
संजय सिंह राणा की रिपोर्ट
अवैध निर्माण का खेल, खबर ने किया बेनक़ाब
चित्रकूट जिले में अवैध निर्माण का खेल लंबे समय से चर्चा का विषय रहा है। लेकिन इस बार मामला सीधे-सीधे जिला बार एसोसिएशन अध्यक्ष अशोक गुप्ता से जुड़ा होने के कारण ज़्यादा संवेदनशील हो गया है। आरोप है कि उन्होंने बिना नक्शा पास कराए ही मकान निर्माण शुरू कराया और जब विकास प्राधिकरण की टीम मौके पर पहुँची तो उनके साथ अभद्रता की गई।
विकास प्राधिकरण की कार्रवाई से खुला सच
सूत्रों के मुताबिक विकास प्राधिकरण ने जब अवैध निर्माण पर रोक लगाने की कोशिश की तो बार एसोसिएशन अध्यक्ष ने मौके पर मौजूद अवर अभियंता से न सिर्फ बदसलूकी की बल्कि धमकाया भी। यह घटना दर्शाती है कि अवैध निर्माण का खेल केवल कानून तोड़ने तक सीमित नहीं है बल्कि दबंगई का भी रूप ले चुका है।
अवैध निर्माण का खेल और संदिग्ध फोन कॉल
इस विवाद के बाद हालात और गंभीर तब हो गए जब एक अज्ञात नंबर से पत्रकार को कॉल किया गया। बताया जाता है कि यह कॉल सीधे बार एसोसिएशन अध्यक्ष की ओर से किया गया था, लेकिन अपनी पहचान छुपाने के लिए किसी और का नंबर इस्तेमाल किया गया। इस घटना से यह संदेह गहरा गया कि कहीं यह सब दबाव बनाने और लोकेशन ट्रेस करने की कोशिश तो नहीं थी।
कार्रवाई की मांग तेज़
अवैध निर्माण का खेल जब उजागर हुआ तो सामाजिक कार्यकर्ताओं और जागरूक नागरिकों ने जिला प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग शुरू कर दी। लोगों का कहना है कि यदि कानून के रखवाले ही कानून तोड़ेंगे तो आम नागरिकों से ईमानदारी की उम्मीद कैसे की जा सकती है।
प्रशासन की भूमिका पर सवाल
अब प्रशासन और पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। अवैध निर्माण का खेल कोई नया नहीं है, लेकिन जब इसमें बड़े नाम जुड़ जाते हैं तो कार्रवाई अक्सर धीमी पड़ जाती है। यही वजह है कि इस मामले को लेकर आम जनता चाहती है कि तुरंत जांच हो और दोषियों पर कार्रवाई की जाए।
अवैध निर्माण का खेल : समाज के लिए खतरा
यह मामला केवल एक व्यक्ति या एक पदाधिकारी तक सीमित नहीं है। अवैध निर्माण का खेल शहरों की सुंदरता और सुरक्षित विकास को नुकसान पहुँचाता है। साथ ही यह संदेश देता है कि ताकतवर लोग कानून से ऊपर हैं। यदि इस प्रवृत्ति पर रोक नहीं लगी तो आने वाले समय में हालात और बिगड़ सकते हैं।
चित्रकूट का यह मामला बताता है कि अवैध निर्माण का खेल किस तरह से नियमों को ठेंगा दिखाकर जारी है।

बार एसोसिएशन अध्यक्ष पर लगे आरोप गंभीर हैं और अब सबकी निगाहें जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन पर टिकी हैं। क्या इस बार सख्त कार्रवाई होगी या फिर मामला रफा-दफा कर दिया जाएगा?
