
हिमांशु मोदी की रिपोर्ट
आकर्षक शोभायात्रा का शुभारंभ
आकर्षक शोभायात्रा ने सोमवार को कामां कस्बे में इतिहास रच दिया। महाराजा अग्रसेन की जयंती पर अग्रवाल समाज ने परंपरा और भक्ति का ऐसा संगम प्रस्तुत किया, जिसे देखने के लिए हजारों लोग उमड़ पड़े। अग्रवाल धर्मशाला से प्रारंभ हुई इस शोभायात्रा में बैंड-बाजे, घोड़े, धार्मिक झांकियां और बहरूपिया कलाकारों ने माहौल को जीवंत बना दिया।
विशेष आकर्षण रहा 551 महिलाओं द्वारा थामे गए कलश, जिन्होंने परंपरागत परिधान में अपनी श्रद्धा का अनूठा उदाहरण पेश किया। यह दृश्य सचमुच मनोहारी और नयनाभिराम रहा।
आकर्षक शोभायात्रा का मार्ग और वातावरण
आकर्षक शोभायात्रा अग्रवाल धर्मशाला से शुरू होकर कस्बे के मुख्य बाजार, सब्जी मंडी और लाल दरवाजा होते हुए वापस रामजी गेट और गांधी पार्क पहुंची। पूरे मार्ग पर समाज के लोगों और स्थानीय नागरिकों ने पुष्पवर्षा कर शोभायात्रा का स्वागत किया।
इसके साथ ही, रथ पर सवार महाराजा अग्रसेन की भव्य आरती उतारी गई। बैंड और ढोल की धुनों पर समाज के लोग उल्लासपूर्वक नाचते-गाते हुए आगे बढ़ते रहे। बच्चे, महिलाएं और पुरुष सभी रंग-बिरंगी झांकियों के साथ शोभायात्रा का हिस्सा बने।
आकर्षक शोभायात्रा और धार्मिक झांकियां
इस आकर्षक शोभायात्रा की सबसे खास बात रही धार्मिक और सांस्कृतिक झांकियां। विभिन्न देवी-देवताओं की प्रतिमाओं और पौराणिक कथाओं को दर्शाती झांकियां श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र रहीं।
समाज के बहरूपिया कलाकारों और पारंपरिक कलाकारों ने भी अपनी कला का प्रदर्शन कर वातावरण को और भी भक्तिमय बना दिया। जुलूस में शामिल हर झांकी ने भक्ति, संस्कृति और परंपरा का जीवंत चित्र प्रस्तुत किया।
आकर्षक शोभायात्रा और समाज की भागीदारी
आकर्षक शोभायात्रा में समाज के हर वर्ग ने उत्साहपूर्वक हिस्सा लिया। अग्रवाल समाज के अध्यक्ष भगवान दास बंसल ने जानकारी दी कि यह आयोजन तीन दिवसीय जयंती कार्यक्रम का अंतिम चरण था।
सोमवार को आयोजित इस शोभायात्रा में अग्रवाल समाज के सैकड़ों सदस्य और हजारों लोग एक साथ शामिल हुए। इससे स्पष्ट हुआ कि महाराजा अग्रसेन के आदर्श आज भी समाज को जोड़ने और प्रेरित करने का कार्य कर रहे हैं।
आकर्षक शोभायात्रा के बाद धार्मिक अनुष्ठान
आकर्षक शोभायात्रा के समापन के बाद अग्रवाल धर्मशाला में भव्य पूजा-अर्चना और यज्ञ का आयोजन हुआ। समाज के लोगों ने महाराजा अग्रसेन और कुलदेवी महालक्ष्मी की विधिवत पूजा की। वैदिक मंत्रों के बीच हवन में आहुतियां दी गईं और महाराजा अग्रसेन के पदचिन्हों पर चलने का संकल्प लिया गया।
इसके बाद अग्रवाल समाज की बैठक भी आयोजित की गई, जिसमें समाज के विकास और संगठन की दिशा पर विचार-विमर्श हुआ।
आकर्षक शोभायात्रा ने दिया सामाजिक संदेश
आकर्षक शोभायात्रा केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक ही नहीं रही, बल्कि इसने सामाजिक एकता और भाईचारे का भी अद्भुत संदेश दिया। जब हजारों लोग एक साथ, समान भाव से और पूरी श्रद्धा के साथ शामिल हुए तो यह आयोजन सामूहिकता की मिसाल बन गया।
कलश यात्रा में शामिल 551 महिलाएं भी समाज में नारी शक्ति और परंपराओं के संरक्षण की प्रेरणा बनीं।

आकर्षक शोभायात्रा ने भरतपुर जिले के कामां कस्बे को भक्ति और संस्कृति के रंगों से सराबोर कर दिया। महाराजा अग्रसेन जयंती के अवसर पर निकली इस शोभायात्रा ने यह सिद्ध किया कि परंपराएं आज भी समाज को जोड़ने और उत्साह से भरने में सक्षम हैं।
551 महिलाओं की कलश यात्रा, बैंड-बाजे की गूंज, धार्मिक झांकियां और पुष्पवर्षा से सजी यह शोभायात्रा आने वाले वर्षों तक लोगों के दिलों में यादगार बनी रहेगी।
