Sunday, July 20, 2025
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स्कूल नहीं जाएगा तो भविष्य अधूरा रह जाएगा: चंद्र प्रकाश सूर्या का दो टूक संदेश

सीपत के कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में शाला प्रवेश उत्सव धूमधाम से मनाया गया। चंद्र प्रकाश सूर्या ने कहा—शिक्षा ही बच्चों का भविष्य गढ़ती है। बच्चों को स्टेशनरी वितरित की गई और प्रोत्साहन पुरस्कार की घोषणा भी हुई।

हरीश चन्द्र गुप्ता की रिपोर्ट

सीपत। शिक्षा की अलख जगाने और नए सत्र का उत्सव मनाने के उद्देश्य से शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, सीपत में शनिवार को शाला प्रवेश उत्सव का आयोजन बड़े ही उत्साह और उल्लास के साथ किया गया।

कार्यक्रम की शुरुआत बच्चों के पारंपरिक तिलक और मिठाई खिलाकर स्वागत से हुई। रंग-बिरंगे गुब्बारों और झंडियों से सजे स्कूल परिसर में सौंदर्य और उल्लास का अनोखा संगम दिखाई दिया। इस अवसर पर सैकड़ों छात्र-छात्राएं, उनके अभिभावक तथा क्षेत्र के गणमान्य नागरिक मौजूद रहे।

मुख्य अतिथि चंद्र प्रकाश सूर्या ने दी प्रेरणा

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि चंद्र प्रकाश सूर्या ने अपने प्रेरणादायक संबोधन में कहा, “शिक्षा ही बच्चों का भविष्य संवारती है। हर बच्चे को स्कूल जरूर जाना चाहिए, और इसमें अभिभावकों की भूमिका सबसे अहम है।”

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उन्होंने यह भी घोषणा की कि जो बच्चे 90 प्रतिशत से अधिक अंक लाकर पास होंगे, उन्हें विशेष पुरस्कार देकर सम्मानित किया जाएगा। इसके माध्यम से उन्होंने बच्चों को न केवल पढ़ाई के प्रति प्रेरित किया, बल्कि एक सकारात्मक प्रतिस्पर्धा का माहौल भी बनाया।

अन्य विशिष्ट अतिथियों की उपस्थिति

इस अवसर पर जनपद सदस्य मनोज खरे, शाला समिति अध्यक्ष यू. के. कौशिक, पूर्व मंडल अध्यक्ष बांके बिहारी गुप्ता, महामंत्री हरिकेश गुप्ता, पूर्व जनपद सदस्य अखिलेश यादव, प्राचार्य कुजूर, जी. मंजू मिश्रा, अरुण जायसवाल, गीता प्रजापति, त्रिपाठी जी सहित कई अन्य अतिथियों ने उपस्थिति दर्ज कराई।

उत्सव में बच्चों को मिला तोहफा

बच्चों को इस अवसर पर स्कूल बैग, किताबें और स्टेशनरी का वितरण किया गया। इससे न सिर्फ छात्रों के चेहरे खिले, बल्कि अभिभावकों ने भी प्रशासन और विद्यालय के इस प्रयास की सराहना की।

शाला समिति और जनप्रतिनिधियों की सकारात्मक भूमिका

शाला समिति अध्यक्ष यूके कौशिक ने कहा कि विद्यालय में बच्चों को सभी आवश्यक सुविधाएं और बेहतर वातावरण देने का प्रयास किया जा रहा है। वहीं जनपद सदस्य मनोज खरे ने जानकारी दी कि “हर वर्ष शाला प्रवेश उत्सव का आयोजन बच्चों को स्कूल से जोड़ने और उनके भविष्य को संवारने के उद्देश्य से किया जाता है।”

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अभिभावकों को मिला विश्वास का संदेश

विद्यालय की प्राचार्य ने सभी अभिभावकों को यह भरोसा दिलाया कि “बच्चों की शिक्षा और उनके सर्वांगीण विकास में कोई कमी नहीं आने दी जाएगी। स्कूल पूरी जिम्मेदारी के साथ उन्हें बेहतर मार्गदर्शन और संसाधन उपलब्ध कराएगा।”

पेड़ माँ के नाम—संवेदनशीलता की मिसाल

कार्यक्रम के अंत में ‘पेड़ माँ के नाम’ अभियान के तहत पौधारोपण भी किया गया, जिसने पर्यावरण संरक्षण और मातृत्व सम्मान का सुंदर संदेश दिया।

निष्कर्षतः, यह उत्सव न केवल शिक्षा के महत्व को उजागर करता है, बल्कि समाज और प्रशासन की साझेदारी से बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए किए जा रहे प्रयासों की भी मिसाल पेश करता है।

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