
अंजनी कुमार त्रिपाठी की रिपोर्ट
गरीब का घर गली में है – यह बयान समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और राष्ट्रीय महासचिव आज़म खान ने सोमवार को रामपुर लौटकर मीडिया के सामने दिया। लंबे समय तक जेल और अस्पताल में रहने के बाद आज़म खान की यह प्रेस वार्ता कई मायनों में अहम रही। उन्होंने अपने स्वास्थ्य, जेल के अनुभव और पार्टी नेतृत्व से संभावित मुलाकात पर अपनी राय रखी। खास बात यह रही कि “आई लव मोहम्मद” प्रकरण पर उन्होंने टिप्पणी करने से साफ इनकार कर दिया।
रामपुर लौटे आज़म खान
दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में उपचार कराने के बाद जब आज़म खान रामपुर लौटे, तो मीडिया उनसे मिलने के लिए उमड़ पड़ा। इसी दौरान अखिलेश यादव की यात्रा के सवाल पर उन्होंने कहा:
“अखबार के माध्यम से जानकारी मिली है। इस गरीब का गली में घर है, जहां बरसात में दो-ढाई फीट पानी भर जाता है। ऐसे में हमारे घर कोई भी बड़ा आदमी आएगा तो यह हमारे लिए इज्जतअफजाई होगी।”
यह बयान तुरंत चर्चा का विषय बन गया। क्योंकि गरीब का घर गली में है कहना न केवल एक निजी अनुभव था बल्कि एक भावनात्मक संदेश भी। इससे यह साफ झलकता है कि आज़म खान राजनीतिक मुद्दों से पहले व्यक्तिगत और सामाजिक सच्चाई को सामने रखना चाहते हैं।
जेल से लेकर अस्पताल तक का सफर
आज़म खान 22 अक्टूबर 2023 से सीतापुर जिला कारागार में निरुद्ध थे। लगभग पांच साल तक उन्होंने जेल की कठिन परिस्थितियों का सामना किया। 23 सितंबर को उनकी रिहाई हुई और वे रामपुर लौटे। इसके अगले ही दिन यानी 24 सितंबर को उनकी तबीयत बिगड़ी और उन्हें दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा।
स्वास्थ्य सुधार के बाद अब वे जनता और मीडिया के बीच सक्रिय दिख रहे हैं।
धीमे जहर पर सफाई
कुछ दिन पहले जब मीडिया ने उनसे “धीमे जहर” वाली चर्चा का जिक्र किया, तो आज़म खान ने स्पष्ट किया कि उनकी बात को गलत समझा गया। उन्होंने कहा:
“जब मुख्तार अंसारी के निधन की खबर आई और यह पता चला कि उन्हें धीमा जहर दिया गया, तब से मैं खाने-पीने के मामले में सतर्क हो गया। मैं दिन में एक और रात में आधी रोटी नींबू के अचार के साथ खाता था।”
उन्होंने साफ कहा कि जेल में उन्होंने पांच साल एक ऐसी कोठरी में बिताए, जहां इंसान का नामोनिशान नहीं था। ऐसे हालात में बीमार पड़ना स्वाभाविक है। यह बयान उनकी सतर्कता और मानसिक दबाव को साफ दर्शाता है।
आज़म खान की प्राथमिकता
आज़म खान ने यह भी स्पष्ट किया कि फिलहाल उनकी प्राथमिकता सिर्फ स्वास्थ्य सुधार है। उन्होंने कहा कि लंबे कारावास और कठिन परिस्थितियों के बाद उनका शरीर कमजोर हो गया है। वे चाहते हैं कि पहले सेहत पूरी तरह ठीक हो, उसके बाद ही वे आगे की राजनीतिक रणनीति बनाएंगे।
गरीब का घर गली में है, क्यों बना चर्चा का विषय?
आज़म खान का यह बयान इसलिए भी खास है क्योंकि यह सीधा जनता की भावनाओं से जुड़ता है। राजनीति से परे जाकर उन्होंने अपनी निजी स्थिति बताई कि उनका घर साधारण है, जहां बरसात में भी पानी भर जाता है।
यह संदेश इस बात को भी उजागर करता है कि बड़े नेताओं के लिए उनके घर पर आना “सम्मान” की बात होगी।
गरीब का घर गली में है की यह अभिव्यक्ति एक तरह से आम आदमी से जुड़ने का प्रतीक भी बन गई है।
राजनीति से दूरी या रणनीति?
हालांकि आज़म खान ने सीधे तौर पर किसी राजनीतिक मुद्दे पर बोलने से परहेज किया, लेकिन उनके बयान से यह आभास हुआ कि वे अभी राजनीति से दूरी बनाकर रखना चाहते हैं। जेल और बीमारी के लंबे अनुभव ने उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से थका दिया है। लेकिन यह भी माना जा रहा है कि वे समय आने पर रणनीतिक रूप से अपनी भूमिका निभाएंगे।
संक्रमणकालीन दौर में सपा
आज़म खान के बयानों से यह साफ झलकता है कि समाजवादी पार्टी इस समय संक्रमणकालीन दौर से गुजर रही है। अखिलेश यादव की सक्रियता और आज़म खान जैसे वरिष्ठ नेताओं की स्थिति पर राजनीतिक समीकरण काफी हद तक निर्भर कर रहे हैं। यदि अखिलेश यादव रामपुर पहुंचते हैं, तो यह न केवल आज़म खान बल्कि पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए भी मनोबल बढ़ाने वाला कदम साबित होगा।
रामपुर में लौटकर आज़म खान का दिया गया बयान – गरीब का घर गली में है – सिर्फ एक सामान्य टिप्पणी नहीं, बल्कि राजनीतिक और सामाजिक दोनों ही स्तर पर महत्वपूर्ण है। इससे यह संदेश गया कि वे अपने संघर्ष और कठिनाइयों को जनता के सामने खुलकर साझा करने से पीछे नहीं हटते।
फिलहाल उनकी प्राथमिकता स्वास्थ्य सुधार है। लेकिन आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या वे राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाएंगे या फिर सपा की नई पीढ़ी को ही आगे बढ़ने देंगे।