प्रयागराज में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां एक महिला ने खुद को प्रदेश की उच्च शिक्षा राज्यमंत्री रजनी तिवारी बताकर दो बच्चों के एडमिशन की सिफारिश की। फोन पर दबाव डालकर उसने गर्ल्स हाई स्कूल (GHS) के प्रबंधन को अगस्त में दोनों बच्चों का प्रवेश लेने के लिए मजबूर कर दिया। स्कूल ने भी मंत्री के पद और प्रभाव को देखते हुए एडमिशन कर दिया, लेकिन लगभग पांच महीने बाद पूरा मामला बेनकाब हो गया।
कैसे सामने आया फर्जीवाड़ा?
जुलाई के अंतिम सप्ताह में बिशप डाइसिस ऑफ लखनऊ के मोरिस एडगर दान के पीए आर्थी तिमोथी को एक महिला का फोन आया। महिला ने कहा कि वह प्रदेश की उच्च शिक्षा राज्यमंत्री रजनी तिवारी बोल रही है। साथ ही उसने बताया कि उनके एक ‘खास परिचित’ की दो बेटियों को GHS में क्लास 6 और 7 में एडमिशन दिलाना है।
कुछ ही दिनों में कई बार कॉल आने लगे, और हर बार एडमिशन के लिए दबाव बनाया गया। स्कूल प्रबंधन ने इसे मंत्री के आदेश जैसा मानकर अगस्त में दोनों बच्चियों को प्रवेश दे दिया। बच्चियां नियमित रूप से स्कूल आने लगीं। अगले कुछ महीनों तक सब सामान्य चलता रहा और किसी को शक तक नहीं हुआ।

मुख्य अतिथि बनने की चर्चा ने खोल दी पोल
बात तब बिगड़ी जब स्कूल में एक कार्यक्रम आयोजित करने की तैयारी शुरू हुई। बैठक में सुझाव आया कि उच्च शिक्षा राज्यमंत्री रजनी तिवारी को मुख्य अतिथि बनाया जाए, क्योंकि उन्होंने पहले भी बच्चों के एडमिशन के लिए स्वयं फोन किया था।
इसके बाद स्कूल प्रबंधन ने वही नंबर दुबारा मिलाया, जिस नंबर से पहले कॉल आते थे। सत्य जानकर स्कूल प्रशासन के होश उड़ गए। पता चला कि वह नंबर राज्यमंत्री रजनी तिवारी का नहीं है और न ही मंत्री कार्यालय से किसी ने फोन किया था।
अभिभावकों ने भी किया साफ इनकार
तुरंत बच्चों के अभिभावकों को स्कूल में बुलाया गया। पूछताछ में अभिभावकों ने कहा कि वे किसी मंत्री को नहीं जानते। न ही उन्होंने किसी से सिफारिश करवाने के लिए कहा था। यह सुनकर प्रिंसिपल और अधिक सतर्क हो गईं।
यहीं से पूरा मामला संदिग्ध लगने लगा। स्कूल प्रबंधन ने मोबाइल नंबर और कॉल डीटेल के आधार पर पुलिस को तहरीर दे दी।
पुलिस मान रही हाई-प्रोफाइल ठगी
सिविल लाइंस थाना प्रभारी इंस्पेक्टर रामाश्रय यादव ने बताया कि शिकायत के आधार पर मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। अब यह पता लगाने की कोशिश हो रही है कि फोन करने वाली महिला कौन थी और उसका मकसद क्या था।
पुलिस को आशंका है कि यह एक हाई-प्रोफाइल ठगी हो सकती है, जिसमें सरकारी पदों का दुरुपयोग कर स्कूलों से लाभ उठाने की कोशिश की जा रही हो।
कौन हैं असली रजनी तिवारी?
राज्यमंत्री रजनी तिवारी हरदोई जिले की शाहाबाद विधानसभा सीट से लगातार चौथी बार विधायक हैं। 2022 में योगी सरकार की दूसरी पारी में उन्हें पहली बार मंत्री बनाया गया। वे उच्च शिक्षा विभाग में राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) हैं।

उनके नाम का गलत इस्तेमाल कर बच्चों के एडमिशन की पैरवी किए जाने पर स्कूल प्रबंधन ने कड़ा कदम उठाते हुए FIR दर्ज करवाई है। अब मामला जांच में है और पुलिस कॉल करने वाली महिला तक पहुंचने की कोशिश कर रही है।
स्कूल स्टाफ चुप, जांच जारी
इस पूरे घटनाक्रम पर स्कूल स्टाफ ने मीडिया से बात करने से साफ मना कर दिया है। लेकिन अंदरखाने चर्चा है कि इस मामले में स्कूल प्रबंधन भी खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहा है।
सवाल यह भी उठ रहा है कि आखिर किसी ने मंत्री का नाम लेकर झूठ क्यों बोला? क्या यह एडमिशन के लिए प्रभाव दिखाने की कोशिश थी, या फिर इसके पीछे कोई बड़ा उद्देश्य छिपा है? इन सवालों के जवाब पुलिस जांच के बाद ही सामने आएंगे।
➤ क्या मंत्री रजनी तिवारी ने वास्तव में फोन किया था?
नहीं, जांच में पता चला कि कॉल करने वाली महिला फर्जी थी और उसने मंत्री का नाम इस्तेमाल किया।
➤ क्या बच्चों के अभिभावकों ने सिफारिश करवाई थी?
अभिभावकों ने साफ कहा कि उन्होंने किसी से भी सिफारिश नहीं करवाई और न ही मंत्री को जानते हैं।
➤ स्कूल को कैसे शक हुआ?
जब कार्यक्रम के लिए उसी नंबर पर संपर्क किया गया, तब पता चला कि वह नंबर असली मंत्री का नहीं है।
➤ पुलिस किन पहलुओं की जांच कर रही है?
पुलिस मोबाइल नंबर, कॉल डीटेल और कॉल करने वाली महिला की पहचान की जांच कर रही है।
➤ क्या यह हाई-प्रोफाइल ठगी का मामला है?
हाँ, पुलिस इसे हाई-प्रोफाइल ठगी मानकर जांच कर रही है, क्योंकि इसमें सरकारी पद का दुरुपयोग हुआ है।