✍️ संजय सिंह राणा की रिपोर्ट
चित्रकूट/लखनऊ। एक गरीब विधवा माँ मंजू यादव की चीखें आज उत्तर प्रदेश के कानून, प्रशासन और समाज की संवेदनहीनता पर सवाल खड़े कर रही हैं। चित्रकूट जिले के बहिलपुरवा थाना अंतर्गत करका पड़रिया गांव की निवासी मंजू यादव इस समय लखनऊ के एक अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच झूल रही हैं। उनकी हालत बेहद गंभीर है—नाक और माथे की हड्डियाँ टूटी हुई हैं, आंखों की रोशनी लगभग जा चुकी है, एक पैर पूरी तरह कुचल दिया गया है।
🔴 इस अमानवीय कृत्य का एक वीडियो हमने इस रिपोर्ट में जोड़ा है—इसे अवश्य देखें, क्योंकि यह केवल एक पीड़िता की हालत नहीं, बल्कि पूरे तंत्र की चुप्पी को भी उजागर करता है।
त्रियुगी नारायण त्रिपाठी उर्फ़ ‘बुद्धा’—एक नाम, एक डर
इस दर्दनाक वारदात के पीछे का नाम है त्रियुगी नारायण त्रिपाठी उर्फ़ बुद्धा—एक ऐसा व्यक्ति जो किसी अपराधी से कम नहीं, बल्कि पूरा एक ‘काला साम्राज्य’ संचालित करता है।
बुद्धा का आपराधिक इतिहास चौंकाने वाला है:
1992 में मानिकपुर के भरोसा मंदिर से 40 किलो की अष्टधातु की मूर्ति चोरी की एफआईआर दर्ज।
अपने ही गांव रूखमा खुर्द के फूली पुरवा में हत्या—आजीवन कारावास की सजा मिली, अब जमानत पर बाहर।
गिरधर मिश्रा पर एक दर्जन गुर्गों के साथ जानलेवा हमला—एफआईआर बहिलपुरवा थाना में।
रविकरन को चमरौड़ी पुरवा में गोली मारी—मामला हाईकोर्ट में रिपोर्ट के आदेश के साथ लंबित।
इन मामलों से साफ है कि यह कोई सामान्य अपराधी नहीं, बल्कि संगठित अपराध का सरगना है। लेकिन अब भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर घूम रहा है।
एक संगठित गैंग का संचालन
विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, बुद्धा ने अपने इर्द-गिर्द छोटे गांवों में एक गैंग नेटवर्क तैयार कर रखा है।
ये गुर्गे इलाके में दहशत फैलाते हैं
- असलहे, बंदूकें, गोलियां और संसाधन खुद बुद्धा मुहैया कराता है
- पुलिस की मिलीभगत से कार्रवाई से बच निकलता है
- पाठा क्षेत्र में उसका काला साम्राज्य पूरी ताकत से फैल चुका है
अब सवाल उठता है—कब होगा न्याय?
पीड़िता मंजू यादव की हालत यह चीख-चीख कर कह रही है कि अब चुप्पी अपराध के पक्ष में खड़े होने जैसा है। जो पुलिस आरोपी को नहीं पकड़ पा रही, क्या वह भी इस गैंग का हिस्सा बन चुकी है?
इस मामले में कुछ आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है, पर मुख्य आरोपी त्रियुगी नारायण त्रिपाठी अब भी फरार है। यदि यही कानून व्यवस्था है, तो हर गरीब, हर विधवा और हर अकेली माँ असुरक्षित है।
🎥 जरूर देखें: पीड़िता मंजू यादव की दर्दनाक हालत का विशेष वीडियो
यह वीडियो केवल आंखों के लिए नहीं, आपकी आत्मा को झकझोरने के लिए है। इस महिला की खामोश चीखों को सुने बिना इस रिपोर्ट को अधूरा न समझिए। वीडियो इस रिपोर्ट के अंत में जोड़ा गया है—देखिए, सोचिए और पूछिए: क्या यही है इंसाफ़?
👉 अगले अंक में पढ़िए:
त्रियुगी नारायण त्रिपाठी उर्फ़ बुद्धा के सियासी संपर्क, पुलिस संरक्षण और ‘ब्लैक इकोनॉमी’ का खुलासा