Monday, July 21, 2025
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न्यूज़ पोर्टल को गैरकानूनी बताना कानून की अवहेलना है—पढ़िए सच्चाई

जगदंबा उपाध्याय की खास रिपोर्ट

हाल के दिनों में एक भ्रामक और तथ्यविहीन खबर सोशल मीडिया, व्हाट्सएप और कुछ पोर्टलों पर बड़ी तेजी से फैल रही है। इसमें दावा किया गया है कि—

“इंटरनेट पर चल रहे न्यूज पोर्टल पत्रकारों की नियुक्ति नहीं कर सकते और न ही प्रेस आईडी जारी कर सकते हैं। ऐसा करना अवैध है और इस पर सरकार कार्रवाई करेगी।”

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यह खबर न केवल डिजिटल मीडिया की छवि को धूमिल करने की कोशिश है, बल्कि यह स्वतंत्र पत्रकारिता पर सीधा हमला भी है। हम इस खबर का खंडन करते हैं और तथ्यों के साथ इसकी सच्चाई उजागर करते हैं।

क्या है इस फर्जी खबर में?

  • इस तथाकथित “समाचार” में दावा किया गया है कि:
  • सिर्फ आरएनआई (RNI) रजिस्टर्ड अखबार ही पत्रकार रख सकते हैं।
  • केवल सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय से मान्यता प्राप्त चैनल ही प्रेस कार्ड जारी कर सकते हैं।
  • न्यूज़ पोर्टल का कोई वैधानिक अस्तित्व नहीं है।
  • न्यूज पोर्टल के माध्यम से पत्रकार नियुक्त करना कानून के विरुद्ध है।
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इन सभी दावों को सरकार के मौजूदा नियमों, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की गाइडलाइनों और आईटी नियमों (IT Rules 2021) से पूर्णतः असत्य सिद्ध किया जा सकता है।

✅ डिजिटल मीडिया की सच्चाई: कानून, नियम और अधिकार

📌 1. न्यूज़ पोर्टल वैध हैं

भारत सरकार ने Information Technology (Intermediary Guidelines and Digital Media Ethics Code) Rules, 2021 के तहत डिजिटल न्यूज़ पोर्टलों को एक नियामक ढांचे में लाया है। यह स्पष्ट करता है कि डिजिटल मीडिया भी पत्रकारिता का वैध मंच है।

📌 2. न्यूज़ पोर्टल पत्रकार रख सकते हैं

हर न्यूज़ पोर्टल एक संस्था होता है। वह अपनी ज़रूरत के अनुसार पत्रकारों, संवाददाताओं, संपादकों, फोटोजर्नलिस्ट्स आदि की नियुक्ति कर सकता है, ठीक उसी तरह जैसे प्रिंट मीडिया करता है।

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📌 3. प्रेस आईडी देना अवैध नहीं है

प्रेस कार्ड किसी भी मीडिया संस्थान का आंतरिक परिचय पत्र होता है। वह सरकारी मान्यता नहीं होता, लेकिन संस्थान द्वारा कार्यरत पत्रकार की पहचान के लिए होता है। यह पूरी तरह वैध है, बशर्ते इसका दुरुपयोग न किया जाए।

📌 4. स्वघोषणा की प्रक्रिया है, रजिस्ट्रेशन नहीं

डिजिटल पोर्टलों को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के पोर्टल https://digitalmedia.mib.gov.in पर जाकर स्वघोषणा (Self-declaration) करनी होती है। यह पारदर्शिता सुनिश्चित करने की प्रक्रिया है, न कि वैधता पर सवाल।

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🧾 तो फिर सरकार किन पर कार्रवाई करती है?

  1. सरकार उन लोगों पर सख्त कार्रवाई करती है जो:
  2. खुद को पत्रकार बताकर ब्लैकमेलिंग और वसूली करते हैं।
  3. फर्जी प्रेस कार्ड बनाते हैं और पत्रकारिता की आड़ में अपराध करते हैं।
  4. किसी संस्था से जुड़े बिना ‘प्रेस’ का नाम इस्तेमाल करते हैं।

लेकिन इसका यह अर्थ निकाल लेना कि सभी न्यूज़ पोर्टल अवैध हैं या वे पत्रकार नहीं रख सकते — यह सरासर अज्ञानतावश फैलाया गया दुष्प्रचार है।

📢 सवाल उठता है — आखिर इस तरह की अफवाहें क्यों फैलाई जाती हैं?

स्वतंत्र डिजिटल मीडिया की लोकप्रियता कुछ लोगों को अखर रही है।

पुरानी परंपरागत मीडिया से असहमत या असुरक्षित लोग डिजिटल मीडिया को नीचा दिखाना चाहते हैं।

कुछ संस्थागत विरोधी तत्व स्वतंत्र पत्रकारों को डराने के लिए ऐसे झूठे “कानूनी डर” फैलाते हैं।

📚 हमारा स्पष्ट प्रतिउत्तर:

“डिजिटल न्यूज़ पोर्टल न केवल पत्रकार रख सकते हैं, बल्कि वे आधुनिक भारत की पत्रकारिता की रीढ़ बन चुके हैं।”

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 यदि कोई पोर्टल सरकार को सूचना देकर पारदर्शी तरीके से कार्य कर रहा है, नियमों का पालन कर रहा है, तो उसे पत्रकार रखने, प्रेस कार्ड जारी करने और रिपोर्टिंग करने का पूरा अधिकार है।

इस तरह की भ्रामक खबरें, जो किसी भी प्रकार की आधिकारिक सूचना या अधिसूचना से प्रमाणित नहीं होतीं, वे न केवल पत्रकारिता की गरिमा को ठेस पहुंचाती हैं, बल्कि जनता में भ्रम फैलाती हैं। हम सभी डिजिटल मीडिया संस्थानों और पाठकों से अपील करते हैं कि वे तथ्यों की जांच करें, गाइडलाइन्स पढ़ें, और बिना सत्यापन के किसी भी दावे को स्वीकार न करें।

🛑 सावधान रहें, सच के साथ खड़े रहें। पत्रकारिता पर विश्वास तभी बचेगा जब हम अफवाहों को रोकेंगे और तथ्यों को आगे बढ़ाएंगे।

क्या आप चाहेंगे कि मैं इस लेख का HTML वर्जन भी बनाऊँ ताकि आप इसे WordPress या अन्य CMS में आसानी से प्रकाशित कर सकें?

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