Sunday, July 27, 2025
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नटवरलाल भी शरमा जाए इनकी शातिरबाजी पर… नकली देशों के असली दूतावास खोल दिया

गाजियाबाद में यूपी STF ने एक चौंकाने वाले फर्जीवाड़े का भंडाफोड़ किया है, जहां एक शातिर ठग करोड़ों की ठगी करते हुए नक्शे पर न मौजूद देशों के दूतावास चला रहा था। पढ़ें पूरी कहानी, जो नटवरलाल की याद दिला देगी।

चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट

हम सबने कभी-न-कभी नटवरलाल का नाम सुना है—वही, जिसने राष्ट्रपति भवन से लेकर ताजमहल तक बेच दिया था। लेकिन अब एक नया नाम सामने आया है, जो नटवरलाल से भी चार कदम आगे निकला। इस शातिर का नाम है हर्षवर्धन जैन, और इसका कारनामा सुनकर आपके होश उड़ जाएंगे।

ठगी का आंकड़ा भी है चौंकाने वाला

इस ठग ने करीब 558 करोड़ 94 लाख 85 हजार रुपये (यानी लगभग 55 मिलियन यूरो) की ठगी की है। जी हां, ये कोई मोबाइल नंबर नहीं, बल्कि वह भारी-भरकम रकम है जो हर्षवर्धन ने गबन कर ली।

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दिखावे की दुनिया: चमचमाती कारें और सिक्योरिटी

हर्षवर्धन जैन गाजियाबाद के कवि नगर क्षेत्र में एक आलीशान घर में रहता था। उसके पास वीआईपी नंबर वाली चमचमाती गाड़ियां थीं और सिक्योरिटी भी पूरी तरह मुस्तैद दिखती थी। पड़ोसियों को लगता था कि यह कोई बड़ा राजनयिक या सरकारी अधिकारी होगा। मगर, असलियत सामने आई तो हर कोई हैरान रह गया।

STF ने किया बड़ा खुलासा

उत्तर प्रदेश STF की नोएडा यूनिट ने जब इस घर पर छापा मारा, तो वहां से ऐसे तथाकथित देशों के दूतावास चलने की जानकारी मिली जो असल में कहीं अस्तित्व में ही नहीं हैं। यहां से West Arctica, Saborga, Poulvia और Lodonia जैसे नामों वाले देशों के ‘दूतावास’ संचालित किए जा रहे थे। हर्षवर्धन खुद को इन फर्जी देशों का राजदूत (Ambassador) बताता था।

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आइए, इन ‘देशों’ की हकीकत भी जान लें…

1. West Arctica – जहां देश नहीं, पर दूतावास है!

वेस्ट आर्कटिका का दावा मैरी बर्ड लैंड पर किया जाता है, जो अंटार्कटिका का एक निर्जन क्षेत्र है और जिस पर किसी देश ने आधिकारिक दावा नहीं किया है। साल 2001 में ट्रेविस मैकहेनरी नामक अमेरिकी व्यक्ति ने इसे Micronation घोषित किया था।

यहां की कथित जनसंख्या: करीब 2500 लोग

मान्यता: कोई अंतरराष्ट्रीय मान्यता नहीं

अपनी करेंसी और संविधान: हां, यह भी बना रखी है

2. Saborga – जो असल में इटली का एक गांव है

अगर आप गूगल मैप्स में Saborga को ढूंढेंगे, तो आपको इटली के एक छोटे से गांव का जिक्र मिलेगा। यह कोई स्वतंत्र देश नहीं, बल्कि इटली का एक प्रशासनिक हिस्सा है। लेकिन हर्षवर्धन इसे एक संप्रभु देश बता कर उसका दूतावास गाजियाबाद में चला रहा था।

3. Poulvia – जिसका कोई अस्तित्व ही नहीं

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यह नाम तो शायद आपने पहली बार ही सुना होगा, और यही इसकी असलियत भी है। गूगल, विकिपीडिया या किसी विश्वकोश में इस नाम का कोई देश नहीं मिलता। यानी, पूरी तरह फर्जी नाम और गढ़ी गई पहचान।

4. Lodonia – एक प्रतिमाओं की लड़ाई से बना देश!

लोडोनिया की कहानी और भी अजीब है। यह स्वीडन का एक हिस्सा है, जिसका क्षेत्रफल सिर्फ 1 वर्ग किलोमीटर है। इसकी जनसंख्या लगभग 22,000 लोग मानी जाती है, लेकिन रोचक बात यह है कि इनमें से कोई भी इस क्षेत्र में वास्तविक रूप से निवास नहीं करता।

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इसका जन्म हुआ एक कलात्मक और प्रशासनिक विवाद से। स्वीडन के कलाकार लार्स विक्स ने दो विवादित मूर्तियों की स्थापना की, जिसे हटाने को लेकर प्रशासन से उसकी लड़ाई हुई। अंततः उसने उस स्थान को “लोडोनिया” नामक नया देश घोषित कर दिया।

सवाल खड़े होते हैं…

आखिर ऐसे फर्जीवाड़े के पीछे क्या मकसद था?

पहली संभावना यह है कि हर्षवर्धन इस ‘राजनयिक पहचान’ के दम पर काले धन को सफेद कर रहा था।

दूसरी संभावना है कि वह फर्जी दस्तावेज़, डिप्लोमेटिक पासपोर्ट और वीआईपी ट्रीटमेंट का इस्तेमाल करके खुद को बचाता था।

तीसरी बड़ी आशंका यह भी है कि ऐसे ‘Micronation’ की आड़ में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनी लॉन्ड्रिंग, हवाला और साइबर फ्रॉड जैसे अपराधों को अंजाम दिया जा रहा था।

STF की जांच और आगे की कार्रवाई

फिलहाल यूपी STF ने हर्षवर्धन को हिरासत में ले लिया है और उससे पूछताछ जारी है। पुलिस को इस फर्जी नेटवर्क से जुड़े और भी सहयोगियों और वित्तीय नेटवर्क का पता लगाने की उम्मीद है।

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वहीं, इस केस ने राज्य और केंद्र सरकारों को भी चौकन्ना कर दिया है क्योंकि ये ठगी सिर्फ एक व्यक्ति तक सीमित नहीं लग रही—बल्कि ये एक ग्लोबल नेटवर्क की शक्ल में सामने आ रही है।

जहां आज तकनीक और साइबर सिक्योरिटी का युग है, वहीं हर्षवर्धन जैसे ठग यह साबित कर देते हैं कि अगर नियत ठगी की हो, तो आदमी नक्शे पर न होने वाले देश भी खड़ा कर सकता है। यह केस न सिर्फ भारत के लिए, बल्कि दुनिया भर के लिए साइबर अपराध और फर्जीवाड़े की एक गंभीर चेतावनी है।

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