आजमगढ़ के सिधारी में नवयुवक मंगल दल ट्रस्ट द्वारा विजयादशमी पर भव्य मेले का आयोजन किया जाएगा। तैयारियों को लेकर हुई बैठक में कार्यकर्ताओं ने व्यवस्थाओं पर विस्तार से चर्चा की। जानिए मेले की खासियतें और आयोजन की पूरी रूपरेखा।
अजय सिंह की रिपोर्ट
🟣 आजमगढ़ | हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी नवयुवक मंगल दल ट्रस्ट सिधारी द्वारा विजयादशमी के शुभ अवसर पर दुर्गा प्रतिमा की स्थापना के साथ-साथ एक भव्य मेले का आयोजन किया जा रहा है। यह मेला आजमगढ़ ही नहीं, बल्कि आस-पास के जिलों से आए लोगों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बनता है। रंग-बिरंगी रोशनी, विभिन्न प्रकार के झूले, खानपान की एक से बढ़कर एक दुकानें और सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ इस मेले की पहचान हैं।
तैयारियों का आगाज़ – अध्यक्ष के नेतृत्व में हुई बैठक
इस वर्ष की तैयारियों को लेकर ट्रस्ट के अध्यक्ष विश्वजीत सिंह की अध्यक्षता में एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें दशहरे के दौरान मेले के संचालन और सुरक्षा व्यवस्था को लेकर विस्तार से चर्चा हुई। बैठक में यह निर्णय लिया गया कि इस बार मेले को और अधिक आकर्षक, सुव्यवस्थित और सुरक्षित बनाया जाएगा ताकि आने वाले श्रद्धालुओं और दर्शकों को किसी प्रकार की असुविधा न हो।
समर्पित टीम, संगठित प्रयास
बैठक में मेला प्रबंधक बॉबी सिंह रेड़ा, उपाध्यक्ष अनुज सिंह रिशु, महामंत्री हर्षवर्धन सिंह, मेला अधिकारी साहिल सिंह, महासचिव राहुल गोंड, कोषाध्यक्ष घनश्याम गोंड, पंडाल मंत्री मानस तिवारी, मंत्री सत्यम सिंह, तनय चौबे, दीपक गुप्ता, सोना चौबे, राजा निगम, राजन शर्मा, दिव्य प्रकाश अस्थाना, वैभव अस्थाना समेत कई कार्यकर्ता बैठक में उपस्थित रहे।
इसी क्रम में राज गोंड, अर्पित गोंड, राकेश मौर्य, शुभम तिवारी, अभिषेक चौधरी, राजन यादव जैसे समर्पित युवाओं ने भी तैयारियों को गति देने की बात कही। बैठक की संपूर्ण जानकारी सांस्कृतिक मंत्री एवं मीडिया प्रभारी अमित खरवार द्वारा साझा की गई।
लोकसंस्कृति और नवयुवकों का संगम
यह मेला न केवल धार्मिक श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि स्थानीय लोकसंस्कृति और युवा चेतना का भी जीवंत उदाहरण है। ट्रस्ट द्वारा किया गया यह प्रयास समाज में सांस्कृतिक एकता और सहभागिता की भावना को बढ़ावा देता है। नवयुवक मंगल दल सिधारी ने वर्षों से इस परंपरा को न सिर्फ़ जीवित रखा है, बल्कि हर वर्ष इसे नए आयाम भी दिए हैं।
क्या होगा विशेष इस बार?
✅ दुर्गा प्रतिमा की अलौकिक सजावट
✅ बच्चों और युवाओं के लिए विशेष झूले
✅ महिलाओं के लिए स्थानीय शृंगार, वस्त्र और भोजन की दुकानें
✅ सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं रात्रिकालीन आरती
✅ सुरक्षा और निगरानी के लिए विशेष प्रबंध
जहां एक ओर आधुनिकता की दौड़ में पारंपरिक मेले और त्योहारों का महत्व घटता जा रहा है, वहीं दूसरी ओर नवयुवक मंगल दल ट्रस्ट सिधारी जैसे संगठन संस्कृति और परंपरा को जीवंत बनाए रखने का कार्य कर रहे हैं। विजयादशमी का यह आयोजन न केवल धर्म का उत्सव है, बल्कि यह सामूहिक सहभागिता, सेवा और सौहार्द का प्रतीक भी है।