
चित्रकूट। दुष्कर्म के आरोपों का सामना कर रहे कथित महंत सत्यप्रकाश दास की परेशानियां एक बार फिर बढ़ गई हैं। लंबे समय से चर्चा में छाया यह मामला तब और गर्मा गया जब अखिल भारतीय श्री पंच निर्वाणी अनी अखाड़ा ने आधिकारिक पत्र जारी कर यह स्पष्ट किया कि सत्यप्रकाश दास अखाड़े से मान्यता प्राप्त महंत या संत नहीं हैं, बल्कि स्वयंभू घोषित महंत बने हुए हैं।
सतना (मध्य प्रदेश) की एक महिला ने चित्रकूट में रहने वाले सत्यप्रकाश दास पर दुराचार और शारीरिक शोषण के गंभीर आरोप लगाए थे। मामले में कर्वी कोतवाली में एफआईआर दर्ज हुई थी। विवेचक द्वारा न्यायालय में दी गई अंतिम रिपोर्ट के बाद ऐसा लग रहा था कि आरोपी महंत को कानूनी राहत मिल सकती है, मगर सात दिन पहले मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट चित्रकूट ने एफआईआर को निरस्त कर पुनः सही तरीके से विवेचना करने के आदेश जारी कर दिए। इसके बाद मामला फिर से धर्मनगरी में चर्चा का केंद्र बन गया है।
बताया जा रहा है कि पीड़िता ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री सहित कई उच्च अधिकारियों को पत्र भेजकर निष्पक्ष न्याय की मांग की थी। जिसके बाद शासन के प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री संजय प्रसाद ने चित्रकूट पुलिस अधीक्षक को इस प्रकरण में निष्पक्ष जांच कर त्वरित कार्रवाई के स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं।
अखाड़े का पत्र — ‘वह महंत नहीं है’
अखिल भारतीय श्री पंच निर्वाणी अनी अखाड़ा द्वारा जारी पत्र में राष्ट्रीय महासचिव सत्यदेव दास ने लिखा है कि सत्यप्रकाश दास अखाड़े के किसी भी पद, पदवी या मान्यता के अधिकारी नहीं हैं। उनका न तो सीतापुर स्थित ठाकुर बालाजी ट्रस्ट से संबंध है और न ही निर्वाणी अखाड़ा के यज्ञवेदी से कोई जुड़ाव। पत्र में यह भी उल्लेख किया गया है कि साल 2024 में भी सत्यप्रकाश दास द्वारा स्वयं को महंत बताने पर अखाड़े ने खंडन किया था और अब उसी आदेश की पुनरावृत्ति की जा रही है।
सत्यप्रकाश दास बोले — ‘राजनीतिक साजिश चल रही है’
इन आरोपों पर अपना पक्ष रखते हुए सत्यप्रकाश दास ने कहा कि कुछ लोगों ने पहले भी फर्जी तरीके से एक व्यक्ति को महंत बनाकर चित्रकूट भेजा था। उन्होंने आरोप लगाया कि महंती और धार्मिक प्रतिष्ठा को लेकर कुछ लोगों से विवाद चल रहा है और वही लोग कुछ राजनीतिक नेताओं के साथ मिलकर षड्यंत्र रच रहे हैं। सत्यप्रकाश दास ने कहा कि यदि सीबीआई जांच हो जाए तो पूरा सच सामने आ जाएगा और दूध का दूध–पानी का पानी हो जाएगा।
सोशल और धार्मिक गलियारों में चर्चा तेज
अखाड़े की कड़ी प्रतिक्रिया के बाद यह मामला धार्मिक गलियारों से लेकर सोशल मीडिया तक जोर पकड़ चुका है। कई लोग इसे धार्मिक सम्मान और पदवी की लड़ाई मान रहे हैं, जबकि कुछ इसे आरोपों और प्रत्यारोपों के बीच न्याय की लड़ाई के रूप में देख रहे हैं। फिलहाल न्यायालय द्वारा पुनः विवेचना के आदेश के बाद पुलिस पर निष्पक्ष और सटीक जांच की जिम्मेदारी और बढ़ गई है।
SEO आधारित निष्कर्ष
दुष्कर्म केस, धार्मिक पदवी विवाद और अखाड़े के आधिकारिक हस्तक्षेप के चलते सत्यप्रकाश दास मामला फिर सुर्खियों में है। अब सभी की नजर पुलिस जांच, न्यायालय के आगे के आदेशों और अखाड़े की संभावित आगे की कार्यवाही पर टिकी है। आने वाले दिनों में यह मामला चित्रकूट और धार्मिक जगत में बड़ा मुद्दा बना रह सकता है।
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महंत सत्यप्रकाश दास पर कौन-सा मामला चल रहा है?
उन पर सतना की एक महिला ने दुराचार और शारीरिक शोषण का आरोप लगाया है, जिसकी एफआईआर कर्वी कोतवाली में दर्ज है।
क्या अखाड़े ने सत्यप्रकाश दास को संत माना है?
अखाड़े ने आधिकारिक पत्र जारी कर स्पष्ट किया है कि वह अखाड़े के महंत या संत नहीं हैं और स्वयंभू घोषित महंत बने हैं।
अब मामला किस स्थिति में है?
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने पुलिस की प्राथमिकी निरस्त करते हुए मामले की पुनः विवेचना के आदेश दिए हैं और शासन ने निष्पक्ष जांच के निर्देश जारी किए हैं।
सत्यप्रकाश दास ने अपनी सफाई में क्या कहा?
उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ राजनीतिक साजिश रची जा रही है और यदि सीबीआई जांच हो जाए तो सच्चाई सामने आ जाएगी।