Sunday, July 27, 2025
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बीहड़ों से संसद तक अन्याय को ललकारने वाली वीरांगना को भीम आर्मी ने दी क्रांतिकारी श्रद्धांजलि

चित्रकूट में भीम आर्मी कार्यालय पर वीरांगना फूलन देवी का शहादत दिवस सम्मानपूर्वक मनाया गया। जिला संयोजक संजय गौतम ने उनके संघर्षमय जीवन को याद करते हुए समाज को न्याय और समानता के रास्ते पर चलने का संदेश दिया।

राधेश्याम प्रजापति की रिपोर्ट

चित्रकूट, सामाजिक न्याय और महिला सशक्तिकरण की प्रतीक वीरांगना फूलन देवी की शहादत दिवस के अवसर पर आज भीम आर्मी कार्यालय में एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। यह आयोजन न सिर्फ उनके बलिदान को स्मरण करने के लिए था, बल्कि उनके द्वारा समाज में उठाए गए क्रांतिकारी कदमों को भी नई पीढ़ी तक पहुंचाने का माध्यम बना।

अन्याय के खिलाफ जंग की प्रतीक बनीं फूलन देवी

कार्यक्रम की शुरुआत वीरांगना के चित्र पर माल्यार्पण और दो मिनट के मौन श्रद्धांजलि से हुई। इसके बाद भीम आर्मी के जिला संयोजक श्री संजय कुमार गौतम ने सभा को संबोधित करते हुए कहा—

“फूलन देवी एक असाधारण महिला थीं जिन्होंने बीहड़ों की धूल से उठकर संसद के दरवाजे तक अपनी आवाज पहुंचाई। वह समाज के उस तबके की आवाज बनीं जिसे सदियों से दबाया और कुचला गया था।”

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उन्होंने यह भी बताया कि फूलन देवी न सिर्फ एक राजनीतिक प्रतिनिधि थीं, बल्कि वे सामाजिक क्रांति की मशाल थीं। उनके जीवन की कहानी अन्याय के विरुद्ध एक महिला के अद्वितीय संघर्ष की जीवंत मिसाल है।

🧕 समाज को दिशा देने वाली प्रेरणा

इस अवसर पर मौजूद अन्य वक्ताओं ने भी फूलन देवी के साहस, संघर्ष और बलिदान को याद किया।

लक्ष्मण सिंह पटेल, रामनाथ वर्मा, अशोक कुमार वर्मा, दीपक वर्मा, श्यामसुंदर वर्मा, जगजीवन लाल वर्मा, फूलचंद्र वर्मा, देवशरण वर्मा, ओम प्रकाश समेत दर्जनों कार्यकर्ताओं ने पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी।

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वक्ताओं ने कहा कि आज जब देश में सामाजिक विषमता, जातिगत भेदभाव और महिलाओं के प्रति हिंसा जैसे मुद्दे फिर से मुखर हो रहे हैं, ऐसे समय में फूलन देवी की विचारधारा को अपनाना और उनके दिखाए रास्ते पर चलना अत्यंत आवश्यक है।

🔗 सामाजिक क्रांति का सफर — बीहड़ से संसद तक

इस मौके पर वक्ताओं ने विशेष रूप से यह रेखांकित किया कि फूलन देवी का जीवन महज व्यक्तिगत प्रतिशोध की कहानी नहीं, बल्कि वह एक महिला द्वारा सामाजिक अन्याय के विरुद्ध किए गए साहसी प्रतिरोध की गाथा है।

उन्होंने अपनी व्यथा को शक्ति में बदला और भारत की राजनीति में दलित, पिछड़े और वंचित तबकों की आवाज बनकर उभरीं।

🏛️ उनका बलिदान नहीं जाएगा व्यर्थ

कार्यक्रम में यह संकल्प भी लिया गया कि फूलन देवी की विचारधारा और उनके अधूरे सपनों को पूरा करने के लिए भीम आर्मी निरंतर संघर्ष करती रहेगी।

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कार्यकर्ताओं ने सामूहिक रूप से नारा दिया—

 “जब तक सूरज-चांद रहेगा, फूलन तेरा नाम रहेगा!”

वीरांगना फूलन देवी का शहादत दिवस केवल एक श्रद्धांजलि कार्यक्रम नहीं था, बल्कि यह समानता, अधिकार और आत्मसम्मान की लड़ाई को आगे बढ़ाने का दृढ़ संकल्प था।

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भीम आर्मी का यह आयोजन न सिर्फ उनके बलिदान को सम्मान देने का कार्य था, बल्कि सामाजिक चेतना और बदलाव की दिशा में एक आवश्यक पहल भी साबित हुआ। 

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