बलिया जिला अस्पताल में बिजली गुल होने पर टॉर्च की रोशनी में मरीजों का इलाज किया गया। वायरल वीडियो ने स्वास्थ्य व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। सीएमएस ने दी सफाई, कहा अब सुधार कर दिया गया है।
जगदंबा उपाध्याय की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश के बलिया जिले से स्वास्थ्य सेवाओं की दुर्दशा को उजागर करता एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। दरअसल, जिला अस्पताल के आपात चिकित्सा कक्ष में विद्युत आपूर्ति बाधित हो जाने के कारण मरीजों का इलाज टॉर्च की रोशनी में किया गया। यह घटना एक वीडियो के ज़रिए सामने आई, जो शनिवार को सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ।
वीडियो में देखा गया कि डॉक्टर एक मरीज का इलाज मोबाइल टॉर्च की रोशनी में कर रहे हैं। वहीं दूसरे वीडियो में कई मरीज और उनके परिजन बिजली न होने से परेशान दिखाई दे रहे हैं। विडंबना यह है कि बलिया जैसे जिले में, जहां कई मंत्री निवास करते हैं, वहां के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल की यह हालत है।
इस संदर्भ में, अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (सीएमएस) डॉ. एस.के. यादव ने जानकारी दी कि यह घटना शुक्रवार शाम की है, जब अचानक तकनीकी गड़बड़ी के चलते बिजली आपूर्ति बाधित हो गई। इसके अतिरिक्त, आपात चिकित्सा भवन को बिजली देने वाले जनरेटर में भी उसी समय खराबी आ गई। इस कारणवश, तकरीबन 45 मिनट तक अस्पताल में अंधकार छाया रहा और चिकित्सा सेवाएं बाधित हो गईं।
हालांकि, सीएमएस का दावा है कि अब समस्या का समाधान कर लिया गया है। उन्होंने बताया कि इमरजेंसी कक्ष में पर्याप्त संख्या में इनवर्टर लगाए गए हैं ताकि भविष्य में इस तरह की स्थिति न उत्पन्न हो।
बावजूद इसके, इस घटना ने स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की पोल खोल दी है। सवाल यह उठता है कि जब एक जिला अस्पताल तक में ऐसी आपात स्थिति से निपटने की तैयारी नहीं है, तो आम जनता अपनी ज़िंदगी और स्वास्थ्य को लेकर किससे उम्मीद करे?
न केवल यह घटना सरकारी तंत्र की लापरवाही को उजागर करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि तकनीकी प्रबंधन और आपदा-प्रतिक्रिया व्यवस्था में कितनी गंभीर खामियां हैं।