बांदा के नीबी गांव में एक कच्ची दीवार गिरने से 11 वर्षीय किशोरी की दर्दनाक मौत हो गई। परिवार सदमे में है, गांव में मातम पसरा है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट,
सोनू करवरिया की रिपोर्ट
नीबी गांव, कालिंजर थाना क्षेत्र —
रविवार की सुबह बांदा जिले के कालिंजर थाना क्षेत्र अंतर्गत नीबी गांव में एक हृदय विदारक हादसे ने पूरे गांव को गहरे शोक में डुबो दिया। एक 11 वर्षीय मासूम किशोरी की उस समय मौत हो गई, जब वह अपने घर के आंगन में बैठकर भोजन कर रही थी। तभी अचानक कच्ची और जर्जर हो चुकी दीवार भरभराकर गिर पड़ी और उसकी ज़िंदगी को लील गई।
एक सामान्य सुबह बना त्रासदी का कारण
प्राप्त जानकारी के अनुसार, चंद्रिका प्रसाद वर्मा की पुत्री बेबी रोज़ की तरह रविवार की सुबह भी अपने आंगन में बैठकर खाना खा रही थी। लेकिन इस साधारण से क्षण ने एक भीषण त्रासदी का रूप ले लिया, जब उसके बगल में खड़ी सीलन भरी कच्ची दीवार अचानक गिर गई। दीवार के मलबे के नीचे दबकर बेबी गंभीर रूप से घायल हो गई।
बचाने की कोशिश नाकाम, अस्पताल में तोड़ा दम
परिजन आनन-फानन में उसे नरैनी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले गए, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। परिवार की उम्मीदें टूट गईं और गांव में सन्नाटा पसर गया।
परिवार का दर्द: बहनों और भाई की आंखें सूज गईं रो-रोकर
बेबी चार बहनों में दूसरे नंबर पर थी। उसके छोटे भाई विपिन और बहनें—मनीषा, अंशिका और महिमा—अपनी बहन के अचानक हुए इस असामयिक निधन से पूरी तरह टूट चुकी हैं। मां ममता की आंखों से आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे। पूरा परिवार शोक में डूबा हुआ है और हर कोई इस हादसे को स्वीकार नहीं कर पा रहा है।
पुलिस जांच और अगली प्रक्रिया
घटना की जानकारी मिलते ही कालिंजर थाने की पुलिस ने मौके पर पहुंचकर घटनास्थल का निरीक्षण किया और शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए रानी दुर्गावती मेडिकल कॉलेज, बांदा भेजा। प्रथम दृष्टया यह एक दुर्घटना प्रतीत हो रही है, लेकिन पुलिस ने जांच की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी है।
गांव में मातम, ग्रामीणों की मांग
घटना के बाद नीबी गांव में शोक की लहर दौड़ गई है। पड़ोसी और ग्रामीणों ने परिवार को ढांढस बंधाया और प्रशासन से मुआवज़ा व राहत सहायता की मांग की है। ग्रामीणों ने यह भी कहा कि बारिश के मौसम में इस तरह की जर्जर दीवारें कई परिवारों के लिए खतरा बन चुकी हैं, जिनकी तत्काल मरम्मत की आवश्यकता है।
यह हादसा एक बार फिर से यह सोचने पर मजबूर करता है कि गांवों में अब भी कितने घर असुरक्षित हैं, खासकर बरसात के मौसम में। प्रशासन को चाहिए कि वह इस दिशा में ठोस कदम उठाए और ऐसे हादसों को रोकने हेतु आवश्यक प्रबंध करे, ताकि किसी और मां की गोद सूनी न हो।