
देवमाली पर्यटन गांव : परंपरा और आस्था का संगम
राजस्थान ब्यूरो रिपोर्ट
राजस्थान के अजमेर ज़िले में स्थित देवमाली पर्यटन गांव केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक आत्मा का जीवंत प्रतीक है। यह वही पवित्र भूमि है जहां भगवान देवनारायण की उपासना हजारों वर्षों से होती आ रही है। यही कारण है कि देवमाली को “भारत का पहला पर्यटन गांव” कहा जाता है।
यह गांव आज भी 21वीं सदी की आधुनिकता के बीच अपनी प्राचीन परंपराओं, वचनों और मर्यादाओं को अक्षुण्ण रखे हुए है। यहां के लोग भगवान देवनारायण जी के भक्त हैं और उन्होंने अपने आराध्य को जो वचन दिया था — उसे आज भी निभा रहे हैं।
🏡 देवमाली गांव की अनोखी परंपरा: पक्के घर नहीं, छप्पर वाले मिट्टी के घर
देवमाली पर्यटन गांव की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यहां किसी भी व्यक्ति का घर पक्का नहीं है। पूरे गांव में एक भी कंक्रीट या सीमेंट से बना घर नहीं मिलेगा। हर घर मिट्टी से बना है और उसकी छतें छप्पर की हैं।
स्थानीय मान्यता के अनुसार, भगवान देवनारायण जब पहली बार इस गांव में आए थे, तब ग्रामीणों ने उनके रहने के लिए एक घर बनाया और यह प्रण किया कि वे कभी अपने लिए पक्का घर नहीं बनाएंगे। इसी धार्मिक वचन को निभाते हुए आज भी देवमाली के निवासी केवल मिट्टी और छप्पर के घरों में रहते हैं।
गांव में न मांसाहार है, न शराब, न मिट्टी का तेल — यहां तक कि नीम की लकड़ी जलाने पर भी रोक है। यही अनुशासन और आस्था देवमाली पर्यटन गांव को भारत में अद्वितीय बनाते हैं।
🌺 भगवान देवनारायण मंदिर : आस्था की ऊंचाई पर स्थित पवित्र धाम
देवमाली की ऊँची पहाड़ी पर स्थित भगवान देवनारायण मंदिर इस क्षेत्र की आध्यात्मिक धड़कन है। यहां हर वर्ष लाखों श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं। यह मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि राजस्थान के लोक इतिहास, संस्कृति और अध्यात्म का संगम भी है।
माना जाता है कि देवमाली मंदिर से निकलने वाली आस्था की ऊर्जा पूरे गांव को पवित्र वातावरण में बांधे रखती है। मंदिर परिसर से आसपास के प्राकृतिक दृश्य अत्यंत मनमोहक हैं — मानो प्रकृति स्वयं भगवान देवनारायण की आरती उतार रही हो।
📚 राज्य स्तरीय संयुक्त सर्वेक्षण: डिजिटल शिक्षा की पहुँच पर अध्ययन
हाल ही में अजमेर, टोंक, बांसवाड़ा, डूंगरपुर और भरतपुर के 16 शोधार्थियों की एक टीम ने देवमाली पर्यटन गांव का दौरा किया। यह टीम राज्य स्तरीय संयुक्त सर्वे “राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में डिजिटल शिक्षा की पहुँच एवं उसके समक्ष उपस्थित चुनौतियों का अध्ययन” पर कार्य कर रही थी।

शोधार्थियों ने देवमाली गांव के स्कूलों, शिक्षकों और छात्रों से बातचीत कर डिजिटल शिक्षा के व्यावहारिक पक्षों को समझा। डिजिटल उपकरणों की उपलब्धता, नेटवर्क कनेक्टिविटी और ई-लर्निंग के प्रति विद्यार्थियों की रुचि जैसे बिंदुओं पर डेटा एकत्र किया गया।
टीम के सदस्यों ने यह अनुभव साझा किया कि भले ही यह गांव आधुनिक सुविधाओं से दूर है, लेकिन शिक्षा के प्रति ग्रामीणों का समर्पण और बच्चों की सीखने की ललक काबिल-ए-तारीफ है।
🌄 प्राकृतिक सौंदर्य और सांस्कृतिक विरासत से भरपूर देवमाली
देवमाली पर्यटन गांव की पहचान केवल धार्मिक आस्था से नहीं जुड़ी, बल्कि यह राजस्थान की लोकसंस्कृति, प्रकृति और पर्यावरण संरक्षण का भी उत्कृष्ट उदाहरण है।
गांव की पहाड़ियों से गुजरती हवा, मिट्टी की खुशबू और मंदिर से गूंजती “जय देव नारायण” की आवाज़ें हर आगंतुक को आध्यात्मिक सुकून देती हैं। यह गांव पर्यावरण-संवेदनशील पर्यटन का भी आदर्श मॉडल बन सकता है — जहां आधुनिकता और परंपरा का संतुलन बखूबी दिखाई देता है।
🙏 देवमाली यात्रा का सार : श्रद्धा, सीख और प्रेरणा
शोधार्थियों की टीम ने भगवान देवनारायण मंदिर में दर्शन किए, गांव के बुजुर्गों से पौराणिक कथाएं सुनीं और गांव की सामाजिक व्यवस्था को गहराई से समझा। अंत में सभी ने “जय देवनारायण” के जयकारों के बीच देवमाली से विदा ली और ब्यावर के लिए प्रस्थान किया।
यह यात्रा सिर्फ एक शोध यात्रा नहीं रही — यह भारत की जीवंत परंपराओं, संस्कृति और आस्था की गहराई को अनुभव करने की यात्रा थी।