धूलियान हिंसा: मंदिरों पर हमला, महिलाओं की पुकार और प्रशासन की नाकामी
धूलियान, पश्चिम बंगाल: धूलियान शहर में भड़की भीषण हिंसा ने शहर को दहला कर रख दिया। महिलाओं की चीखें, जली हुई दुकानों का मलबा और टूटी आस्था अब तक वहां की गलियों में महसूस की जा सकती है।
भय और आंसुओं में डूबी बेदवान की रात
हिंसा की उस काली रात को याद कर बेदवान की महिलाएं आज भी कांप जाती हैं। एक पीड़िता ने बताया – “उपद्रवी मेरे घर में घुस आए, मुझे पकड़ा और कहा – सिंदूर मिटा दो, चूड़ियां तोड़ दो और हमारे साथ चलो, तभी पति को छोड़ेंगे।” यह कहते हुए वह फूट-फूट कर रो पड़ी।
महिलाओं की राष्ट्रपति से भावुक अपील
महिलाओं ने कहा – “हम महामहिम राष्ट्रपति जी से निवेदन करती हैं कि आप स्वयं एक महिला हैं, हमारी पीड़ा को समझें और हमें न्याय दिलाएं।”
हिंदू दुकानों और मंदिरों को बनाया गया निशाना
हिंसा के दौरान चुन-चुनकर हिंदू दुकानों को लूटा गया और मंदिरों में तोड़फोड़ की गई। स्थानीय दुकानदारों का कहना है कि वे अब लोहे की गार्ड लगाकर अपनी दुकानों की सुरक्षा करने को मजबूर हैं।
पुलिस की भूमिका पर उठे सवाल
एक बुजुर्ग ने बताया कि उनका घर थाने से केवल 200 मीटर दूर था, लेकिन पुलिस को पहुंचने में 4 घंटे लगे। “हमने लगातार फोन किया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला,” उन्होंने कहा।
40 से अधिक मंदिरों में तोड़फोड़
षष्टी घोष नामक बुजुर्ग ने बताया कि मस्जिद से ऐलान के बाद हजारों की भीड़ ने रैली निकाली और हिंदू इलाकों में घुसकर 40 से अधिक मंदिरों में तोड़फोड़ की। गाड़ियों को जलाया गया, दुकानों को लूटा गया और लोगों के घरों को आग के हवाले किया गया।
मानवता की पुकार
यह घटना केवल सांप्रदायिक हिंसा नहीं, बल्कि मानवता पर हमला है। अब समय है कि सरकार सक्रिय भूमिका निभाए और पीड़ितों को सुरक्षा तथा न्याय दोनों दिलाए।
सौम्या बनर्जी की रिपोर्ट