Wednesday, August 6, 2025
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49 साल पहले चुराई थी 150/ की घड़ी और अब जाकर मिली ये सजा… 2 आरोपी मर चुके लेकिन सबूतों ने फिर जिंदा कर दिया केस

ब्रजकिशोर सिंह की रिपोर्ट

समय बीतता है, लेकिन कानून की पकड़ ढीली नहीं होती—इसकी मिसाल बनी उत्तर प्रदेश के झांसी जिले की एक दुर्लभ न्यायिक कहानी। यहां एक 49 साल पुराने मुकदमे में फैसला आया है। चौंकाने वाली बात यह है कि जिस अपराध की सुनवाई अब जाकर पूरी हुई है, वह एक मामूली राशि और पद का दुरुपयोग करके की गई चोरी और धोखाधड़ी का मामला था।

68 वर्षीय कन्हैया लाल, जो कभी एक सहकारी समिति में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी था, को अदालत ने उसकी न्यायिक हिरासत में बिताई गई अवधि की सजा सुनाई है। साथ ही ₹2,300 का जुर्माना भी लगाया गया है। ये सजा उसे इसलिए मिली क्योंकि उसने अपराध स्वीकार कर लिया था, जिससे मुकदमे की प्रक्रिया संक्षिप्त हो गई।

🔍 क्या था मामला?

दरअसल, यह पूरा मामला 1976 का है। कन्हैया लाल पर आरोप था कि उसने सहकारी समिति के कार्यालय से ₹150 की कलाई घड़ी और कई रसीद पुस्तकें चुरा लीं। इसके अलावा उस पर सदस्यों की रसीदों पर जाली हस्ताक्षर कर पैसे गबन करने का भी आरोप लगा था।

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बात यहीं तक सीमित नहीं थी। कन्हैया लाल ने अपने पद का गलत इस्तेमाल करते हुए सरकारी संपत्ति और फंड्स के साथ विश्वासघात किया। इस मामले में तीन आरोपी थे—कन्हैया लाल, लक्ष्मी प्रसाद और रघुनाथ। लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया, लक्ष्मी प्रसाद और रघुनाथ की मौत मुकदमे की शुरुआत से पहले ही हो गई।

📜 पहले भी हुई थी गिरफ्तारी

आरोप लगने के बाद कन्हैया लाल को गिरफ्तार कर लिया गया था। वह करीब तीन महीने जेल में रहा, जिसके बाद उसे जमानत मिल गई। लेकिन, मामला सालों तक अदालतों की गलियों में अटका रहा।

🚨 न्याय से भागना नहीं हुआ आसान

समय बीतता गया और कन्हैया लाल ने अदालत की तारीखों पर हाज़िर होना बंद कर दिया। बार-बार समन भेजे गए, लेकिन वह नहीं आया। अंततः साल 2022 में झांसी अदालत ने उसके खिलाफ गैर-जमानती वारंट (NBW) जारी कर दिया।

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उसके बाद वह एक बार फिर तीन महीने तक जेल में रहा। उसने सफाई दी कि उसके वकील ने बताया था कि मामला खत्म हो चुका है, इसलिए वह पेश नहीं हो रहा था। लेकिन अदालत ने इस तर्क को खारिज कर दिया और मुकदमा आगे बढ़ाया।

⚖️ अदालती कार्यवाही और साक्ष्य

अभियोजन अधिकारी अखिलेश कुमार मौर्य ने बताया कि कन्हैया लाल के खिलाफ मजबूत दस्तावेजी साक्ष्य थे। इन दस्तावेजों में जाली हस्ताक्षरों की पुष्टि, चोरी की गई घड़ी और रसीद पुस्तकों की सूचना तथा समिति के आंतरिक रिकॉर्ड शामिल थे।

📚 इन धाराओं में दर्ज हुआ था मामला

कन्हैया लाल के खिलाफ थाना टहरौली में भारतीय दंड संहिता (IPC) की निम्नलिखित धाराओं के अंतर्गत मामला दर्ज हुआ था:

धारा 457 – रात में घर में जबरन घुसपैठ

धारा 380 – आवासीय स्थान में चोरी

धारा 120-बी – आपराधिक साजिश

धारा 409 – लोक सेवक द्वारा आपराधिक विश्वासघात

धारा 467 – मूल्यवान सुरक्षा की जालसाजी

धारा 468 – धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी

इन धाराओं के तहत मामला अत्यंत गंभीर था, लेकिन अपराध स्वीकार करने के कारण अदालत ने सजा को हिरासत में बिताए गए समय तक सीमित रखा।

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🔚 न्याय की देरी, लेकिन इनकार नहीं

यह मामला एक बार फिर सिद्ध करता है कि कानून की चक्की धीरे-धीरे चलती है, लेकिन पीसती बहुत बारीकी से है। पांच दशक तक न्यायिक प्रक्रिया चली, दो आरोपी बीच में ही दुनिया छोड़ गए, लेकिन कन्हैया लाल को अंततः न्यायालय के कठघरे में खड़ा होना ही पड़ा।

🖋 समाचर दर्पण ब्यूरो, झांसी

🔴 विशेष सूचना: इस रिपोर्ट का पुनर्प्रकाशन करते समय स्रोत का उल्लेख अवश्य करें।

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