
सदानंद इंगिली की रिपोर्ट
गढ़चिरौली न्यूज़: महाराष्ट्र के गढ़चिरौली ज़िले में एक बार फिर हाथियों के हमले ने किसानों को तबाह कर दिया। रविवार, 19 अक्टूबर की सुबह गोगाँव गाँव में हाथियों के एक झुंड ने धान के खेतों में धावा बोलकर फसलों को रौंद डाला। किसानों के मुताबिक, रात भर की मेहनत और कई महीनों की उम्मीदें पल भर में मिट्टी में मिल गईं।
दिवाली से पहले तबाही: किसानों के चेहरों पर मायूसी
घटना दिवाली की पूर्व संध्या पर हुई, जब गांव के लगभग दो दर्जन किसान अपनी फसल कटाई की तैयारी कर रहे थे। लेकिन अचानक आए हाथियों के झुंड ने खेतों में घुसकर सबकुछ बर्बाद कर दिया। धान की फसल को पूरी तरह रौंद दिया गया, जिससे किसानों को लाखों रुपये का नुकसान हुआ। गांव के बुज़ुर्ग किसान रामु सोलंकी ने बताया कि “अब हमारे पास त्योहार मनाने के लिए कुछ नहीं बचा है।”
नवनाथ उके पहुंचे मौके पर, जताई नाराज़गी
शिवसेना (शिंदे गट) के नेता नवनाथ उके घटना की जानकारी मिलते ही गोगाँव गाँव पहुंचे। उन्होंने हाथियों के हमले से हुए नुकसान का जायज़ा लिया और किसानों से मुलाक़ात कर उनकी समस्याएँ सुनीं। उके ने प्रशासन से कहा कि वह तुरंत पंचनामा करे और किसानों को मुआवज़ा प्रदान करे। उन्होंने चेतावनी दी, “अगर इस पर जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो हम किसान आंदोलन शुरू करेंगे।”
प्रशासन की कार्रवाई और वन विभाग की भूमिका
सूत्रों के अनुसार, वन विभाग ने प्रभावित क्षेत्रों का सर्वे शुरू कर दिया है और पंचनामा प्रक्रिया जारी है। जिला प्रशासन ने कहा है कि प्रभावित किसानों को जल्द राहत दी जाएगी। वहीं, ग्रामीणों ने हाथियों के लगातार होते हमले को लेकर दीर्घकालिक समाधान की माँग की है।
ग्रामीणों की मांग: समाधान कब होगा?
ग्रामीणों का कहना है कि पिछले छह महीनों में तीन बार ऐसे हाथियों के हमले हो चुके हैं। गांव में दहशत का माहौल है। बच्चे रात में घरों से बाहर नहीं निकलते। लोग चाहते हैं कि सरकार हाथी नियंत्रण योजना बनाए और वन विभाग गांवों के आसपास सुरक्षा दीवारें लगाए।
जनप्रतिनिधियों ने जताई चिंता
नवनाथ उके के अलावा स्थानीय सरपंच और समाजसेवी संगठनों ने भी किसानों के नुकसान पर चिंता जताई है। उनका कहना है कि अगर सरकार ने तत्काल हस्तक्षेप नहीं किया तो यह संकट और भी गंभीर हो सकता है।
हाथियों का हमला: गढ़चिरौली में बढ़ती चुनौती
गढ़चिरौली जिला पिछले कुछ वर्षों में हाथियों के झुंड के हमलों से जूझ रहा है। विशेषज्ञों के मुताबिक, ये हाथी झारखंड और छत्तीसगढ़ के जंगलों से भटककर इस इलाके में आ गए हैं। वन विभाग ने कई बार इन्हें वापस जंगल की ओर मोड़ने की कोशिश की, लेकिन प्रयास असफल रहे।
किसानों की आवाज़: “हमें सिर्फ़ वादा नहीं, मुआवज़ा चाहिए”
किसानों ने कहा कि हर बार हाथियों का हमला होने के बाद प्रशासन सिर्फ़ पंचनामा करता है, लेकिन मुआवज़ा देने में महीनों लग जाते हैं। इस बार किसान चाहते हैं कि सरकार तुरंत कार्रवाई करे ताकि उनकी दिवाली फिर से उजली हो सके।
सोशल मीडिया पर उके के बयान ने पकड़ा ट्रेंड
नवनाथ उके का बयान सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया है। “किसानों पर हमला, सरकार की नींद हराम” जैसे हैशटैग गढ़चिरौली न्यूज़ और हाथियों का हमला विषयों पर ट्रेंड कर रहे हैं।
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📌 क्लिक करें और पढ़ें सवाल-जवाब
1. हाथियों का हमला कब हुआ?
यह हमला 19 अक्टूबर की सुबह गढ़चिरौली जिले के गोगाँव गांव में हुआ।
2. कितने किसानों की फसल बर्बाद हुई?
करीब दो दर्जन किसानों की धान की फसल हाथियों के हमले से पूरी तरह नष्ट हो गई।
3. नवनाथ उके ने क्या माँग की?
उन्होंने पंचायत और प्रशासन से तत्काल मुआवज़ा देने और भविष्य में सुरक्षा उपाय लागू करने की मांग की है।
4. वन विभाग की क्या प्रतिक्रिया रही?
वन विभाग ने पंचनामा की प्रक्रिया शुरू कर दी है और आगे की कार्रवाई पर काम जारी है।
5. गांव वालों की प्रमुख मांग क्या है?
गांव वाले स्थायी समाधान, मुआवज़ा और हाथी नियंत्रण योजना की मांग कर रहे हैं।
© समाचार दर्पण | गढ़चिरौली प्रतिनिधि