
अंजनी कुमार त्रिपाठी की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले के कीडगंज इलाके में एक ऐसी शादी देखने को मिली जिसने समाज की रूढ़ियों को चुनौती देते हुए सकारात्मक परिवर्तन का संदेश दिया है। आमतौर पर दूल्हा अपनी बारात लेकर दुल्हन के घर जाता है, लेकिन इस शादी में दुल्हन ने खुद अपनी बारात निकाली। यह न केवल अनोखा था बल्कि बेटियों की बराबरी और नारी सशक्तिकरण का ऐसा उदाहरण बना, जिसकी चर्चा पूरे शहर में हो रही है। सोशल मीडिया पर भी इस शादी का वीडियो तेजी से वायरल हो चुका है।
बेटे की तरह पाली बेटियां — पिता का सपना हुआ पूरा
कीडगंज निवासी राजेश जायसवाल की पाँच बेटियां हैं और कोई बेटा नहीं। लेकिन उन्होंने बेटा न होने को कभी कमी नहीं समझा। उनकी सोच हमेशा स्पष्ट रही — “बेटियां किसी भी मामले में बेटों से कम नहीं होतीं।”
इसी सोच के साथ उन्होंने अपनी बेटियों का पालन-पोषण किया और मन में एक सपना संजोया — बेटी की बारात भी उसी शान और खुशी से निकले जैसे बेटे की निकलती है।
यही सपना पूरा करने के लिए उन्होंने शादी का कार्ड छपवाते समय खास तौर पर लिखवाया —
“हमारी बेटी की बारात जाएगी।”
इस अनोखे निमंत्रण पत्र ने ही लोगों की जिज्ञासा बढ़ा दी थी और शादी के दिन दृश्य देखकर हर कोई भावुक हो उठा।
बैंड-बाजा और डांस के साथ निकली दुल्हन की शाही बारात
शादी के दिन माहौल पूरी तरह उत्सवपूर्ण था। लड़की वालों की तरफ से बैंड-बाजा, डीजे और नाचते-झूमते बाराती पूरी तैयारी में मौजूद थे। बारात के बीच फूलों से सजी बग्घी पर दुल्हन तनु बैठी थीं और खुशी से झूमते हुए लगातार डांस करती रहीं।
करीब दो किलोमीटर की यात्रा के बाद यह शाही बारात दूल्हे के घर पहुंची।
रास्ते में सैकड़ों लोग खड़े होकर इस अनोखी बारात को देखते रहे। किसी ने फोटो ली, किसी ने वीडियो बनाया और हर कोई इस आयोजन की तारीफ करता दिखा। कई लोग सड़क पर ताली बजाते हुए भावुक हो उठे —
“ऐसा शादी समारोह पहली बार देखा है… समाज में बदलाव ऐसे ही आता है।”
सोशल मीडिया पर वायरल — देशभर में चर्चा
बारात के वीडियो इंटरनेट पर आते ही वायरल हो गए। हजारों लोगों ने इसे शेयर किया और अपनी प्रतिक्रिया दी। अधिकतर लोगों ने इस कदम को बेटियों के सम्मान, नारी सशक्तिकरण और समानता का प्रतीक बताया।
कई यूज़र्स ने लिखा कि —
“ऐसी सोच हर परिवार में होनी चाहिए, तभी असली बदलाव आएगा।”
समाज के लिए बड़ा संदेश — बेटियां हैं तो भविष्य है
यह शादी सिर्फ खुशियों का उत्सव नहीं थी, बल्कि समाज के लिए मजबूत संदेश भी थी। यह आयोजन याद दिलाता है कि बेटियों को बराबर का सम्मान और अवसर देने से वे घर, परिवार और समाज हर स्तर पर रोशनी फैला सकती हैं।
दुल्हन की बारात ने न केवल रीति-रिवाज बदले बल्कि सोच भी बदलने का रास्ता दिखा दिया है।
- बेटियां बेटों से कम नहीं — यह सिर्फ नारा नहीं बल्कि सच है
- हर परिवार में समानता की भावना आवश्यक है
- जब बेटियों को सम्मान मिलता है तभी समाज प्रगतिशील बनता है
क्लिक कर के सवाल–जवाब (FAQ)