
आजमगढ़। ब्राह्मण समाज में एक बार फिर आक्रोश की ज्वाला भड़क उठी है। अखिल भारतवर्षीय ब्राह्मण सभा ने आईएएस अधिकारी संतोष वर्मा द्वारा ब्राह्मण बेटियों के लिए कथित रूप से की गई अभद्र और अपमानजनक टिप्पणी पर गहरा रोष व्यक्त करते हुए उनकी तत्काल गिरफ्तारी और कठोर दंडात्मक कार्रवाई की मांग की है। इस मुद्दे ने न केवल समाज के भीतर आक्रोश को जन्म दिया है, बल्कि महिलाओं के सम्मान और प्रशासनिक जिम्मेदारियों पर भी बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।
“कथित अभद्र टिप्पणी पूरे देश की नारियों का अपमान”— पं. सुभाष चंद्र तिवारी
अखिल भारतवर्षीय ब्राह्मण सभा के राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष पं. सुभाष चंद्र तिवारी ‘कुन्दन’ ने कड़े शब्दों में कहा कि किसी भी अधिकारी के लिए ऐसा व्यवहार न केवल अनुचित है, बल्कि पद की गरिमा के विरुद्ध भी है। उन्होंने इस टिप्पणी को ब्राह्मण समाज ही नहीं, बल्कि पूरे देश की नारियों का अपमान बताया।
उन्होंने भारतीय संस्कृति का हवाला देते हुए कहा कि—
“यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवता” — अर्थात जहां नारी का सम्मान होता है, वहीं देवत्व का वास होता है।
उन्होंने कहा कि यदि समाज में बेटियों के सम्मान को ठेस पहुंचाई जाएगी, तो यह भारतीय सभ्यता पर कुठाराघात होगा।
“समाज में जातीय विद्वेष फैलाने का प्रयास”— संगठन मंत्री संजय पांडेय
सभा के राष्ट्रीय संगठन मंत्री संजय कुमार पांडेय ने भी इस टिप्पणी को जातीय विद्वेष फैलाने वाली आत्मघाती मानसिकता का परिणाम बताया। उन्होंने कहा कि ऐसे अधिकारी यदि अपने शब्दों पर नियंत्रण नहीं रख सकते, तो वे प्रशासनिक तंत्र के लिए खतरा हैं।
उन्होंने सरकार से मांग की कि—
- ऐसे अधिकारियों पर त्वरित कार्रवाई की जाए,
- उन्हें पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं,
- उनकी टिप्पणी की निष्पक्ष जांच की जाए,
- और समाज में उदाहरण पेश करने के लिए कठोर दंड दिया जाए।
उन्होंने यह भी कहा कि बेटियों के सम्मान को चोट पहुंचाने वाले किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाना चाहिए, भले ही वह कितना बड़ा अधिकारी ही क्यों न हो।
आजमगढ़ में बढ़ रहा तनाव, सोशल मीडिया पर भी आक्रोश
घटना सामने आने के बाद से आजमगढ़ सहित पूरे पूर्वांचल में इस मामले पर चर्चा गर्म है। ब्राह्मण संगठनों ने इसे समुदाय के आत्मसम्मान पर हमला बताया है। सोशल मीडिया पर भी कई संगठन, युवा समूह और सामाजिक कार्यकर्ता आईएएस संतोष वर्मा के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
कई लोगों का कहना है कि प्रशासनिक पदों पर बैठे लोगों को भाषण और आचरण में अधिक जिम्मेदारी दिखानी चाहिए, क्योंकि उनके शब्द समाज को दिशा देते हैं।
सरकार पर दबाव बढ़ा: गिरफ्तारी की मांग अब व्यापक स्तर पर
विभिन्न जिलों में संगठन ज्ञापन तैयार कर रहे हैं और प्रदेश स्तर पर भी यह मुद्दा जोर पकड़ने लगा है। कई सामाजिक संगठनों का कहना है कि यदि समय रहते कार्रवाई नहीं हुई, तो यह मामला बड़े आंदोलन का रूप ले सकता है।
स्थानीय स्तर पर भी बैठकों और विरोध की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। समाज के लोगों का कहना है कि सम्मान के मुद्दे पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
महिलाओं की गरिमा पर चोट को लेकर एकजुटता
इस पूरे विवाद ने एक बात साफ कर दी है कि समाज अब बेटियों की गरिमा से जुड़े किसी भी मुद्दे को हल्के में लेने को तैयार नहीं है। चाहे वह किसी भी समुदाय की बेटी हो, ऐसे बयान अस्वीकार्य हैं।
महिला संगठनों ने भी इस बयान की निंदा की है और इसे लैंगिक संवेदनशीलता के विरुद्ध बताया है।
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