बसपा का बढ़ता जनाधार : टिकट की दौड़ में नेताओं की बेचैनी

चित्रकूट में बसपा समर्थकों की भीड़, मायावती के पोस्टर और बसपा का हाथी चुनाव चिन्ह दिखाई देता है।

संजय सिंह राणा की रिपोर्ट

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बसपा का बढ़ता जनाधार और चुनावी सुगबुगाहट

जैसे ही त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की सुगबुगाहट शुरू हुई, वैसे ही चित्रकूट में नेताओं की हलचल तेज हो गई। स्थानीय नेता अपने-आप को समाजसेवी बताने के लिए पोस्टर-बैनर लगवा रहे हैं और जनता के बीच हितैषी बनने का दावा कर रहे हैं। लेकिन असलियत यह है कि चुनाव जीतने के बाद यही नेता जनता से दूरी बना लेते हैं। ऐसे माहौल में बसपा का बढ़ता जनाधार सबकी निगाहें अपनी ओर खींच रहा है।

बसपा का बढ़ता जनाधार और पिछला प्रदर्शन

पिछले पंचायत चुनाव में बसपा ने शानदार प्रदर्शन किया था। चित्रकूट जिला पंचायत की 17 सीटों में से आधा दर्जन सीटें बसपा ने अपने नाम की थीं। लगभग इतनी ही सीटें समाजवादी पार्टी को मिलीं, जबकि भाजपा केवल चार सीटों पर सिमट गई। जनता अब मान रही है कि इस बार बसपा का बढ़ता जनाधार जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी तक पार्टी को पहुंचा सकता है।

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चित्रकूट में बसपा समर्थकों की भीड़, मायावती के पोस्टर और बसपा का हाथी चुनाव चिन्ह दिखाई देता है।
चित्रकूट में बसपा का बढ़ता जनाधार नेताओं और कार्यकर्ताओं को टिकट की दौड़ में शामिल कर रहा है।

बसपा का बढ़ता जनाधार और दल बदलू नेताओं की जुगत

दिलचस्प यह है कि जिन नेताओं ने पिछले चुनाव में बसपा से जीत हासिल की और बाद में सत्ताधारी दल भाजपा का दामन थाम लिया, वही अब फिर से टिकट पाने की कोशिश कर रहे हैं। ये नेता बसपा का बढ़ता जनाधार देखकर चिंतित हैं और मायावती की शरण में लौटना चाहते हैं। मगर जनता अब इनके असली चेहरे पहचान चुकी है और समझ चुकी है कि चुनाव जीतने के बाद ये नेता क्षेत्र में कभी दिखाई नहीं देते।

बसपा का बढ़ता जनाधार और सच्चे कार्यकर्ता

जबकि कुछ नेता स्वार्थ की राजनीति कर रहे हैं, वहीं बसपा के असली जुझारू कार्यकर्ता अब भी पार्टी की नीतियों को गांव-गांव और घर-घर पहुंचा रहे हैं। यही कारण है कि बसपा का बढ़ता जनाधार दिन-प्रतिदिन और मजबूत हो रहा है।

बसपा का बढ़ता जनाधार और 9 अक्टूबर की विशाल जनसभा

बसपा के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए 9 अक्टूबर 2025 को मान्यवर कांशीराम जी के परिनिर्वाण दिवस पर लखनऊ के रमाबाई अंबेडकर मैदान में एक विशाल जनसभा का आयोजन किया जा रहा है। इस अवसर पर बसपा सुप्रीमो और पूर्व मुख्यमंत्री कुमारी मायावती पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करेंगी। माना जा रहा है कि इस मंच से कई पुराने दिग्गज नेता भी बसपा में पुनः शामिल होंगे। यह सभा निश्चित ही बसपा का बढ़ता जनाधार को और मजबूत बनाएगी।

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बसपा का बढ़ता जनाधार और टिकट की राजनीति

दल बदलकर अन्य दलों में गए नेताओं की बेचैनी इस समय साफ दिखाई दे रही है। उन्हें डर सता रहा है कि अगर बसपा का टिकट नहीं मिला तो उनकी राजनीतिक जमीन खिसक जाएगी। यही वजह है कि वे हर हाल में टिकट पाने की जुगत में लगे हैं। लेकिन पार्टी संगठन अब यह सोच रहा है कि क्या ऐसे अवसरवादी नेताओं को टिकट दिया जाए या फिर नए चेहरों को मौका मिले।

बसपा का बढ़ता जनाधार और संगठनात्मक मजबूती

चित्रकूट जिले के जिलाध्यक्ष एडवोकेट शिव बाबू वर्मा “गांव चलो अभियान” के तहत गांव-गांव जाकर सक्रिय सदस्य बना रहे हैं। उनका उद्देश्य है कि बसपा का बढ़ता जनाधार बूथ स्तर तक मजबूत किया जाए। इसी अभियान के जरिए मिशन 2026 और मिशन 2027 की तैयारी की जा रही है।

बसपा का बढ़ता जनाधार और भविष्य की राजनीति

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर बसपा ने नए चेहरों पर भरोसा जताया और दल बदलू नेताओं को टिकट देने से बचा, तो निश्चित रूप से बसपा का बढ़ता जनाधार पंचायत से लेकर विधानसभा तक जीत की गारंटी बनेगा। मायावती का लक्ष्य स्पष्ट है – मिशन 2026 और 2027 में जीत हासिल करके पांचवीं बार उत्तर प्रदेश की सत्ता में वापसी करना।

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स्पष्ट है कि बसपा का बढ़ता जनाधार नेताओं के लिए टिकट की जुगत और जनता के लिए उम्मीद का नया रास्ता बन गया है। 9 अक्टूबर की जनसभा इस जनाधार को और मजबूत करेगी। यदि यह सभा उम्मीद के अनुसार सफल रही, तो निस्संदेह कहा जाएगा कि बसपा का बढ़ता जनाधार उत्तर प्रदेश की राजनीति में गेम चेंजर साबित होगा।

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