
-केवल कृष्ण पनगोत्रा
कांग्रेस के ओवरसीज प्रमुख सैम पित्रोदा विवाद पिछले दिनों गहराता चला गया, जब उन्होंने यह कहा कि पाकिस्तान में उन्हें घर जैसा लगता है। इस बयान पर भाजपा ने उन्हें निशाने पर ले लिया। कांग्रेस को घेरने के प्रयास में भाजपा नेताओं ने तरह-तरह के आरोप लगाए। यहां तक कि कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए एक नेता ने कहा कि अगर पित्रोदा को पाकिस्तान घर जैसा लगता है तो राहुल गांधी, सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी को भी पाकिस्तान घर जैसा लगता होगा, जबकि हमें पाकिस्तान दुश्मन जैसा लगता है।
पाकिस्तान से दुश्मनी का इतिहास
दरअसल, सवाल यह है कि पाकिस्तान 1947 से लेकर आज तक भारत का दुश्मन कब नहीं रहा?
1947 में भारत विभाजन के समय जम्मू-कश्मीर पर कबाइली हमला हुआ।
1965 और 1971 में पाकिस्तान ने युद्ध छेड़ा।
1999 में कारगिल युद्ध के दौरान भारत ने ऑपरेशन विजय चलाकर पाकिस्तानी सेना को खदेड़ा।
आतंकवाद के जरिए आईएसआई और पाकिस्तानी सेना लगातार भारत के खिलाफ छद्म युद्ध चला रही हैं।
मोदी, वाजपेयी और आडवाणी के पाक दौरे
यही कारण है कि सैम पित्रोदा विवाद पर सवाल उठते समय यह भी पूछा जा रहा है कि जब 2015 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बिना पूर्व कार्यक्रम के नवाज शरीफ से मिलने पाकिस्तान चले गए थे, तो उस समय इसे किस दृष्टि से देखा गया? वाजपेयी भी लाहौर गए थे, लालकृष्ण आडवाणी पाकिस्तान गए थे और नवाज शरीफ भी मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए थे।
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क्रिकेट बनाम दुश्मनी
अगर पाकिस्तान दुश्मन है तो फिर क्रिकेट मैच खेलने पर सवाल क्यों गलत माने जाते हैं? जैसे खून और पानी साथ नहीं बह सकते, बंदूक और बातचीत साथ नहीं हो सकती, वैसे ही दोस्ताना क्रिकेट मैच दुश्मनी के माहौल में कैसे खेले जा सकते हैं?
पित्रोदा का स्पष्टीकरण
सैम पित्रोदा विवाद के बीच उनका एक्स पर दिया गया स्पष्टीकरण महत्वपूर्ण है। उन्होंने लिखा –
“मेरे कहने का आशय साझा इतिहास और लोगों के बीच रिश्तों पर जोर देना था, न कि आतंकवाद और भू-राजनीतिक तनावों को नजरंदाज करना। यदि मेरे शब्दों से किसी को भ्रम हुआ है तो स्पष्ट करना चाहता हूं कि मेरा उद्देश्य संवाद, सहानुभूति और जिम्मेदार दृष्टिकोण को बढ़ावा देना था।”
साझा इतिहास की पृष्ठभूमि
सैम पित्रोदा विवाद को केवल राजनीति से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए। भारतीय उपमहाद्वीप वही क्षेत्र है जिसे प्राचीन काल में भारतवर्ष कहा जाता था।
सम्राट अशोक ने पूरे उपमहाद्वीप के बड़े हिस्से पर शासन किया।
चन्द्रगुप्त मौर्य ने फारस तक फैला हुआ विशाल साम्राज्य खड़ा किया।
समुद्रगुप्त ने उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम लगभग पूरे भारत को एकीकृत किया।
इसी साझा सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के कारण पित्रोदा को पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल जैसे देशों में घर जैसा महसूस हुआ।
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सैम पित्रोदा विवाद को संकीर्ण नजरिए से नहीं देखा जाना चाहिए। पाकिस्तान की ओर से आतंकवाद और तनाव को कोई भारतीय नजरंदाज नहीं कर सकता, लेकिन साझा इतिहास और सांस्कृतिक विरासत को भी भुलाया नहीं जा सकता।