दिव्यांग को नहीं मिला मुख्यमंत्री आवास, लेकिन नोटिस जरूर आई — भ्रष्टाचार की पोल खोलता बगरेही का मामला

संजय सिंह राणा की रिपोर्ट

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चित्रकूट समाचार: मुख्यमंत्री आवास योजना का मकसद गरीब और जरूरतमंद लोगों को छत मुहैया कराना है, लेकिन चित्रकूट जिले के मानिकपुर ब्लॉक की ग्राम पंचायत बगरेही में इस योजना का लाभ भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया है। यहां दिव्यांग शारदा प्रजापति को आवास तो नहीं मिला, लेकिन नोटिस जरूर आ गई। यह मामला अब सोशल और प्रशासनिक हलकों में चर्चा का विषय बन गया है।

आवास योजना में भ्रष्टाचार का नया खुलासा

जानकारी के मुताबिक, मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत बगरेही ग्राम पंचायत के लालापुर निवासी दिव्यांग शारदा प्रजापति ने आवेदन किया था। लेकिन ग्राम प्रधान केदारनाथ यादव ने आवास दिलाने के नाम पर पांच हजार रुपए की रिश्वत वसूली। पैसे देने के बाद भी न तो आवास स्वीकृत हुआ और न ही खाते में कोई राशि आई। इसके विपरीत, कुछ समय बाद दिव्यांग को नोटिस भेज दी गई

शारदा प्रजापति का कहना है कि ग्राम प्रधान ने उनसे पांच हजार रुपए लिए और कहा था कि जल्द ही आवास का पैसा खाते में आ जाएगा, लेकिन महीनों बीत गए और अब तक कोई रकम नहीं आई। उल्टा जब नोटिस आई तो पूरा परिवार डर में जीने लगा।

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बीडीओ ने दी धमकी, “किसी को बताया तो जेल जाओगे”

पीड़ित शारदा प्रजापति ने बताया कि जब उन्होंने खण्ड विकास अधिकारी (BDO) मानिकपुर से मिलकर पूरी शिकायत बताई, तो अधिकारी ने कहा, “इस नोटिस के बारे में किसी को कुछ नहीं बताना, नहीं तो जेल चले जाओगे।” यह सुनकर दिव्यांग और उसके परिवार के होश उड़ गए। डर के कारण उन्होंने किसी से कुछ नहीं कहा।

लेकिन जब उनकी मुलाकात वरिष्ठ पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता संजय सिंह राणा से हुई, तो उन्होंने हिम्मत जुटाई और पूरी सच्चाई सामने रखी।

पत्रकार संजय सिंह राणा ने उठाई आवाज़, जांच का आश्वासन

मामले की गंभीरता को देखते हुए संजय सिंह राणा ने खुद खण्ड विकास अधिकारी पवन कुमार सिंह से मुलाकात कर पूरे प्रकरण की जानकारी दी। इस पर अधिकारी ने कहा कि “मामले की जांच कराई जाएगी और जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ कार्रवाई होगी।”

संजय सिंह राणा ने कहा कि “यह सिर्फ एक दिव्यांग की नहीं, बल्कि उन सैकड़ों गरीबों की आवाज है, जो सरकारी योजनाओं की भ्रष्ट जाल में फंसे हुए हैं। ऐसे मामलों में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित की जानी चाहिए।”

एसडीएम मो. जसीम ने दिए जांच के आदेश

पीड़ित शारदा प्रजापति ने इसके बाद उप जिलाधिकारी (SDM) मानिकपुर मो. जसीम से भी मुलाकात की और पूरी व्यथा सुनाई। एसडीएम ने मामले को गंभीरता से लेते हुए कहा कि “जल्द ही जांच कराकर दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी।”

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि मुख्यमंत्री आवास योजना जैसे कल्याणकारी प्रोजेक्ट में किसी भी तरह की रिश्वतखोरी या भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

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मुख्यमंत्री आवास योजना में लापरवाही या भ्रष्टाचार?

