✍️ अंजनी कुमार त्रिपाठी की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश सरकार ने एक बड़ा प्रशासनिक फेरबदल करते हुए 23 वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों का तबादला किया है। गोरखपुर, प्रयागराज, गाजियाबाद समेत 10 जिलों के डीएम बदले गए हैं। कई अफसरों को कार्यकुशलता के चलते पुरस्कृत किया गया, वहीं कुछ को विवादों के कारण हटाया गया।
प्रशासनिक महाकुंभ: यूपी में 23 IAS अफसरों के तबादले से मचा हलचल
उत्तर प्रदेश सरकार ने मंगलवार को एक व्यापक प्रशासनिक फेरबदल करते हुए 23 वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों का तबादला कर दिया। यह निर्णय न केवल कार्यकुशलता के आधार पर लिया गया, बल्कि कुछ अफसरों को विवादों और राजनीतिक समीकरणों के चलते हटाया भी गया है।
इस बदलाव की लहर में गोरखपुर, गाजियाबाद, प्रयागराज, बहराइच और अयोध्या जैसे महत्वपूर्ण जिलों के डीएम बदले गए हैं, जिससे शासन-प्रशासन में नई ऊर्जा का संचार होने की उम्मीद जताई जा रही है।
गोरखपुर के डीएम बदले: विवाद बना वजह
सबसे अहम बदलाव सीएम योगी आदित्यनाथ के गृह जनपद गोरखपुर में देखने को मिला, जहां डीएम कृष्णा करुणेश को हटाकर दीपक मीणा को नियुक्त किया गया है। करुणेश को नोएडा का अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी बनाया गया है। यह फैसला पीएसी ट्रेनिंग सेंटर में ट्रेनी महिला सिपाही से जुड़े विवाद के बाद लिया गया, साथ ही उनका तीन साल से अधिक का कार्यकाल भी कारण माना गया।
गाजियाबाद में छह महीने की मेहनत का इनाम
गाजियाबाद के डीएम दीपक मीणा को उनकी कार्यकुशलता और जनसुनवाई के प्रति संवेदनशीलता के चलते गोरखपुर की कमान सौंपी गई है। कांवड़ यात्रा की सफल व्यवस्थाओं और उनकी मिलनसार छवि ने शासन को प्रभावित किया।
मोनिका रानी पर विवाद भारी पड़ा
बहराइच की डीएम मोनिका रानी को हटाकर उन्हें बेसिक शिक्षा विभाग में विशेष सचिव बना दिया गया है। हाल ही में कांवड़ यात्रा की तैयारियों को लेकर 27 अफसरों का वेतन रोकना और पंचायती राज कर्मियों से कथित अभद्रता उन पर भारी पड़ गई।
नेहा शर्मा की पदावनति या नियमित प्रक्रिया?
गोंडा की डीएम नेहा शर्मा को प्रभारी महानिरीक्षक (निबंधन) बनाया गया है। सूत्रों का मानना है कि सीएम योगी और पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह के बीच बढ़ती दूरी के चलते यह तबादला हुआ। नेहा शर्मा पर आरोप था कि वे बृजभूषण और उनके परिजनों को प्रशासनिक प्राथमिकता नहीं देती थीं।
मिर्जापुर की डीएम का सियासी विरोध बना तबादले की वजह
प्रियंका निरंजन, जो अब तक मिर्जापुर की डीएम थीं, उन्हें गोंडा भेजा गया है। लोकसभा चुनाव के बाद अपना दल (एस) ने उन पर केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल को हराने का आरोप लगाया था। हालांकि शासन इसे सामान्य प्रशासनिक बदलाव बता रहा है।
कासगंज की मेधा रूपम को मिला बड़ा जिला
मेधा रूपम, जिन्होंने कासगंज में बेहतर प्रशासन दिया, उन्हें अब गौतमबुद्धनगर जैसे महत्वपूर्ण जिले का डीएम बनाया गया है। खास बात यह है कि यहां अब डीएम और पुलिस कमिश्नर दोनों महिलाएं हैं — एक दुर्लभ प्रशासनिक समरसता।
प्रयागराज से रविंद्र मंदर गाजियाबाद पहुंचे, कुंभ प्रबंधन बना आधार
प्रयागराज के डीएम रविंद्र मंदर को गाजियाबाद भेजा गया है। महाकुंभ के दौरान मेला क्षेत्र के बाहर की व्यवस्थाओं को बेहतरीन ढंग से संचालित करने के लिए उन्हें यह प्रमोशन माना जा रहा है।
गौतमबुद्धनगर से मनीष वर्मा प्रयागराज भेजे गए
मनीष वर्मा ने गौतमबुद्धनगर में ढाई साल का कार्यकाल पूरा किया था। उन्हें अब प्रयागराज जैसे ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व के जिले की कमान सौंपी गई है।
ललितपुर से अक्षय त्रिपाठी बहराइच भेजे गए
अक्षय त्रिपाठी, जिन्हें स्वच्छ भविष्य अभियान में प्रधानमंत्री पुरस्कार मिल चुका है, को अब संवेदनशील जिला बहराइच की जिम्मेदारी दी गई है। इससे उनके ऊपर शासन का विश्वास और बढ़ा है।
पहली बार डीएम बने 4 अफसर
1. प्रणय सिंह – कासगंज के डीएम बने।
2. कपिल सिंह – कानपुर देहात के डीएम बने।
3. पवन कुमार गंगवार – मिर्जापुर के डीएम बने।
4. अमनदीप खुल्ली – ललितपुर के डीएम बने।
इनमें से कई अफसरों के कार्य और सामाजिक पृष्ठभूमि भी ध्यान में रखी गई है, जैसे पवन गंगवार का कुर्मी समाज से आना, जो अनुप्रिया पटेल के संसदीय क्षेत्र में सामंजस्य बैठाने में सहायक माना जा रहा है।
अन्य प्रमुख तबादले इस प्रकार हैं:
गौरव दयाल: अयोध्या के मंडलायुक्त से गृह सचिव बने।
राजेश कुमार: गृह सचिव से अयोध्या के मंडलायुक्त।
मिनिष्ती एस: वित्त विभाग से गन्ना आयुक्त बनीं।
सारिका मोहन: बेसिक शिक्षा सचिव से वित्त सचिव।
प्रमोद उपाध्याय: गन्ना आयुक्त से समाज कल्याण सचिव।
प्रणता ऐश्वर्या: नमामि गंगे से सीतापुर की मुख्य विकास अधिकारी।
अमृत त्रिपाठी: बीडा से उच्च शिक्षा विभाग में सचिव।
विमल दुबे: झांसी मंडलायुक्त से बीडा के सीईओ का अतिरिक्त प्रभार।
✅ संकेत स्पष्ट हैं
इस व्यापक फेरबदल से साफ है कि योगी सरकार एक तरफ जहां ईमानदार और कुशल अधिकारियों को इनाम दे रही है, वहीं विवादों और असंतोष की आहट पर तुरंत प्रतिक्रिया दे रही है। यह प्रशासनिक फेरबदल आने वाले समय में जिले स्तर पर प्रशासनिक संतुलन और राजनीतिक रणनीतियों को गहराई से प्रभावित करेगा।