2027 की तैयारी में बीजेपी ने फिर जोड़ा टूटा ध्रुव? बृजभूषण-योगी की मुलाकात से गर्माया पूर्वांचल, सियासी समीकरणों के बदलने के संकेत
संजय कुमार वर्मा की रिपोर्ट
पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बीच हुई 55 मिनट की मुलाकात से उत्तर प्रदेश की राजनीति में नई हलचल। जानिए पूर्वांचल की सियासत, बीजेपी की रणनीति और 2027 के समीकरणों पर क्या असर डालेगी यह बैठक।
उत्तर प्रदेश की राजनीति में इन दिनों हलचल तेज हो गई है। इसकी प्रमुख वजह है—बीजेपी के पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बीच हुई एक अचानक और लंबी मुलाकात, जिसने न केवल सियासी पारा बढ़ा दिया, बल्कि आने वाले चुनावों के समीकरणों को लेकर नई अटकलें भी खड़ी कर दी हैं।
🔶 लंबे समय बाद दो ध्रुवों की मुलाकात
दरअसल, सोमवार को पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने सीएम योगी आदित्यनाथ से लखनऊ स्थित 5, कालिदास मार्ग स्थित उनके सरकारी आवास पर मुलाकात की। यह भेंट करीब 55 मिनट तक चली। इस दौरान क्या बातें हुईं, इसका खुलासा तो नहीं हुआ, लेकिन सियासी विश्लेषकों के अनुसार, यह महज एक औपचारिक भेंट नहीं थी। यह मुलाकात राजनीतिक दृष्टिकोण से कई गहरे अर्थ लिए हुए है।
🔶 वर्षों पुरानी खटास का क्या हुआ?
गौरतलब है कि बृजभूषण और योगी आदित्यनाथ के संबंध पिछले तीन वर्षों से तनावपूर्ण माने जा रहे थे। 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद दोनों नेताओं को एक साथ किसी भी मंच पर नहीं देखा गया। 2022 में एक सरकारी कार्यक्रम में बृजभूषण को न बुलाए जाने पर उनकी नाराजगी साफ झलकी थी। इसके बाद उन्होंने कई बार बीजेपी सरकार की आलोचना की और सपा नेता अखिलेश यादव की सार्वजनिक रूप से प्रशंसा तक कर डाली, जिससे पार्टी के भीतर असहजता बढ़ गई थी।
🔶 पहले फोन, फिर व्यक्तिगत भेंट
हालांकि बीते कुछ दिनों में दोनों के बीच संचार का सिलसिला दोबारा शुरू हुआ। पहले फोन पर बातचीत हुई और अब व्यक्तिगत मुलाकात। सूत्रों की मानें तो यह मुलाकात बृजभूषण के बेटे करन भूषण सिंह की सीएम से हुई मुलाकात के दौरान ही तय हो गई थी।
🔶 मुलाकात के बाद क्या बोले बृजभूषण?
मुलाकात के बाद जब बृजभूषण शरण सिंह बाहर निकले, तो उन्होंने मीडिया से सिर्फ इतना कहा,
“योगी जी मुख्यमंत्री हैं, उनसे मुलाकात होनी ही चाहिए।”
लेकिन उनके चेहरे की हल्की निराशा और मौन संकेत दे रहे थे कि उन्हें वह राजनीतिक आश्वासन शायद नहीं मिला जिसकी उन्हें अपेक्षा थी।
🔷 पूर्वांचल में बृजभूषण की पकड़ अब भी मजबूत
पूर्वांचल की राजनीति में बृजभूषण शरण सिंह आज भी एक बड़ा नाम हैं। छह बार सांसद रह चुके बृजभूषण की गोंडा, बहराइच, बलरामपुर, श्रावस्ती जैसे क्षेत्रों में जमीनी पकड़ निर्विवाद मानी जाती है। उनकी और केंद्रीय मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह की गुटबाजी गोंडा में सक्रिय है, जिससे पार्टी को समय-समय पर स्थानीय नुकसान भी उठाना पड़ा है।
🔷 क्या है बीजेपी की रणनीति?
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, यह मुलाकात 2027 के विधानसभा चुनावों की रणनीति के तहत हुई है। वरिष्ठ पत्रकार सुरेश बहादुर सिंह का कहना है कि
“दिल्ली से लौटने के बाद योगी आदित्यनाथ को शीर्ष नेतृत्व की ओर से यह संदेश मिला था कि असंतुष्ट नेताओं को मनाया जाए।”
बृजभूषण जैसे नेताओं से संवाद स्थापित करना इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। यदि बृजभूषण बीजेपी से नाराज रहकर अलग रुख अख्तियार करते हैं, तो पूर्वांचल में पार्टी की स्थिति कमजोर हो सकती है।
🔷 सपा की ओर झुकाव या बीजेपी पर दबाव?
पिछले कुछ समय में बृजभूषण के बयानों में सपा के प्रति नरमी और मुलायम सिंह यादव की खुलकर तारीफ देखी गई है। वहीं, बीजेपी सरकार की आलोचना और धर्म व जाति आधारित टिप्पणियों ने यह संकेत दिए कि वे या तो विकल्प तलाश रहे हैं, या फिर अपनी राजनीतिक अहमियत फिर से स्थापित करना चाहते हैं।
राजनीतिक जानकारों के अनुसार, यह रुख भाजपा पर दबाव बनाने की रणनीति हो सकती है, ताकि पार्टी उन्हें दोबारा निर्णायक भूमिका में लाने को मजबूर हो।
🔶 क्या यह मुलाकात है किसी नए अध्याय की शुरुआत?
फिलहाल इस मुलाकात ने पूर्वांचल की राजनीति में एक बार फिर हलचल पैदा कर दी है। बृजभूषण शरण सिंह और योगी आदित्यनाथ के बीच यह भेंट महज दो नेताओं की मुलाकात नहीं, बल्कि 2027 की सियासी जंग में भाजपा की रणनीति, संगठन की मजबूरी और पूर्वांचल के ध्रुवों को साधने की कोशिश के रूप में देखी जा रही है।
आने वाले समय में यह स्पष्ट हो जाएगा कि बृजभूषण भाजपा के साथ रहेंगे, अलग राह चुनेंगे या फिर एक नए सियासी समीकरण की नींव रखेंगे।