चंडीगढ़ में अखिल विश्व अखंड सनातन सेवा फाउंडेशन के कार्यक्रम में लेखक-पत्रकार अनिल अनूप ने ‘सनातन सेवा के सांस्कृतिक महत्व’ पर दिया प्रेरक वक्तव्य। युवाओं को दिया सामाजिक चेतना का संदेश।
विकास की रिपोर्ट
अखिल विश्व अखंड सनातन सेवा फाउंडेशन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, वरिष्ठ स्तंभकार, लेखक एवं पत्रकार अनिल अनूप ने आज चंडीगढ़ में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में ‘सनातन सेवा की सांस्कृतिक महत्ता और उसके वास्तविक स्वरूप’ पर विस्तार से अपने विचार रखे। यह कार्यक्रम ‘सामाजिक सेवा मिशन’ के बैनर तले आयोजित किया गया था, जिसमें शहर और आसपास के कई गणमान्य लोग, समाजसेवी, विद्यार्थी और युवा शामिल हुए।
📌 सनातन सेवा: केवल धर्म नहीं, संस्कृति की धड़कन है
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अनिल अनूप ने कहा,
“सनातन सेवा का अर्थ महज दान, भोजन या वस्त्र वितरण तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारी संस्कृति, सभ्यता और आत्मिक चेतना की अभिव्यक्ति है।”
उन्होंने कहा कि सनातन धर्म कोई संकीर्ण मत या परंपरा नहीं, बल्कि एक जीवंत, लचीली और सर्वजन हिताय संस्कृति है, जिसमें सेवा का अर्थ केवल दूसरों के कष्ट हरना ही नहीं, बल्कि समाज को आत्मनिर्भर, संस्कारी और जागरूक बनाना भी है।
🔎 ‘वास्तविक सेवा’ पर डाला प्रकाश
अपने वक्तव्य में अनिल अनूप ने कहा कि वर्तमान समय में सेवा शब्द की परिभाषा भटकती जा रही है।
उन्होंने प्रश्न उठाया—
“क्या वास्तव में सेवा वो है जो महज मंच पर तस्वीरों तक सीमित हो, या वो जो नि:स्वार्थ भाव से बिना प्रचार के की जाए?”
इस पर उन्होंने कहा कि सनातन संस्कृति में सेवा का मतलब है— निःस्वार्थ कर्म, आत्मबलिदान और समर्पण, जिसमें ‘नारायण’ हर ‘नर’ में देखा जाता है।
🎯 युवा पीढ़ी को जोड़ा सनातन सेवा से
अनिल अनूप ने युवाओं से आह्वान किया कि वे सोशल मीडिया के भ्रमजाल से निकलकर समाज सेवा के वास्तविक मैदान में उतरें। उन्होंने कहा कि
“जो पीढ़ी अपने इतिहास, संस्कृति और सेवा के मूल्यों से कट गई है, वह भविष्य में खोखली हो जाती है।”
🛕 सनातन सेवा फाउंडेशन की भूमिका पर प्रकाश
फाउंडेशन की भूमिका पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि अखिल विश्व अखंड सनातन सेवा फाउंडेशन पूरे भारत सहित विदेशों में भी धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक पुनर्जागरण का कार्य कर रहा है। संस्था गौ सेवा, नारी शिक्षा, ग्रामीण उत्थान, पर्यावरण संरक्षण और वृद्धजन सेवा जैसे अनेक आयामों पर काम कर रही है।
👏 मंच पर रही गरिमामयी उपस्थिति
कार्यक्रम में अनेक गणमान्य अतिथि उपस्थित थे। सामाजिक कार्यकर्ताओं, शिक्षाविदों और विद्यार्थियों ने अनिल अनूप के विचारों की सराहना की। वक्ताओं ने कहा कि उनकी वाणी में गहराई, अनुभव और चिंतन की स्पष्ट झलक मिलती है, जो वर्तमान पीढ़ी के लिए प्रेरणास्त्रोत है।
📚 लेखनी से लेकर कर्मक्षेत्र तक
यह उल्लेखनीय है कि अनिल अनूप न केवल एक समर्पित सामाजिक कार्यकर्ता हैं, बल्कि हिंदी पत्रकारिता, सांस्कृतिक विमर्श और वैचारिक लेखन में भी उनकी विशिष्ट पहचान है। उनके अनेक स्तंभ देश की प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते हैं और सनातन संस्कृति के वैचारिक पक्ष को प्रबलता से सामने रखते हैं।
📌 संक्षेप में
यह कार्यक्रम केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि सनातन सेवा के पुनर्पाठ और सामाजिक चेतना के विस्तार का मंच बना। अनिल अनूप जैसे विद्वान व्यक्तित्व की उपस्थिति ने न केवल विषय की गंभीरता को उभारा, बल्कि यह भी सिद्ध किया कि जब विचार और कर्म साथ चलें, तभी समाज में वास्तविक परिवर्तन संभव है।