
मथुरा ब्यूरो रिपोर्ट
फ्लाईओवर हादसा क्यों बना चर्चा का विषय?
फ्लाईओवर हादसा अब लोगों के लिए किसी नई बात जैसी नहीं रह गई है। यह फ्लाईओवर निर्माण के समय से ही विवादों में रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि पुल बनने के तुरंत बाद ही इसकी सड़क पर गड्ढे दिखाई देने लगे।
शुरुआत में जब आवाज उठी तो निर्माण एजेंसी ने गड्ढों को भरने का प्रयास किया, लेकिन वे गड्ढे कभी पूरी तरह भरे ही नहीं। दो साल बीत जाने के बाद भी स्थिति जस की तस बनी हुई है। यही वजह है कि फ्लाईओवर हादसा आम जनता की चिंता का विषय बन गया है।
भ्रष्टाचार और लापरवाही का प्रतीक
यह फ्लाईओवर सिर्फ एक पुल नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार का जीता-जागता उदाहरण बन गया है। निर्माण के समय नियमों की अनदेखी और घटिया सामग्री का उपयोग स्पष्ट रूप से दिखता है।
स्थानीय लोगों के अनुसार, हर बार प्रशासन सिर्फ लीपापोती करता है। नतीजा यह है कि सड़क पर गड्ढों और टूटी सुरक्षा बारियों के कारण हादसों का सिलसिला लगातार जारी है।
ताजा घटना : समाजसेवी केके सिंह का बचना
हाल ही में, समाजसेवी ठा. केके सिंह शोक संवेदना व्यक्त कर लौट रहे थे। इसी दौरान उनकी कार को एक ट्रक ने टक्कर मार दी। सौभाग्य से वे बाल-बाल बच गए।
ट्रक कार के साइड शीशे और बैक मिरर को तोड़ते हुए मौके से फरार हो गया। यह सिर्फ एक उदाहरण है। रोजाना ऐसे हादसे घटते रहते हैं, और लोग अपनी जान जोखिम में डालकर गुजरते हैं।
रोज बढ़ता खतरा
फ्लाईओवर हादसा हर दिन घटता है। सड़क पर गड्ढों और टूटे हिस्सों के कारण वाहन चालक साइड लेने पर मजबूर हैं, जिससे आमने-सामने की टक्कर या पीछे से लगने वाले हादसों की आशंका बढ़ जाती है।
इसीलिए ग्रामीण और राहगीर बार-बार प्रशासन से अपील कर रहे हैं। लेकिन अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
साथ ही रोज़ाना हादसे होने से लोगों का भरोसा प्रशासन पर से उठता जा रहा है।
ग्रामीणों की मांग : जल्द मरम्मत की जरूरत
स्थानीय लोगों ने प्रशासन से पुल और सड़क की जल्द मरम्मत की मांग की है। उनका कहना है कि यदि समय रहते गड्ढों को नहीं भरा गया और सड़क को दुरुस्त नहीं किया गया, तो बड़ा हादसा होना तय है।
ग्रामीणों के अनुसार, नेताओं और अधिकारियों ने कई बार आश्वासन दिया, लेकिन जमीन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
फ्लाईओवर हादसा का व्यापक असर
फ्लाईओवर हादसा सिर्फ एक सड़क दुर्घटना नहीं है। यह भ्रष्टाचार, लापरवाही और प्रशासनिक उदासीनता का प्रतीक है।
लोगों की जान जोखिम में है।
वाहनों का नुकसान हो रहा है।
ट्रैफिक जाम और देरी आम हो गई है।
ग्रामीणों का प्रशासन पर भरोसा कम हो रहा है।
समाधान की दिशा
फ्लाईओवर हादसा जैसी स्थिति से बचने के लिए नियमित गुणवत्ता जांच और सड़क सुरक्षा ऑडिट जरूरी है।
इसके अलावा, भ्रष्टाचार रोकने के लिए जिम्मेदार एजेंसियों की जवाबदेही तय करनी होगी। पारदर्शिता और तकनीक आधारित निगरानी से इस तरह की दुर्घटनाओं पर नियंत्रण पाया जा सकता है।
फ्लाईओवर हादसा सिर्फ एक दुर्घटना नहीं है, बल्कि भ्रष्टाचार और लापरवाही का नतीजा है। दो साल बाद भी गड्ढे जस के तस हैं और हादसे लगातार हो रहे हैं।
यह भी पढें👉69 वीं जिला स्तरीय क्रीड़ा प्रतियोगिता : विधायक नोक्षम चौधरी ने ध्वजारोहण कर किया शुभारंभ
समाजसेवी केके सिंह का बाल-बाल बचना इसका ताजा उदाहरण है। यदि प्रशासन ने तुरंत कदम नहीं उठाए, तो यह फ्लाईओवर भविष्य में बड़े हादसों का कारण बन सकता है। ग्रामीणों और आम जनता की सुरक्षा के लिए अब ठोस और त्वरित कार्रवाई जरूरी है।
