शोक के बहाने शरारत : जुबीन गर्ग की मृत्यु से उपजा विवाद और पूर्वोत्तर की साझा पहचान पर संकट

जूलिया बोडो की रिपोर्ट

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पूर्वोत्तर भारत के सबसे लोकप्रिय चेहरों में से एक, गायक जुबीन गर्ग का 19 सितंबर को सिंगापुर में प्रदर्शन के दौरान हुए हादसे में निधन असम समेत पूरे पूर्वोत्तर के लिए गहरा सदमा लेकर आया। वे नॉर्थ ईस्ट फेस्टिवल में प्रस्तुति देने पहुंचे थे, जहां अचानक हुई इस दुर्घटना ने लाखों प्रशंसकों को स्तब्ध कर दिया। जुबीन गर्ग सिर्फ एक गायक नहीं थे, बल्कि असम की सांस्कृतिक पहचान के प्रतीक थे।

उनके निधन के बाद असम में शोक की लहर फैल गई। बाजार, स्कूल और दफ्तर स्वेच्छा से बंद रहे। लोगों ने अपने तरीके से उन्हें श्रद्धांजलि दी, जैसे परिवार के किसी सदस्य की मृत्यु हो गई हो। लेकिन इसी भावनात्मक माहौल में काजीरंगा विश्वविद्यालय के एक छात्र द्वारा की गई हल्की टिप्पणी ने बड़ा विवाद खड़ा कर दिया।

लिसेरी एस. संगतम की टिप्पणी ने भड़काया विवाद

काजीरंगा विश्वविद्यालय के सिविल इंजीनियरिंग के छात्र लिसेरी एस. संगतम ने गायक की मृत्यु के बाद सोशल मीडिया पर एक हल्की टिप्पणी की— “कौन है यह जुबीन गर्ग? किसे पड़ी है?” यह कथन उनके लिए भारी पड़ गया। वीडियो वायरल होने के बाद असम के लोगों में गुस्सा फैल गया और छात्र पर कार्रवाई की मांग उठी। विश्वविद्यालय प्रशासन ने संगतम को निलंबित कर दिया।

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इसके साथ ही एक दूसरा वीडियो भी सामने आया, जिसमें कुछ छात्र संगतम के साथ मारपीट करते और उससे माफी मांगने के लिए मजबूर करते नजर आए। इस घटना से विश्वविद्यालय में तनाव और बढ़ गया। नगा छात्रों की सुरक्षा पर संदेह उठने लगा और कई छात्रों ने कैंपस छोड़ने का फैसला किया।

नगालैंड सरकार की प्रतिक्रिया

नगालैंड के उच्च तथा तकनीकी शिक्षा मंत्री तेम्जेन इम्ना अलोंग ने कोहिमा में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर स्थिति स्पष्ट की। उन्होंने बताया कि सभी नगा छात्र सुरक्षित हैं और सरकार उनकी सुरक्षा का पूरा ध्यान रख रही है। उन्होंने कहा कि एहतियात के तौर पर 300 से ज्यादा नगा छात्रों को अस्थायी रूप से नगालैंड वापस भेज दिया गया है।

मंत्री ने अपील की कि असम और नगालैंड दोनों राज्यों के लोग एक-दूसरे के सांस्कृतिक प्रतीकों का सम्मान करें और सोशल मीडिया पर संवेदनशीलता बनाए रखें।

असमिया संस्कृति और जुबीन की लोकप्रियता

जुबीन गर्ग का असमिया संगीत और सिनेमा में योगदान असाधारण रहा है। वे असम के युवाओं के बीच प्रेरणा का स्रोत थे और उनकी आवाज में क्षेत्र की अस्मिता की झलक मिलती थी। असम के लोगों के लिए यह विश्वास करना कठिन था कि कोई व्यक्ति जुबीन गर्ग को न जानता हो। इसीलिए जब एक छात्र ने उन्हें लेकर हल्की टिप्पणी की, तो इसे असमिया गौरव पर चोट माना गया।

हालांकि सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या किसी की अनभिज्ञता पर इतनी भारी प्रतिक्रिया देना उचित था? क्या सोशल मीडिया युग में हर हल्की टिप्पणी को सामूहिक आक्रोश में बदल जाना सही है?

