
जोड़ेघाट में धूमधाम से मनाई गई भीम वर्धांती
दादा गंगाराम की रिपोर्ट
आसिफाबाद: आदिवासियों के आराध्य देवता कोमराम भीम की वर्धांती के अवसर पर आज केरामेरी मण्डल के जोड़ेघाट में भव्य कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर जिला कलेक्टर वेंकटेश दत्रे और जिला एसपी कांतिलाल पाटिल ने कोमराम भीम की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर सम्मान व्यक्त किया।
कोमराम भीम का जीवन परिचय
कोमराम भीम का जन्म 22 अक्टूबर 1901 को असिफाबाद जिले के संकनपल्ली में हुआ। उन्होंने हैदराबाद राज्य के निजाम नवाब के शासकीय अत्याचार और आदिवासी भूमि, जंगल और जल संसाधनों पर डाका के खिलाफ संघर्ष शुरू किया।
भीम ने आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा और भूमि-मालिकाना हक के लिए जीवन समर्पित किया। उनका नारा था:
“जल, जंगल, जमीन”
भीम ने 1928 से 1940 तक निजाम सरकार के खिलाफ आदिवासियों के अधिकारों के लिए गेरिल्ला युद्ध लड़ा। उन्होंने न केवल आसपास के 12 गांवों में संघर्ष शुरू किया, बल्कि धीरे-धीरे यह आंदोलन पूरे हैदराबाद राज्य में फैल गया।
भीम के साथ उनके सहयोगी कुमारा सूरी और वेडमाराम थे। उनका संघर्ष निजाम के अत्याचार और पशु कर (सुमक) के खिलाफ था। अंततः 27 अक्टूबर 1940 को जोड़घाट जंगल में कोमराम भीम का शहीदी दिवस आया। आदिवासी समुदाय इसे अश्वयुज शुद्ध पूर्णिमा के दिन पवित्र रूप से मनाता है।
तेलंगाना सरकार द्वारा दी गई मान्यता
तेलंगाना राज्य के गठन के बाद आसिफाबाद जिले को कोमराम भीम का नाम दिया गया, ताकि आदिवासी संस्कृति और उनके वीर शहीद को सम्मान मिल सके।
सरकार ने जोड़ेघाट क्षेत्र में कोमराम भीम म्यूज़ियम की स्थापना की और हर साल कोमराम भीम जयंती को राज्य स्तरीय कार्यक्रम के रूप में भव्यता से मनाया जाता है।
कोमराम भीम का यह संघर्ष आज भी समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत है और आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा का प्रतीक बन गया है।
