
अब्दुल मोबीन सिद्दीकी की रिपोर्ट
सार: जिले में कम उम्र की लड़कियां परिचित युवकों के साथ बिना बताए घर छोड़ना चुन रही हैं। सितंबर में कुल 164 लापता लड़कियां दर्ज हुईं, जिनमें से 133 को हिमाचल, दिल्ली, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल व बिहार से पुलिस ने बरामद कर उनके परिजनों को सौंपा है।
कितने मामले और क्यों — लापता लड़कियां व किशोरियां
पुलिस रिपोर्ट के अनुसार, अधिकतर कम उम्र की लड़कियां अपने परिचित युवकों के साथ चली जाती हैं। कई लापता लड़कियां धार्मिक या सामाजिक उत्सवों के दौरान भी बाहर पाई गईं। वन स्टॉप सेंटर में अब लगातार किशोरियों की संख्या बढ़ रही है, जिससे प्रशासनिक दबाव बढ़ा है।
पुलिस कार्रवाई और न्यायालयीन प्रक्रिया
पुलिस ने सभी मामलों में पहले मेडिकल कराया और फिर न्यायालय में बयान दर्ज कराए। हर दिन औसतन 20 से अधिक किशोरियों के बयान दर्ज किए जा रहे हैं। कुछ मामलों में युवतियों ने सगाई वाले दिन ही आभूषण और नकदी लेकर प्रेमी के साथ घर छोड़ दिया — ऐसे मामलों की खोजबीन अब भी जारी है।
- मुख्य मुद्दा: कम उम्र की लड़कियां और लापता लड़कियां
- कार्रवाई: 133 कम उम्र की लड़कियां बरामद
- प्रभाव: वन स्टॉप सेंटर में भीड़ और परिवारों में बढ़ती चिंता
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जिले में कुल कितनी लापता लड़कियां दर्ज की गई हैं?
सितंबर महीने में कुल 164 लापता लड़कियों के मामले दर्ज किए गए।
कितनी कम उम्र की लड़कियां बरामद की गईं?
अब तक 133 कम उम्र की लड़कियों को विभिन्न राज्यों से बरामद कर परिजनों के सुपुर्द किया गया।
सबसे आम कारण क्या हैं?
अधिकांश मामले परिचित युवकों के साथ प्रेम-सम्बंधों में बहकावे के कारण देखे गए हैं।
प्रशासन कौन-कौन से कदम उठा रहा है?
पुलिस जांच तेज की गई है, वन स्टॉप सेंटर की क्षमता बढ़ाई जा रही है और परिवारों को जागरूक किया जा रहा है।