उत्तर प्रदेश सरकार ने ग्रामीण जनता की सहूलियत के लिए बड़ी पहल की है। अब प्रत्येक जिले की 50 चयनित ग्राम पंचायतों में आधार सेवा केंद्र खोले जाएंगे, जिससे गांवों में ही नामांकन, संशोधन और आधार से जुड़ी सेवाएं उपलब्ध हो सकेंगी।
चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश के गांवों में डिजिटल क्रांति की ओर एक अहम कदम
अब ग्रामीणों को आधार कार्ड बनवाने या उसमें सुधार करवाने के लिए शहरों की ओर नहीं दौड़ना पड़ेगा। उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के सभी जिलों की 50-50 सक्रिय और आत्मनिर्भर ग्राम पंचायतों में आधार सेवा केंद्र स्थापित करने की तैयारी शुरू कर दी है। यह कार्य पंचायती राज विभाग द्वारा किया जा रहा है और इसके लिए ज़िला पंचायत राज अधिकारियों (DPRO) से पंचायतों की सूची मांगी गई है।
पहले चरण में देवीपाटन मंडल के जिलों का चयन
गौरतलब है कि इस पहल की शुरुआत देवीपाटन मंडल के चार जिलों—गोंडा, बलरामपुर, बहराइच और श्रावस्ती—की 200 ग्राम पंचायतों से की जा रही है। यहां आधार सेवा केंद्र खोलने की तैयारी पूरी रफ्तार से चल रही है। इन पंचायतों को इसलिए चुना गया है क्योंकि ये न केवल अपनी आय खुद सृजित करने में सक्षम हैं, बल्कि प्रशासनिक दृष्टि से भी बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं।
अब गांव में ही मिलेगी आधार से जुड़ी सुविधा
अब तक गांवों में आधार केंद्र न होने के कारण ग्रामीणों को छोटे-छोटे कामों के लिए भी जिला मुख्यालयों पर निर्भर रहना पड़ता था। इसमें न केवल समय की बर्बादी होती थी, बल्कि आर्थिक खर्च भी बढ़ता था। लेकिन इस योजना के लागू होने के बाद नामांकन, संशोधन, मोबाइल लिंकिंग और बायोमेट्रिक अपडेट जैसी सेवाएं स्थानीय स्तर पर ही उपलब्ध होंगी।
संचालन की जिम्मेदारी पंचायत सहायकों पर
इस योजना की एक और खास बात यह है कि इन आधार सेवा केंद्रों का संचालन ग्राम पंचायत में नियुक्त पंचायत सहायक करेंगे। उन्हें आधार पंजीकरण और संशोधन की विशेष ट्रेनिंग दी जाएगी ताकि वे तकनीकी रूप से दक्ष हो सकें और सेवा की गुणवत्ता बनी रहे। इससे न केवल सेवा की सुलभता बढ़ेगी, बल्कि युवाओं के लिए स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे।
सामान्य सेवा केंद्रों को मिलेगा नया आयाम
चयनित पंचायतों में पहले से मौजूद सामान्य सेवा केंद्रों (CSC) को आधार सेवा के लिए भी अधिकृत किया जाएगा। यानी अब ये केंद्र केवल प्रमाण पत्र, जाति, निवास जैसे दस्तावेज़ नहीं बल्कि आधार से जुड़ी सेवाएं भी प्रदान करेंगे। यह एक समेकित सेवा प्रणाली की ओर बढ़ता हुआ कदम है।
पंचायती राज निदेशक का स्पष्ट निर्देश
पंचायतीराज निदेशक अमित कुमार सिंह ने सभी जिलों के जिला पंचायत राज अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे जल्द से जल्द प्रस्तावित पंचायतों की सूची निर्धारित प्रारूप में भेजें, ताकि चयन की प्रक्रिया को तेज़ी से आगे बढ़ाया जा सके। उनका मानना है कि यदि ग्रामीण स्तर पर डिजिटल पहचान की सुविधाएं सुलभ कर दी जाएं, तो सरकारी योजनाओं का लाभ लोगों तक बेहतर और पारदर्शी रूप से पहुँचाया जा सकता है।
ग्राम प्रधान संगठन ने जताई प्रसन्नता
ग्राम प्रधान संगठनों ने सरकार की इस पहल की सराहना की है। उनका कहना है कि यह निर्णय न केवल ग्रामीण डिजिटल सशक्तिकरण की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा, बल्कि इससे ग्राम पंचायतों की कार्यक्षमता और आत्मनिर्भरता को भी बल मिलेगा।
इस नई योजना से यह स्पष्ट है कि उत्तर प्रदेश सरकार ग्रामीण आधारभूत ढांचे को तकनीकी रूप से सशक्त बनाने के लिए कटिबद्ध है। पंचायत स्तर पर आधार केंद्र खुलने से न केवल आमजन को राहत मिलेगी, बल्कि गांवों में डिजिटल इंडिया की कल्पना साकार होती नजर आएगी। यह एक ऐसा प्रयास है जो आने वाले समय में ग्रामीण भारत के विकास की नई इबारत लिखेगा।