शिक्षक के खिलाफ एकतरफा कार्रवाई के विरोध में विधानसभा अध्यक्ष से मिला पीएसपीएसए उन्नाव

शिक्षक संगठन पीएसपीएसए उन्नाव के पदाधिकारी विधानसभा अध्यक्ष को ज्ञापन सौंपते हुए, हाथ में फूलों का गुलदस्ता

ठाकुर बख्श सिंह की रिपोर्ट

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शिक्षक के खिलाफ एकतरफा कार्रवाई : पीएसपीएसए उन्नाव का बड़ा कदम

शिक्षक के खिलाफ एकतरफा कार्रवाई को लेकर प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन (पीएसपीएसए) उन्नाव की जिला कार्यकारिणी ने बड़ा कदम उठाया। संगठन ने सीतापुर में शिक्षक को जेल भेजे जाने और बीएसए पर लगे गंभीर आरोपों के बावजूद उनके पद पर बने रहने को लेकर विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना से मुलाकात की। इस मुलाकात में संगठन ने शिक्षक के साथ हुई अन्यायपूर्ण कार्रवाई और पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच की मांग की।

बीएसए पर आरोप और शिक्षक की पीड़ा सामने रखी गई

शिक्षक के खिलाफ एकतरफा कार्रवाई की चर्चा करते हुए संगठन के पदाधिकारियों ने विधानसभा अध्यक्ष को बताया कि किस तरह से शिक्षक बृजेंद्र वर्मा पर दबाव डालकर शिक्षिका की फर्जी उपस्थिति दर्ज करने का प्रयास किया गया। इतना ही नहीं, बीएसए कार्यालय में शिक्षक के साथ अभद्रता हुई और कार्यालय के बाबुओं द्वारा उन पर हमला किया गया। इसके बावजूद केवल शिक्षक को जेल भेजा गया, जबकि हमलावरों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।

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संगठन के जिलाध्यक्ष संजीव संखवार और मांडलिक मंत्री प्रदीप कुमार वर्मा ने सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि जांच निष्पक्ष और दोनों पक्षों की बात सुनकर की जानी चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि बीएसए के पद पर बने रहने के दौरान घटना की जांच निष्पक्ष नहीं हो सकती।

शिक्षक समाज के निर्माता – संगठन का तर्क

शिक्षक के खिलाफ एकतरफा कार्रवाई का विरोध करते हुए संजीव संखवार ने कहा कि शिक्षक केवल पढ़ाने वाले नहीं होते, बल्कि वे भविष्य के निर्माता होते हैं। वे हमें ज्ञान, मूल्य और जीवन की दिशा देते हैं। ऐसे में यदि किसी शिक्षक पर फर्जी तरीके से दबाव बनाकर उपस्थिति दर्ज कराई जाती है तो यह न केवल शिक्षक का अपमान है बल्कि सरकारी धन का दुरुपयोग भी है।

प्रदीप वर्मा ने इस बात पर चिंता जताई कि शिक्षक की मानसिक स्थिति लगातार बिगड़ रही है। उन्होंने कहा कि इस तरह की मनमानी न केवल शिक्षा व्यवस्था को प्रभावित करती है, बल्कि बच्चों के भविष्य पर भी असर डालती है।

बार-बार रिपोर्टिंग और अभद्रता से शिक्षक परेशान

संगठन के कोषाध्यक्ष अमित तिवारी ने विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष शिक्षक की समस्या को विस्तार से रखा। उन्होंने बताया कि शिक्षक से बार-बार तीन साल और दस साल के विवरण मांगे गए, उनसे सेल्फी भेजने को कहा गया और अभद्र भाषा का प्रयोग किया गया। यह सब शिक्षक के मानसिक उत्पीड़न का हिस्सा है।

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जिला संरक्षक नरेंद्र सिंह ने विद्यालय के बच्चों और अभिभावकों के बयान को नजरअंदाज किए जाने पर गहरी पीड़ा जताई। उनका कहना था कि यह पूरा प्रकरण एकतरफा कार्रवाई का उदाहरण है।

विधानसभा अध्यक्ष का आश्वासन और कड़ी कार्रवाई का वादा

शिक्षक के खिलाफ एकतरफा कार्रवाई के विरोध को सुनने के बाद विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने संगठन को आश्वासन दिया कि दोषियों को कड़ी सजा दिलवाई जाएगी। उन्होंने कहा कि यदि बीएसए ने शिक्षक पर अनर्गल दबाव डाला है तो उन्हें भी बख्शा नहीं जाएगा।

संगठन ने यह भी बताया कि प्रदेश अध्यक्ष विनय कुमार सिंह द्वारा मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर पूरे मामले की निष्पक्ष जांच और शिक्षक के पक्ष को सुनने का अनुरोध किया गया है।

विद्यालय मर्जर और टीईटी की बाध्यता पर भी उठाई आवाज

सिर्फ शिक्षक के खिलाफ कार्रवाई ही नहीं, बल्कि शिक्षा व्यवस्था से जुड़े अन्य मुद्दे भी इस बैठक में उठाए गए। संगठन ने विद्यालयों के मर्जर और टीईटी की बाध्यता हटाने की मांग को लेकर विधानसभा अध्यक्ष को ज्ञापन सौंपा।

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सौरभ वैश्य ने ज्ञापन की मांगों को बिंदुवार रखते हुए सरकार से निवेदन किया कि शिक्षकों की अधिक उम्र और लंबे अनुभव को ध्यान में रखा जाए और कोर्ट में शिक्षकों का पक्ष मजबूती से रखा जाए।

शिक्षकों की बड़ी संख्या में उपस्थिति

इस महत्वपूर्ण मुलाकात में जिलाध्यक्ष संजीव संखवार, जिला एवं मांडलिक मंत्री प्रदीप वर्मा, कोषाध्यक्ष अमित तिवारी, जिला संरक्षक नरेंद्र सिंह, सौरभ वैश्य, दीपेंद्र, रवि गुप्ता सहित जिले की पूरी कार्यकारिणी मौजूद रही। संगठन का यह कदम शिक्षक समुदाय की एकजुटता और न्याय की मांग का प्रतीक बना।

शिक्षक के खिलाफ एकतरफा कार्रवाई का यह मामला शिक्षा विभाग में जवाबदेही की गंभीर कमी को उजागर करता है। पीएसपीएसए उन्नाव की ओर से विधानसभा अध्यक्ष तक पहुंचना यह दर्शाता है कि शिक्षक अब अन्याय को सहने को तैयार नहीं हैं। इस प्रकरण से यह भी स्पष्ट हुआ कि शिक्षा विभाग में पारदर्शिता और निष्पक्षता की सख्त जरूरत है। यदि सरकार और जिम्मेदार अधिकारी समय रहते कार्रवाई नहीं करते तो यह मामला प्रदेश भर में बड़ा आंदोलन खड़ा कर सकता है।

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