यह मामला सवाल खड़ा करता है कि आखिर कैसे एक दिव्यांग व्यक्ति को आवास योजना से वंचित कर दिया गया जबकि वह सबसे अधिक पात्र था। गांवों में ऐसे कई मामले सामने आते हैं जहां गरीबों को उनके अधिकारों से वंचित रखा जाता है और योजनाओं का पैसा बिचौलियों और भ्रष्ट प्रधानों की जेब में चला जाता है।

मुख्यमंत्री आवास योजना का उद्देश्य ग्रामीण गरीबों को सम्मानजनक आवास देना है, लेकिन जब इसका लाभ गलत हाथों में चला जाता है तो योजना का मकसद ही खत्म हो जाता है।

दिव्यांगों के हक पर डाका: सिस्टम की पोल खोलता मामला

दिव्यांग शारदा प्रजापति का कहना है कि “मुझे आवास की बहुत जरूरत है। मैं मजदूरी नहीं कर सकता। प्रधान ने कहा था कि पैसा देने पर आवास मिलेगा, लेकिन अब ना आवास मिला, ना पैसा। नोटिस जरूर आई है।”

यह बयान प्रशासन और सरकारी योजनाओं की जमीनी हकीकत पर बड़ा सवाल उठाता है। क्या सरकार की योजनाएं वास्तव में उन तक पहुंच रही हैं जिनके लिए बनाई गई हैं?

मुख्यमंत्री आवास योजना: पारदर्शिता की मांग

पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि मुख्यमंत्री आवास योजना में ऑनलाइन ट्रैकिंग सिस्टम और जनसुनवाई पोर्टल को और मजबूत किया जाना चाहिए ताकि किसी पात्र व्यक्ति को वंचित न किया जा सके।

अगर इस तरह की घटनाएं बढ़ती रहीं तो मुख्यमंत्री आवास योजना पर जनता का भरोसा टूट सकता है। जरूरत है कि ऐसे भ्रष्ट प्रधानों और अधिकारियों पर कड़ी कानूनी कार्रवाई हो।

अब जनता में आक्रोश, जांच की मांग तेज

स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर एक दिव्यांग के साथ ऐसा हो सकता है तो बाकी आम गरीबों का क्या हाल होगा? ग्राम पंचायत में कई अन्य लोगों ने भी आवास योजना के लिए पैसे दिए, लेकिन उन्हें भी लाभ नहीं मिला। अब ग्रामीणों ने सामूहिक रूप से एसडीएम मानिकपुर से निष्पक्ष जांच की मांग की है।

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चित्रकूट के मानिकपुर ब्लॉक में मुख्यमंत्री आवास योजना से जुड़ा यह मामला न सिर्फ एक व्यक्ति की समस्या है, बल्कि पूरे तंत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार की गहरी जड़ें दिखाता है। दिव्यांग शारदा प्रजापति जैसे लोग जब न्याय की आस में अधिकारियों के चक्कर काटते हैं और बदले में धमकी पाते हैं, तो यह व्यवस्था पर गहरी चोट है। अब देखना यह है कि जांच के बाद कितनी पारदर्शिता और न्याय सामने आता है।


🟠 सवाल-जवाब (FAQ)

❓ दिव्यांग शारदा प्रजापति को मुख्यमंत्री आवास योजना का लाभ क्यों नहीं मिला?

👉 ग्राम प्रधान द्वारा रिश्वत लेने के बावजूद आवास स्वीकृत नहीं हुआ और उल्टा नोटिस जारी कर दी गई।

❓ बीडीओ मानिकपुर ने क्या कहा?

👉 बीडीओ ने धमकी दी कि नोटिस के बारे में किसी को कुछ बताया तो जेल भेज देंगे।

❓ क्या प्रशासन ने कोई कार्रवाई का आश्वासन दिया?

👉 हां, एसडीएम मानिकपुर मो. जसीम ने कहा है कि दोषियों पर जल्द कार्रवाई होगी।

❓ पत्रकार संजय सिंह राणा की भूमिका क्या रही?

👉 उन्होंने मामले को उजागर किया और खण्ड विकास अधिकारी से मिलकर जांच की मांग रखी।

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