
फिरोजाबाद (उत्तर प्रदेश): विधानसभा मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की आड़ में एक चौंकाने वाली धोखाधड़ी सामने आई है। यहां एक महिला से ऐसा जाल बिछाकर संपत्ति हड़पी गई कि रिश्तों तक पर भरोसा करना मुश्किल हो जाए। पीड़िता को उसके ही सगे भाई ने SIR फॉर्म भरने का भय दिखाकर मकान और दुकान का बैनामा अपने नाम करा लिया। घटना प्रकाश में आने के बाद अब पीड़िता न्याय के लिए दर–दर की ठोकरें खा रही है।
भाई ने मतदाता सूची के फॉर्म के नाम पर बुलाया
जानकारी के अनुसार फिरोजाबाद के रसूलपुर थाना क्षेत्र स्थित नालबंद चौराहा निवासी सरताज खानम गुरुग्राम में रहकर सिलाई का काम करती हैं। अपने मेहनत की कमाई से उन्होंने एक मकान और दुकान खरीदी थी। हालांकि उन्हें अंदाजा भी नहीं था कि उनका ही भाई आज़ाद उनके भविष्य पर इतना बड़ा वार करने वाला है।
कुछ समय पहले आज़ाद ने फोन पर बताया कि विधानसभा मतदाता सूची के SIR यानी Special Intensive Revision में फॉर्म न भरने पर उनके सभी संपत्ति कागज़ात रद्द हो सकते हैं। बहन को विश्वास दिलाने के लिए उसने सरकारी प्रक्रिया का हवाला दिया और जल्द फॉर्म भरने का दबाव बनाकर फिरोजाबाद बुला लिया।
SIR के नाम पर दस्तावेजों पर साइन कराए, असल में थे बैनामे के कागज
इसके बाद आज़ाद उसे सीधे रजिस्ट्री कार्यालय ले गया। सरताज बताती हैं कि वहां उनसे कहा गया कि मतदाता सूची सत्यापन के लिए कुछ औपचारिक दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने होंगे। बिना शक हुए उन्होंने कागजों पर साइन कर दिए।
लेकिन बाद में जो सच सामने आया, वह हैरान करने वाला था। जिन दस्तावेजों को SIR फॉर्म बताया गया था, वे दरअसल उसके मकान और दुकान का बैनामा थे। कागज़ात पर उसके नाम को हटाकर पूरी संपत्ति भाई आज़ाद के नाम दर्ज करा दी गई थी।
पीड़िता ने एसएसपी को भेजा शिकायती पत्र
धोखाधड़ी का अहसास होते ही सरताज खानम टूट गईं, पर चुप नहीं बैठीं। उन्होंने तुरंत एसएसपी ऑफिस में लिखित शिकायत दर्ज कराई और कार्रवाई की मांग की। इसके अलावा उन्होंने रजिस्ट्री निरस्त कराने के लिए अदालत में वाद दायर कर दिया है।
सरताज का कहना है कि उनकी जीवनभर की पूंजी, मेहनत और सपनों को साजिश के तहत छीना गया है और अब वे न्याय पाने के लिए प्रशासनिक दफ्तरों के चक्कर काट रही हैं।
संपत्ति विवाद में SIR का नाम इस्तेमाल होने से खड़ा हुआ बड़ा सवाल
यह मामला सिर्फ पारिवारिक विवाद नहीं, बल्कि समाज के लिए चेतावनी है। विधानसभा मतदाता सूची पुनरीक्षण का नाम लेकर दस्तावेजी धोखाधड़ी का यह तरीका भविष्य में और भी मामलों को जन्म दे सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे मामलों में आम लोगों को सरकारी प्रक्रियाओं के नाम पर कुछ भी साइन न करने की सलाह दी जानी चाहिए।
पीड़िता न्याय के लिए संघर्षरत
फिरोजाबाद पुलिस के पास शिकायत दर्ज हो चुकी है और मामला अदालत में विचाराधीन है। सरताज खानम का कहना है कि वह न्याय मिलने तक संघर्ष जारी रखेंगी। स्थानीय लोग भी इस घटना से सकते में हैं, क्योंकि SIR जैसी सरकारी प्रक्रिया को बहाना बनाकर रजिस्ट्री धोखाधड़ी किए जाने से आम जनता में भय और भ्रम की स्थिति पैदा हो सकती है।
❓ क्लिक करें और जवाब देखें – सवाल–जवाब (FAQ)
प्र. SIR क्या है और इसका किस काम में उपयोग होता है?
SIR यानी Special Intensive Revision विधानसभा मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण की सरकारी प्रक्रिया है। इसमें मतदाताओं के नाम और विवरण अपडेट किए जाते हैं।
प्र. सरताज खानम को किस तरह धोखा दिया गया?
SIR फॉर्म भरने के बहाने रजिस्ट्री कार्यालय ले जाकर उनसे दस्तावेजों पर साइन कराए गए, जो वास्तव में उनके मकान और दुकान का बैनामा था।
प्र. क्या पीड़िता ने कानूनी कदम उठाए हैं?
हाँ, पीड़िता ने एसएसपी को शिकायती पत्र भेजा है और रजिस्ट्री निरस्त कराने के लिए कोर्ट में मामला दर्ज किया है।
प्र. ऐसे मामलों से कैसे बचा जा सकता है?
सरकारी प्रक्रिया का हवाला देकर किसी भी दस्तावेज पर साइन करने से पहले उसकी पूरी जांच करें, बिना पढ़े कोई दस्तावेज न साइन करें और जरूरत पड़े तो विधिक सलाह लें।