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सोशल मीडिया की भूमिका और सामूहिक आक्रोश

यह पूरा विवाद सोशल मीडिया पर ट्रेंड बन गया। ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर #JusticeForZubeen और #SupportNagaStudents जैसे हैशटैग हॉट ट्रेंड में रहे। कई लोगों ने छात्र के खिलाफ की गई हिंसा की निंदा की, जबकि कुछ लोगों ने कहा कि असम के गायक का अपमान असहनीय है।

यही वह बिंदु था जब संवेदनशीलता और सांस्कृतिक सम्मान के बीच की रेखा धुंधली पड़ गई। एक तरफ शोक की भावना थी, तो दूसरी ओर क्षेत्रीय पहचान की राजनीति।

राजनीतिक और सांप्रदायिक रंग

स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यह मामला केवल छात्र की टिप्पणी से आगे बढ़कर सांप्रदायिक और राजनीतिक रंग लेने लगा। कुछ समूहों ने असम में नगा समुदाय के खिलाफ बयानबाजी शुरू कर दी, जिससे माहौल और तनावपूर्ण हो गया।

ऐसे में यह मुद्दा अब केवल सांस्कृतिक अस्मिता तक सीमित नहीं रहा, बल्कि पूर्वोत्तर भारत की सामाजिक एकता के लिए गंभीर चुनौती बन गया।

पूर्वोत्तर की एकता और साझा पहचान

पूर्वोत्तर भारत की विविधता और सांस्कृतिक संपन्नता उसकी ताकत है। असम, नगालैंड, मेघालय, मणिपुर, त्रिपुरा जैसे राज्यों की अपनी-अपनी भाषाएं, परंपराएं और नायक हैं। लेकिन इन क्षेत्रों को जोड़ने वाला सूत्र पारस्परिक सम्मान है।

जुबीन गर्ग जैसे कलाकार हमेशा इस एकता के प्रतीक रहे। उनके गीतों ने सीमाओं और भाषाओं से परे लोगों को जोड़ने का काम किया। ऐसे में उनकी मृत्यु के बाद उपजा यह विवाद बताता है कि इस साझा भावना को बनाए रखना कितना जरूरी है।

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शोक में संवेदना जरूरी, शरारत नहीं

किसी भी कलाकार की मृत्यु उसके चाहने वालों के लिए भावनात्मक क्षण होता है। लेकिन यह भी याद रखना आवश्यक है कि दुख और आक्रोश के बीच संवेदनशीलता खोनी नहीं चाहिए। जुबीन गर्ग की याद में असम एकजुट हुआ, लेकिन इस एकता को हिंसा या भेदभाव में नहीं बदलना चाहिए।

असम और नगालैंड दोनों के लोगों को यह समझना होगा कि पूर्वोत्तर की शक्ति उसकी विविधता में है, न कि विभाजन में। जुबीन गर्ग का सम्मान इसी में निहित है कि उनकी कला और संगीत से प्रेरित होकर हर व्यक्ति एकता और सौहार्द का संदेश फैलाए।

सवाल-जवाब (FAQ)

जुबीन गर्ग कौन थे?

जुबीन गर्ग असम के मशहूर गायक, संगीतकार और अभिनेता थे जिन्होंने असमिया संगीत को राष्ट्रीय पहचान दिलाई।

घटना कब और कहां हुई?

19 सितंबर को सिंगापुर में नॉर्थ ईस्ट फेस्टिवल के दौरान एक हादसे में जुबीन गर्ग की मृत्यु हो गई।

काजीरंगा विश्वविद्यालय में विवाद कैसे शुरू हुआ?

एक छात्र की सोशल मीडिया टिप्पणी पर गुस्से में लोगों ने प्रतिक्रिया दी, जिससे विवाद और हिंसा भड़क गई।

क्या सभी नगा छात्र सुरक्षित हैं?

नगालैंड के शिक्षा मंत्री के अनुसार, सभी नगा छात्र सुरक्षित हैं और सरकार ने उन्हें अस्थायी रूप से नगालैंड भेज दिया है।

इस विवाद से क्या संदेश मिलता है?

यह विवाद बताता है कि सांस्कृतिक अस्मिता के सम्मान के साथ-साथ सहनशीलता और परस्पर सम्मान बनाए रखना भी जरूरी है।

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