संजय सिंह राणा की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जिले के मानिकपुर विकासखण्ड की ग्राम पंचायत गढ़चपा में विकास कार्यों के नाम पर व्यापक स्तर पर घोटाले का मामला सामने आया है। यहां विकास कार्यों में फर्जीवाड़ा करते हुए फर्जी जॉब कार्ड बनाए गए, बिना काम के भुगतान किया गया, खनिज सामग्री चोरी कर निर्माण कराया गया तथा एक ही फर्म के नाम पर लाखों रुपए का भुगतान किया गया।
फर्जी जॉब कार्ड और मास्टर-रोल में गड़बड़ी
गढ़चपा में मनरेगा योजना के अंतर्गत दर्जनों ऐसे श्रमिकों के नाम पर भुगतान किया गया है जिनका काम स्थल पर जाना प्रमाणित नहीं है। सरकारी कर्मचारियों को श्रमिक दिखाकर फर्जी मास्टर-रोल तैयार किया गया और उनके नाम पर भुगतान किए गए। साथ ही कई जॉब कार्ड में दर्ज नाम वास्तव में कार्य में शामिल ही नहीं थे।
खनिज चोरी से हुए निर्माण कार्य
गांव में डब्ल्यूबीएम सड़क निर्माण, इंटरलॉकिंग खड़ंजा, नाली व पुलिया निर्माण जैसे कार्यों में स्थानीय पहाड़ों से खनिज चोरी कर निर्माण कार्य कराए गए। निर्माण कार्यों में एमएम11 (रवन्ने) जैसी बुनियादी सामग्री तक नहीं लगाई गई, जिससे सरकारी राजस्व को भारी क्षति हुई है।


एक ही फर्म के नाम पर लाखों का भुगतान
सूत्रों के अनुसार गढ़चपा पंचायत में कुसमा इंटरप्राइजेस के नाम पर सबसे अधिक निर्माण कार्य दिखाए गए और उसी नाम पर लाखों रुपए का भुगतान किया गया। जांच में पाया गया कि कई कार्य जमीन पर मौजूद ही नहीं हैं या बेहद घटिया गुणवत्ता के हैं।
ग्राम प्रधान व स्वघोषित प्रतिनिधि की भूमिका संदिग्ध
गढ़चपा की ग्राम प्रधान एक अनपढ़ गरीब महिला हैं, जिनकी निरक्षरता का लाभ उठाकर अरुण सिंह बघेल उर्फ मिंटू सिंह ने स्वयं को ग्राम प्रधान प्रतिनिधि घोषित कर लिया। आरोप है कि उन्होंने प्रधान के फर्जी हस्ताक्षर करवाकर भुगतान किए, यहां तक कि प्रधान का डोंगल भी अपने पास रखकर सरकारी धन का बंदरबांट किया। पंचायत की बैठकों से प्रधान को दूर रखा गया और सारा नियंत्रण दबंग प्रतिनिधि के हाथों में रहा।
जिम्मेदार अधिकारियों की अनदेखी या मिलीभगत?
यह सवाल उठता है कि जब ग्राम पंचायत गढ़चपा में इतना बड़ा विकास कार्यों का फर्जीवाड़ा हुआ, तो प्रशासन ने कार्रवाई क्यों नहीं की? ग्रामीणों का आरोप है कि संबंधित अधिकारी सब कुछ जानते हुए भी चुप हैं और मिलीभगत से घोटाला चल रहा है।
आरटीआई के जरिए खुल रही परतें
वरिष्ठ पत्रकार व सामाजिक कार्यकर्ता संजय सिंह राणा ने आरटीआई (जन सूचना अधिकार अधिनियम) के तहत ग्राम पंचायत गढ़चपा में हुए विकास कार्यों की सूचना मांगी है। उन्होंने शासन-प्रशासन को पत्र लिखकर मनरेगा योजना, राज्य वित्त आयोग, पंद्रहवां वित्त आयोग और गौशाला निर्माण में हुई धांधली की जांच की मांग की है।
ग्राम पंचायत गढ़चपा के फर्जीवाड़े से सबक
यह मामला केवल एक पंचायत का नहीं, बल्कि ग्रामीण विकास व्यवस्था की जमीनी हकीकत का दर्पण है। यदि ऐसी पंचायतों में मनरेगा फर्जीवाड़ा, खनिज चोरी और जॉब कार्ड घोटाले नहीं रुके तो सरकार की विकास योजनाएँ केवल कागजों पर ही रह जाएँगी। ग्रामीणों की अपेक्षा है कि चित्रकूट प्रशासन निष्पक्ष जांच करे और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करे।
📌 सवाल क्लिक करें-जवाब पाएं (FAQ)
❓ ग्राम पंचायत गढ़चपा में सबसे बड़ा फर्जीवाड़ा क्या है?
सबसे बड़ा फर्जीवाड़ा मनरेगा योजना में हुआ, जहाँ फर्जी जॉब कार्ड बनाकर श्रमिकों के नाम पर भुगतान किया गया और कई कार्य जमीन पर हुए ही नहीं।
❓ किस फर्म के नाम पर सबसे ज्यादा भुगतान किया गया?
ग्राम पंचायत गढ़चपा में सबसे ज्यादा भुगतान कुसमा इंटरप्राइजेस नाम की फर्म के नाम पर किया गया।
❓ ग्राम प्रधान प्रतिनिधि पर क्या आरोप हैं?
अरुण सिंह बघेल उर्फ मिंटू सिंह पर आरोप है कि उन्होंने ग्राम प्रधान के फर्जी हस्ताक्षर करवाकर भुगतान किया, डोंगल अपने पास रखा और मनमानी निर्माण कराए।
❓ क्या अधिकारियों को इस फर्जीवाड़े की जानकारी थी?
स्थानीय लोगों का आरोप है कि अधिकारी सब जानते हैं, फिर भी कार्रवाई नहीं कर रहे — इससे मिलीभगत की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
❓ क्या मामले की जांच शुरू हुई है?
पत्रकार संजय सिंह राणा ने आरटीआई और शिकायत पत्र के जरिए जांच की मांग की है, अब देखना होगा कि चित्रकूट प्रशासन क्या कदम उठाता है।







