पण करें।
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तीर्थराज विमलकुण्ड दीपदान धार्मिक पर्यटन का केंद्र

तीर्थराज विमलकुण्ड का यह दीपदान न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है बल्कि पर्यटन के लिहाज़ से भी अत्यंत आकर्षक आयोजन है। देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालु यहां उपस्थित होकर भक्तिभाव से दीपदान करते हैं, जिससे पूरे तीर्थ क्षेत्र में दिव्य प्रकाश फैल जाता है।

इस वर्ष देवोत्थान एकादशी पर यहां विशेष सजावट, भजन-संध्या, और सामूहिक दीपदान के कार्यक्रम होंगे। यह आयोजन कार्तिक मास की भक्ति भावना को और भी प्रखर बना देगा।

निष्कर्ष

2 नवम्बर 2025 को होने वाला तीर्थराज विमलकुण्ड दीपदान श्रद्धा, भक्ति और पुण्य अर्जन का अद्भुत अवसर है। कार्तिक मास में दीपदान, तुलसी पूजा और विभिन्न दान कार्य करने से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की असीम कृपा मिलती है। जो भी भक्त इस शुभ अवसर पर दीपदान करेगा, वह निश्चय ही अपने जीवन में सुख, समृद्धि और आध्यात्मिक उत्थान का अनुभव करेगा।

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