
ब्रजकिशोर सिंह की रिपोर्ट
महामहिम पधारे वृंदावन : विशेष ट्रेन से ऐतिहासिक यात्रा की शुरुआत
महामहिम पधारे वृंदावन जब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू गुरुवार की सुबह विशेष ट्रेन से पहुंचीं तो पूरा क्षेत्र उत्साह और गर्व से भर गया। दिल्ली से सुबह आठ बजे रवाना होकर करीब दस बजे वे वृंदावन रोड रेलवे स्टेशन उतरीं। इस विशेष ट्रेन में 18 कोच लगाए गए थे, जिनमें 12 कोच केवल राष्ट्रपति और उनके स्टाफ के लिए आरक्षित थे। इनमें प्रेसिडेंशियल सुइट, डीलक्स सुइट, रेस्टोरेंट और लाउंज जैसी सुविधाएं मौजूद थीं।

स्टेशन पर महामहिम पधारे तो उनका स्वागत गन्ना विकास एवं चीनी उद्योग मंत्री चौधरी लक्ष्मी नारायण, मथुरा के मेयर विनोद अग्रवाल और एडीजी अनुपमा कुलश्रेष्ठ ने किया। इस दौरान स्थानीय प्रशासन और पुलिस पूरी मुस्तैदी से तैनात दिखे।
पहला पड़ाव : महामहिम पधारे बांके बिहारी मंदिर
महामहिम पधारे और सीधे विश्वविख्यात ठाकुर श्री बांके बिहारी मंदिर पहुंचे। यहां उन्होंने पूरे विधि-विधान से पूजा-अर्चना की और भगवान के चरणों में माथा टेका। करीब आधे घंटे तक चली इस पूजा में उन्होंने लिफाफे के रूप में भेंट अर्पित की। मंदिर प्रबंधन की ओर से गोस्वामी परिवार ने पूजा संपन्न कराई।
इस दर्शन की विशेषता यह रही कि पूजा में कन्नौज से मंगाए गए खास इत्र का प्रयोग किया गया, जो वृंदावन की परंपरा और भक्ति रस से गहराई से जुड़ा माना जाता है।
निधिवन में महामहिम पधारे : रहस्यमयी परिक्रमा
बांके बिहारी मंदिर के बाद महामहिम पधारे निधिवन। यहां उन्होंने वृक्षों की पूजा की और करीब पांच सौ मीटर लंबी परिक्रमा लगाई। इस दौरान उन्होंने बिहारी जी की प्राकट्य स्थली, रंग महल, रास मंडल, बंशी चोरी स्थल, राधा रानी और स्वामी हरिदास जी की समाधि पर दर्शन किए।
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निधिवन की परिक्रमा उनके लिए प्रेरणादायी और अद्भुत अनुभव साबित हुई। यह वही स्थल है, जिसके बारे में लोककथाएं कहती हैं कि यहां आज भी रासलीला होती है और इसका रहस्य कोई नहीं जान पाता।
ऐतिहासिक महत्व : महामहिम पधारे और बनीं दूसरी राष्ट्रपति
महामहिम पधारे और इस यात्रा ने इतिहास भी रच दिया। वे श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर दर्शन करने वाली देश की दूसरी राष्ट्रपति बनीं। इससे पहले पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह ने यहां दर्शन किए थे। इस तरह द्रौपदी मुर्मू का यह दौरा मथुरा-वृंदावन के इतिहास में स्वर्णाक्षरों से दर्ज हो गया।
सुरक्षा व्यवस्था : महामहिम पधारे तो शहर किला बना
महामहिम पधारे और पूरा वृंदावन किले में तब्दील हो गया। बांके बिहारी मंदिर मार्ग पर स्थित सभी घरों के दरवाजे बंद करा दिए गए। गलियों में आमजन का आना-जाना पूरी तरह प्रतिबंधित रहा। मंदिर परिसर से लेकर निधिवन और अन्य स्थानों तक सुरक्षा एजेंसियों का घेरा रहा।
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पीएसी के जवान, स्थानीय पुलिस, एलआईयू और केंद्रीय सुरक्षा बल तैनात रहे। ऐसा लग रहा था मानो पूरा वृंदावन सुरक्षा घेरे में सांस ले रहा हो।
महामहिम पधारे और बोले – दर्शन कर धन्य हो गई हूं
पूजा के बाद महामहिम पधारे और अपने भाव प्रकट किए। उन्होंने कहा कि ठाकुर जी के दर्शन कर मैं धन्य हो गई हूं। यह अनुभव जीवन भर याद रहेगा। उनके शब्दों में गहरी आस्था और सादगी झलक रही थी, जो किसी औपचारिकता से परे वास्तविक आध्यात्मिक अनुभूति का प्रमाण था।
परिवार संग महामहिम पधारे : सादगी की मिसाल
महामहिम पधारे वृंदावन अपने परिवार संग। मंदिर में उनके साथ परिजन भी मौजूद रहे। आमतौर पर राजनीतिक यात्राओं में जहां प्रोटोकॉल का दबाव रहता है, वहीं इस यात्रा ने सादगी और आस्था की झलक प्रस्तुत की।
धार्मिक पर्यटन को नई ऊर्जा : जब महामहिम पधारे
महामहिम पधारे वृंदावन तो धार्मिक पर्यटन को भी नया आयाम मिला। जानकारों का मानना है कि राष्ट्रपति जैसे उच्च पदस्थ व्यक्ति का आगमन यहां के धार्मिक महत्व को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नए सिरे से प्रचारित करेगा। साथ ही इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था और पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा।
स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया : गर्व से कहा – महामहिम पधारे
मथुरा-वृंदावन के स्थानीय लोगों ने कहा कि महामहिम पधारे और यह उनके शहर के लिए गर्व का क्षण है। भले ही सुरक्षा कारणों से लोग बाहर नहीं निकल पाए, लेकिन सभी उत्साहित थे कि देश की राष्ट्रपति ने ठाकुर जी के दर्शन किए।
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महामहिम पधारे वृंदावन – यह केवल एक औपचारिक दौरा नहीं, बल्कि भक्ति, परंपरा और इतिहास का अद्भुत संगम था। बांके बिहारी मंदिर और निधिवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की उपस्थिति ने इस पावन नगरी के महत्व को नई ऊंचाई दी। साथ ही इस यात्रा ने धार्मिक पर्यटन और स्थानीय संस्कृति को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पुनः स्थापित करने का मार्ग प्रशस्त किया।
