
संजय कुमार वर्मा की रिपोर्ट
बिहार का जंगलराज और प्रधानमंत्री मोदी का बयान
बिहार की राजनीति में जब भी बिहार का जंगलराज याद किया जाता है, लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं। हत्या, अपहरण, रंगदारी और बलात्कार की घटनाओं से भरा वह दौर आज भी लोगों के जेहन में डर पैदा करता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में ‘मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना’ की शुरुआत करते हुए इसी अंधेरे काल का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि लालू यादव के शासनकाल में हालात इतने खतरनाक थे कि IAS अफसर से लेकर डॉक्टर तक इसके शिकार बने और उनकी पत्नियों तक को हैवानियत झेलनी पड़ी।
यही कारण है कि पीएम मोदी के बयान के बाद एक बार फिर IAS अफसर बीबी विश्वास की पत्नी चंपा विश्वास की दर्दनाक दास्तां चर्चा में है।
बिहार का जंगलराज : सत्ता और अपराध का गठजोड़
1990 से 2005 तक का दौर बिहार की राजनीति में अपराध और सत्ता के गठजोड़ का प्रतीक माना गया। इस दौरान अपहरण और हत्या आम बात थी, जबकि महिलाएं असुरक्षा के साए में जीती थीं। इसी दौर में IAS बीबी विश्वास की पत्नी चंपा विश्वास के साथ हुआ बर्बर अत्याचार बिहार के जंगलराज की सबसे भयावह तस्वीर पेश करता है।
IAS अफसर की पत्नी चंपा विश्वास की त्रासदी
बीबी विश्वास, 1982 बैच के IAS अधिकारी थे और 1995 में समाज कल्याण विभाग में सचिव पद पर कार्यरत थे। ऊंचे पद और प्रतिष्ठा के बावजूद उनका परिवार अपराधियों की हैवानियत से बच नहीं पाया।
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7 सितंबर 1995 को RJD विधायक हेमलता यादव ने चंपा विश्वास को अपने घर बुलाया। वहीं हेमलता के बेटे मृत्युंजय यादव ने चंपा विश्वास के साथ बलात्कार किया। इसके बाद उन्हें धमकी दी गई कि अगर यह बात बाहर गई तो पूरे परिवार को गंभीर अंजाम भुगतना पड़ेगा।
यहीं से चंपा विश्वास की जिंदगी डर और पीड़ा की गहरी खाई में गिर गई। रिपोर्ट्स के मुताबिक, अगले दो सालों तक उन्हें बार-बार यौन उत्पीड़न का शिकार बनाया गया। चौंकाने वाली बात यह है कि चंपा ही नहीं, बल्कि उनकी मां, भतीजी और यहां तक कि घरेलू सहायिकाएं भी इस हैवानियत का शिकार बनीं।
न्याय की लड़ाई और बिहार का जंगलराज का दबाव
जब चंपा विश्वास ने साहस दिखाकर पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, तो उन्हें मामले को दबाने की सलाह दी गई। लेकिन वे चुप नहीं रहीं। उन्होंने सीधे बिहार के तत्कालीन राज्यपाल को पत्र लिखकर न्याय की गुहार लगाई।

राज्यपाल के हस्तक्षेप के बाद 1997 में मृत्युंजय यादव को गिरफ्तार किया गया। हेमलता यादव कुछ समय तक फरार रहीं, लेकिन अंततः उन्होंने आत्मसमर्पण कर दिया। यह मामला अचानक पूरे बिहार में चर्चा का विषय बन गया और बिहार का जंगलराज शब्द और गहराई से जनता के बीच स्थापित हो गया।
अदालत का फैसला और निराशा
2002 में पटना की निचली अदालत ने मृत्युंजय यादव को 10 साल और हेमलता यादव को 3 साल की सजा सुनाई। यह फैसला चंपा और उनके परिवार के लिए थोड़ी राहत लेकर आया।
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लेकिन यह राहत ज्यादा दिन नहीं टिक सकी। पटना हाईकोर्ट ने निचली अदालत का फैसला पलट दिया और दोनों को बरी कर दिया। यह निर्णय न केवल चंपा विश्वास के लिए बल्कि बिहार की न्याय व्यवस्था के लिए भी सवाल खड़े कर गया।
गुमनामी में बीता जीवन
इस पूरे मामले ने चंपा विश्वास की जिंदगी पूरी तरह बदल दी। पति बीबी विश्वास के निधन के बाद वे कोलकाता चली गईं और गुमनाम जीवन जीने लगीं। आज वे पूरी तरह से सार्वजनिक जीवन से दूर हैं और उनके बारे में बहुत कम जानकारी सामने आती है।
बिहार का जंगलराज और पीएम मोदी का संदेश
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में इस किस्से का उल्लेख कर यह संदेश देने की कोशिश की कि बिहार की राजनीति में अब बदलाव आ चुका है। उन्होंने कहा कि आज महिलाएं पहले से कहीं अधिक सुरक्षित और सशक्त हैं। लेकिन बिहार का जंगलराज यह याद दिलाता है कि जब सत्ता अपराधियों के हाथों में जाती है तो समाज और प्रशासन दोनों तबाह हो जाते हैं।
बिहार का जंगलराज सिर्फ एक राजनीतिक शब्द नहीं है, बल्कि यह उस दौर की सच्चाई है जब अपराध ने सत्ता के साथ गठजोड़ कर समाज की नींव हिला दी थी। IAS अफसर की पत्नी चंपा विश्वास की कहानी उस दौर की भयावहता और महिलाओं की असुरक्षा की सबसे दर्दनाक मिसाल है।
आज जब यह मामला फिर चर्चा में है, तो यह बिहार की राजनीति और समाज दोनों के लिए एक कड़वी याद है। यह हमें सचेत करता है कि कानून और व्यवस्था से खिलवाड़ करने वाले किसी भी दौर को कभी स्वीकार नहीं किया जा सकता।
