नागपुर में ‘स्पोर्ट्स एज ए करियर’ कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने राजनीति को नशे से जोड़ा, सरकार को निकम्मी बताया और कहा कि सत्ता-संपत्ति क्षणिक हैं। साथ ही, उन्होंने स्पोर्ट्स इंफ्रास्ट्रक्चर के निजीकरण की भी घोषणा की।
शशांक झा की रिपोर्ट
नागपुर। राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी और स्पष्टवादी वक्ता के तौर पर पहचाने जाने वाले केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने नागपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में अपने विचारों से सबको चौंका दिया। ‘स्पोर्ट्स एज ए करियर’ नामक इस आयोजन में गडकरी ने न सिर्फ युवाओं को जीवन के वास्तविक पहलुओं से अवगत कराया, बल्कि राजनीति, सरकार की अक्षमता और समाज के मौजूदा रवैये पर करारा व्यंग्य भी किया।
सत्ता और राजनीति पर तीखा प्रहार
अपने भाषण की शुरुआत करते हुए गडकरी ने कहा,
“राजनीति एक नशे की तरह होती है, और जब कोई नशे में होता है तो वह सोचने की शक्ति खो देता है।”
इस कथन से उन्होंने न केवल राजनीतिक संस्कृति पर चोट की, बल्कि सत्ता के मोह को भी क्षणिक बताते हुए यह स्पष्ट किया कि जो लोग सत्ता, संपत्ति और सौंदर्य के पीछे भागते हैं, वे भ्रम में जीते हैं। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा,
“सत्ता, संपत्ति और सौंदर्य परमानेंट नहीं होते। यह सब क्षणभंगुर हैं।”
‘बुरे वक्त में कोई नहीं पूछता’
गडकरी ने अपने व्यक्तिगत अनुभव साझा करते हुए बताया कि अच्छे दिनों में लोग सराहना करते हैं, लेकिन जब समय खराब आता है तो कोई साथ नहीं देता। उनके शब्दों में भावुकता भी थी और यथार्थ की गहराई भी। उन्होंने कहा,
“जब अच्छे दिन होते हैं तो तुम्हारी तारीफ करने वाले बहुत मिलते हैं, लेकिन जब समय खराब होता है तो पूछने वाला कोई नहीं होता।”
खेलों के लिए बड़ा विजन, सरकार को बताया निकम्मा
गडकरी ने नागपुर में 300 खेल स्टेडियम बनाने की अपनी इच्छा ज़ाहिर की। हालांकि, उन्होंने सरकार की कार्यशैली पर गहरा असंतोष प्रकट करते हुए कहा,
“सरकार बहुत निकम्मी चीज होती है। कॉर्पोरेशन के भरोसे कोई काम नहीं होता। ये लोग चलती गाड़ी को पंक्चर करने का हुनर रखते हैं।”
गडकरी ने बताया कि उन्होंने दुबई के एक व्यापारी से मुलाकात की जो निजी रूप से स्पोर्ट्स स्टेडियम चलाता है। इसी विचार से प्रेरित होकर उन्होंने नागपुर में एक नया मॉडल प्रस्तावित किया है।
निजीकरण मॉडल: टेंडर और मेंटेनेंस का साझा स्वरूप
उन्होंने बताया कि सरकार स्टेडियम के लिए ज़मीन, लाइट्स और गैलरी जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराएगी लेकिन लॉन और मैदान का रखरखाव निजी संस्था करेगी। यह मॉडल 15 साल की अवधि के लिए होगा, जिसमें खेलने वाले खिलाड़ियों से 100 से 500 रुपये तक की न्यूनतम फीस ली जाएगी।
“राजनीति फुकटों का बाज़ार है”
गडकरी ने सियासत की हकीकत को बेबाकी से उजागर करते हुए कहा,
“मैं राजनीति में हूं और यहां तो फुकटों का बाज़ार होता है। हर चीज फोकट में चाहिए। लेकिन मैं फोकट में कुछ नहीं देता।”
उनका यह बयान सीधे तौर पर उस मानसिकता पर प्रहार था जिसमें लोग मुफ्तखोरी की अपेक्षा रखते हैं।
“मैं चार्टर्ड अकाउंटेंट नहीं, पर फाइनेंशियल एक्सपर्ट हूं”
गडकरी ने अपनी प्रबंधन क्षमता पर भी रोशनी डालते हुए बताया कि उन्होंने बिना बजट दिए 5 लाख करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट पूरे करवा लिए। उनका मानना है कि इच्छाशक्ति, रणनीति और पारदर्शिता से हर काम संभव है।
युवाओं को दी सच्चाई से जुड़ने की सलाह
कार्यक्रम के अंत में उन्होंने युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि करियर चाहे कोई भी हो, उसमें मेहनत, ईमानदारी और धैर्य बेहद आवश्यक हैं। उन्होंने कहा,
“बुरे वक्त में कोई साथ नहीं देता, इसलिए खुद को मजबूत बनाना जरूरी है।”
निष्कर्षतः, नितिन गडकरी का यह भाषण सिर्फ एक राजनेता की बात नहीं थी, बल्कि उसमें एक समाज सुधारक, योजनाकार और स्पष्टवादी चिंतक की झलक थी। उन्होंने राजनीति की आंतरिक सच्चाइयों, सरकारी तंत्र की कमजोरियों और सामाजिक अपेक्षाओं पर जिस बेबाकी से बात की, वह आने वाले समय में एक विचारशील बहस की शुरुआत कर सकती है।