गोपाष्टमी पर्व पर गौ सेवकों ने नरैनी क्षेत्र की पांच गौशालाओं में किया गौ पूजन, आरती और गौ सेवा


धर्मेन्द्र कुमार की रिपोर्ट

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नरैनी (बांदा)। गोपाष्टमी पर्व 2025 के शुभ अवसर पर गौ सेवा और गौ पूजन का अद्भुत संगम देखने को मिला। पूरे नरैनी क्षेत्र में गोपाष्टमी पर्व बड़े ही श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया गया। इस अवसर पर पनगरा गौशाला, पड़मई गौशाला, पिपरहरी गौशाला, मोतियारी गौशाला, नगर पंचायत नरैनी गौशाला एवं गुढ़ा कला के सियारपाखा गौशाला में विशेष गौ पूजा, आरती और गौ सेवा कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

धार्मिक परंपराओं के अनुसार गोपाष्टमी का यह पावन पर्व कार्तिक शुक्ल अष्टमी को मनाया जाता है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने पहली बार गौ चराने का कार्य आरंभ किया था। इसलिए यह दिन गौ माता की पूजा, सेवा और संरक्षण का प्रतीक माना जाता है।

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गौशालाओं में श्रद्धा और भक्ति से भरा रहा वातावरण

गोपाष्टमी पर्व के इस पावन अवसर पर विनोद कुमार दीक्षित के नेतृत्व में गौ सेवकों ने सामूहिक रूप से गौ माता का पूजन किया और आरती उतारी। इस दौरान सभी ने श्रद्धा और भक्ति भाव से गौवंश को केले, गुड़ और हरा चारा खिलाया। पूरा परिसर गौ भक्ति और गौ सेवा के माहौल से गूंज उठा।

कार्यक्रम में श्री विनोद दीक्षित जी (अनाथ गौ सेवा समिति नरैनी), श्री कांत मिश्रा, सौरभ शर्मा, सोनू करवरिया, अमन करवरिया, सिद्धार्थ चौबे, विधायक गिरि, शौर्य, शशिकांत, राजकुमार कोटेदार सहित अनेक गौ भक्तों और ग्रामवासियों ने भाग लिया। सभी ने मिलकर गौ सेवा का संकल्प लिया और गोपाष्टमी पर्व को सफल बनाया।

गौ माता भारतीय संस्कृति की आत्मा हैं

कार्यक्रम में उपस्थित गौ सेवकों ने कहा कि “गौ माता भारतीय संस्कृति की आधारशिला हैं। उनकी सेवा ही सच्ची मानव सेवा है।” उन्होंने आगे कहा कि गौशालाओं में नियमित सेवा, चारा और उपचार की व्यवस्था करना प्रत्येक नागरिक का नैतिक कर्तव्य है। गोपाष्टमी पर्व हमें गौ संरक्षण और गौ सेवा के महत्व की याद दिलाता है।

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प्रतीक और उत्पादन के बीच छिपे सामाजिक भेद का प्रश्न

नरैनी सहित आसपास के क्षेत्र में इस दिन गोपाष्टमी पर्व के आयोजन से धार्मिक उत्साह और गौ सेवा भावना का वातावरण बना रहा। गौशालाओं में दिनभर भजन-कीर्तन, आरती और गौ पूजन के कार्यक्रम चलते रहे।

गौ सेवा से बढ़ेगा धर्म और करुणा का संदेश

गौ सेवा भारतीय संस्कृति की आत्मा है। गोपाष्टमी जैसे पर्व हमें अहिंसा, करुणा और सहअस्तित्व का संदेश देते हैं। गौवंश के प्रति प्रेम और सेवा की भावना न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि पर्यावरण और मानव कल्याण का भी आधार है।

अंत में सभी उपस्थित गौ भक्तों ने सामूहिक रूप से नारा लगाया — “जय गौ माता! गौ सेवा ही सच्ची मानव सेवा!”

गौ सेवा से जुड़ी प्रेरणा

गोपाष्टमी पर्व पर गौशालाओं में आयोजित ऐसे कार्यक्रमों से समाज में गौ सेवा के प्रति जागरूकता बढ़ती है। गौ पूजन और गौ आरती के माध्यम से लोगों में गौ माता के प्रति श्रद्धा और संरक्षण की भावना विकसित होती है। यह परंपरा आने वाली पीढ़ियों को भी गौ सेवा और गोपाष्टमी के महत्व को समझने की प्रेरणा देती है।

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📖 सवाल-जवाब (FAQ)

गोपाष्टमी पर्व क्यों मनाया जाता है?

गोपाष्टमी पर्व इसलिए मनाया जाता है क्योंकि इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने पहली बार गौ चराने का कार्य आरंभ किया था। यह दिन गौ माता की पूजा और गौ सेवा का प्रतीक माना जाता है।

गौ सेवा का धार्मिक महत्व क्या है?

गौ सेवा भारतीय संस्कृति की आत्मा मानी गई है। गौवंश की सेवा से धर्म, करुणा और अहिंसा की भावना विकसित होती है। यह मानव सेवा का सर्वोत्तम रूप है।

गौशालाओं में क्या-क्या कार्यक्रम हुए?

पनगरा, पड़मई, पिपरहरी, मोतियारी और सियारपाखा गौशालाओं में गौ पूजन, आरती, गौ सेवा और गौ चारा वितरण जैसे धार्मिक आयोजन हुए।

गोपाष्टमी पर्व 2025 की मुख्य थीम क्या रही?

गोपाष्टमी पर्व 2025 की मुख्य थीम रही — “गौ सेवा ही सच्ची मानव सेवा।” इस अवसर पर गौ भक्तों ने गौ संरक्षण और गौ सेवा का संकल्प लिया।


© धर्मेन्द्र कुमार | धर्म, संस्कृति और समाज पर विशेष रिपोर्ट

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