
ठाकुर बख्श सिंह की रिपोर्ट
भाईचारे और पंचायत : कादीपुर गांव की सबसे बड़ी ताकत
उत्तर प्रदेश के जौनपुर जनपद के धर्मापुर ब्लॉक में स्थित कादीपुर गांव आज पूरे प्रदेश में अपनी अलग पहचान रखता है। यहां करीब 3 हजार की आबादी रहती है, लेकिन इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि आजादी के बाद से अब तक किसी भी व्यक्ति पर एफआईआर दर्ज नहीं हुई।
वास्तव में इसका सबसे बड़ा कारण गांव की परंपरा है, जहां हर विवाद का समाधान भाईचारे और पंचायत के जरिए किया जाता है।
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पंचायत में सुलझते हैं छोटे-बड़े विवाद
कादीपुर गांव की सबसे खास बात यह है कि यहां थाने-कचहरी की नौबत नहीं आती। गांव के लोग मानते हैं कि आपसी विवाद को अदालत या पुलिस में ले जाने से बेहतर है कि इसे पंचायत में सुलझाया जाए।
गांव के निवासी संजय अस्थाना गर्व से कहते हैं कि “हमें कभी पुलिस बुलानी ही नहीं पड़ी। यहां भाईचारे और पंचायत की ताकत इतनी है कि हर समस्या आपस में ही खत्म हो जाती है।”
भाईचारे और पंचायत ने मिटाए भेदभाव
कादीपुर गांव में जाति, धर्म या आर्थिक स्थिति का कभी कोई भेदभाव नहीं देखा गया। गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि चाहे शादी-ब्याह हो या कोई त्योहार, सब मिलकर उत्सव मनाते हैं। यही भाईचारे और पंचायत की परंपरा है जिसने पूरे गांव को जोड़कर रखा है।
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युवाओं ने भी इस सोच को अपनाया है और वे परंपरा व आधुनिकता का संतुलन बनाए हुए हैं।
प्रशासन भी मानता है कादीपुर की मिसाल
स्थानीय पुलिस और प्रशासन मानते हैं कि कादीपुर गांव पूरे प्रदेश और देश के लिए एक आदर्श उदाहरण है। अधिकारियों का कहना है कि यहां भाईचारे और पंचायत की अनोखी परंपरा के कारण कभी गंभीर अपराध नहीं होते।
एफआईआर का न होना इस बात का प्रमाण है कि कादीपुर में आपसी समझ और सामाजिक सहयोग कितना मजबूत है।
शिक्षा और संस्कार से बदल रहा है गांव
कादीपुर गांव में अब शिक्षित युवाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है। लेकिन, खास बात यह है कि शिक्षा के साथ-साथ उन्हें बुजुर्गों से संस्कार और सहयोग की सीख भी मिलती है।
इसी कारण, आज के युवा आधुनिक शिक्षा पाने के बावजूद गांव के भाईचारे और पंचायत परंपरा को मजबूती से निभा रहे हैं।
गांव के लोगों की सोच
गांव के लोग मानते हैं कि अगर हर जगह विवाद भाईचारे और पंचायत के माध्यम से सुलझाए जाएं तो अदालतों और थानों पर बोझ काफी कम हो सकता है। उनका कहना है कि बातचीत और समझदारी ही हर झगड़े का सबसे अच्छा हल है।
भाईचारे और पंचायत : क्यों खास है कादीपुर गांव?
एक भी एफआईआर नहीं : आज़ादी के बाद से अब तक कोई पुलिस मामला दर्ज नहीं।
आपसी सहयोग : छोटे-बड़े हर विवाद का हल पंचायत में।
सामाजिक एकता : जाति, धर्म और आर्थिक स्थिति से परे भाईचारा।
संस्कार और शिक्षा : आधुनिकता और परंपरा का संगम।
मिसाल गांव : पुलिस-प्रशासन द्वारा सराहा गया मॉडल।
भाईचारे और पंचायत से बनी आदर्श पहचान
कादीपुर गांव यह साबित करता है कि अगर समाज भाईचारे और पंचायत को प्राथमिकता दे, तो अपराध स्वतः कम हो जाते हैं। यहां के लोग हमें यह सिखाते हैं कि बातचीत और सहयोग से कोई भी समस्या हल हो सकती है।
नतीजतन, कादीपुर गांव न सिर्फ जौनपुर बल्कि पूरे देश के लिए भाईचारे और पंचायत की मिसाल बन चुका है।