आजमगढ़ के जहानागंज क्षेत्र में उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान द्वारा त्रैमासिक निशुल्क पौरोहित्य प्रशिक्षण का शुभारंभ हुआ। विद्वान प्रशिक्षकों के निर्देशन में युवाओं को सनातन संस्कारों और वैदिक विधियों का प्रशिक्षण मिलेगा।
जगदंबा उपाध्याय की रिपोर्ट
धार्मिक परंपराओं और वैदिक संस्कृति के प्रचार-प्रसार को गति देने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान द्वारा आयोजित त्रैमासिक निशुल्क पौरोहित्य प्रशिक्षण केंद्र का उद्घाटन समारोह आजमगढ़ जनपद के जहानागंज क्षेत्र में स्थित श्री ब्रह्म भवानंद पूर्व माध्यमिक विद्यालय, पुनर्जी में बड़े ही सादगीपूर्ण किंतु गरिमामयी वातावरण में संपन्न हुआ।
सबसे पहले, विद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ. अजीत पांडेय ने मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ किया। इस अवसर पर विद्यालय प्रांगण वैदिक मंत्रोच्चार और शुभकामनाओं की गूंज से आध्यात्मिक वातावरण में परिणत हो गया।
वैदिक मूल्यों की पुनर्स्थापना की दिशा में एक प्रयास
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंतर्गत तीन माह तक चयनित विद्यार्थियों को निःशुल्क पौरोहित्य शिक्षा दी जाएगी। संस्थान के मुख्य प्रशिक्षक श्री राहुल उपाध्याय द्वारा विशेष रूप से तैयार पाठ्यक्रम के माध्यम से छात्रों को वैदिक अनुष्ठानों, संस्कार विधियों, यज्ञोपवीत, विवाह, श्राद्ध आदि धार्मिक कर्मकांडों का सैद्धांतिक और व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा।
पुरोहित: समाज का सांस्कृतिक स्तंभ
कार्यक्रम में वक्ताओं ने इस बात पर विशेष बल दिया कि पुरोहित मात्र कर्मकांड का संचालक नहीं, बल्कि वह समाज के सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक नेतृत्व का प्रतिनिधि होता है। ऐसे में एक पुरोहित का विद्वान, मर्यादित, अनुशासित और संस्कारवान होना नितांत आवश्यक है। प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य भी यही है कि नवयुवक वैदिक ज्ञान से समृद्ध होकर समाज की सेवा करें और सनातन परंपराओं की ज्योति जलाए रखें।
गणमान्य अतिथियों की गरिमामयी उपस्थिति
इस उद्घाटन समारोह में प्रधानाचार्य डॉ. अजीत पांडेय के अतिरिक्त क्षेत्र के अनेक प्रबुद्धजन एवं शिक्षाविद भी उपस्थित रहे। सुधाकर त्रिपाठी, इंद्रजीत पांडेय, गणेश उपाध्याय, दुर्गेश उपाध्याय, धीरज उपाध्याय, उमेश पांडेय जैसे श्रद्धेय नामों ने अपनी उपस्थिति से कार्यक्रम की गरिमा को और बढ़ाया। उन्होंने भी अपने-अपने वक्तव्यों में वैदिक शिक्षा और धार्मिक मूल्यों की उपयोगिता पर प्रकाश डाला।
जहां एक ओर आधुनिक शिक्षा की तेज़ धारा बह रही है, वहीं ऐसे प्रयास यह सुनिश्चित करते हैं कि हमारी सांस्कृतिक जड़ें और परंपराएं भी मजबूत बनी रहें। उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान का यह पहल न केवल एक शिक्षण प्रयास है, बल्कि धार्मिक चेतना का जागरण और सामाजिक सेवा का संकल्प भी है।
यदि आप ऐसे प्रशिक्षण में भाग लेना चाहते हैं या किसी अन्य जानकारी के इच्छुक हैं, तो श्री ब्रह्म भवानंद विद्यालय, पुनर्जी जहानागंज, आजमगढ़ से संपर्क कर सकते हैं। भविष्य के पुरोहितों को संस्कार देने की यह यात्रा अभी प्रारंभ हुई है, और इसमें जनसहयोग भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।